नवादा: जिले की शहरी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जगह-जगह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोले गए थे. मालूम हो कि इन्हें राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत शुरू किया गया था. ताकि नवादा के मिर्जापुर इलाके के लोगों को फायदा. लेकिन, आज इन केद्रों की हालत बद से बदतर हो गई है.
इस यूपीएचसी केंद्र में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों का घोर अभाव है. जिस कारण जिले की एक बड़ी आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह यूपीएचसी किराए पर चल रहा है. हालात इतने खराब हैं कि मशीनें और डॉक्टर तो दूर यहां गार्ड और सफाईकर्मी तक नहीं है. स्वास्थ्य मानकों के तौर पर यह अस्पताल फिसड्डी है.
किराये पर चलता है UPHC, नहीं है अपना भवन
मालूम हो कि इस प्राथमिक केंद्र को 15 लाख 60 हजार 272 रुपये की लागत से स्थापित किया जाना था. लेकिन, आनन-फानन में इसे किसी तरह से एक निजी मकान में शुरू कर दिया गया. नतीजतन सालों से यह अस्पताल किराये पर चल रहा है. बगैर समुचित व्यवस्था और संसाधन जुटाए यूपीएचसी शुरू किए जाने यहां अव्यवस्था साफ दिखती है.
MBBS डॉक्टर की जगह, आयुष चिकित्सक से चला रहे काम
इन केंद्रों पर एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए थी. लेकिन, यहां प्रतिनियुक्ति पर आयुष डॉक्टरों से काम निकाले जा रहे हैं. ऐसे में सहज समझा जा सकता है कि किस तरह से आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.
खाली है अधिकतर पद
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोलने के लिए 2 डॉक्टर, 3 स्टॉफ नर्स, 5 एएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 2 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, यानि कुल 14 कर्मियों की आवश्यकता होती है. लेकिन, वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर डॉक्टर काम कर रही है. साथ ही दो एएनएम मौजूद हैं, जो सेवाएं दे रही है. लेकिन, उन्हें भी सदर अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया जाता है. आलम यह है कि यहां ना गार्ड है और ना सफाईकर्मी.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग और डॉक्टर?
नियमानुसार यहां एक लैब की व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो कि अभी तक नहीं है. जिस कारण मरीजों को काफी दिक्कत होती है. मरीजों का कहना है कि यहां दवाईयां तो मिल जाती हैं पर जांच का व्यवस्था नहीं है. वहीं, डॉक्टर कहती हैं कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत सीएस से की है. लेकिन, कोई हल नहीं निकाला गया है.