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किराए के मकान में चल रहा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नहीं है लैब की सुविधा

नियमानुसार UPHC में एक लैब की व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो कि यहां अभी तक नहीं है. जिस कारण मरीजों को काफी दिक्कत होती है.

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Published : Jun 27, 2019, 10:42 PM IST

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नवादा: जिले की शहरी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जगह-जगह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोले गए थे. मालूम हो कि इन्हें राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत शुरू किया गया था. ताकि नवादा के मिर्जापुर इलाके के लोगों को फायदा. लेकिन, आज इन केद्रों की हालत बद से बदतर हो गई है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

इस यूपीएचसी केंद्र में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों का घोर अभाव है. जिस कारण जिले की एक बड़ी आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह यूपीएचसी किराए पर चल रहा है. हालात इतने खराब हैं कि मशीनें और डॉक्टर तो दूर यहां गार्ड और सफाईकर्मी तक नहीं है. स्वास्थ्य मानकों के तौर पर यह अस्पताल फिसड्डी है.

nawada
बिखरी पड़ी हैं दवाईयां

किराये पर चलता है UPHC, नहीं है अपना भवन
मालूम हो कि इस प्राथमिक केंद्र को 15 लाख 60 हजार 272 रुपये की लागत से स्थापित किया जाना था. लेकिन, आनन-फानन में इसे किसी तरह से एक निजी मकान में शुरू कर दिया गया. नतीजतन सालों से यह अस्पताल किराये पर चल रहा है. बगैर समुचित व्यवस्था और संसाधन जुटाए यूपीएचसी शुरू किए जाने यहां अव्यवस्था साफ दिखती है.

nawada
कमरे में चल रहा इलाज

MBBS डॉक्टर की जगह, आयुष चिकित्सक से चला रहे काम
इन केंद्रों पर एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए थी. लेकिन, यहां प्रतिनियुक्ति पर आयुष डॉक्टरों से काम निकाले जा रहे हैं. ऐसे में सहज समझा जा सकता है कि किस तरह से आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.

खाली है अधिकतर पद
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोलने के लिए 2 डॉक्टर, 3 स्टॉफ नर्स, 5 एएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 2 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, यानि कुल 14 कर्मियों की आवश्यकता होती है. लेकिन, वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर डॉक्टर काम कर रही है. साथ ही दो एएनएम मौजूद हैं, जो सेवाएं दे रही है. लेकिन, उन्हें भी सदर अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया जाता है. आलम यह है कि यहां ना गार्ड है और ना सफाईकर्मी.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग और डॉक्टर?
नियमानुसार यहां एक लैब की व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो कि अभी तक नहीं है. जिस कारण मरीजों को काफी दिक्कत होती है. मरीजों का कहना है कि यहां दवाईयां तो मिल जाती हैं पर जांच का व्यवस्था नहीं है. वहीं, डॉक्टर कहती हैं कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत सीएस से की है. लेकिन, कोई हल नहीं निकाला गया है.

नवादा: जिले की शहरी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जगह-जगह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोले गए थे. मालूम हो कि इन्हें राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत शुरू किया गया था. ताकि नवादा के मिर्जापुर इलाके के लोगों को फायदा. लेकिन, आज इन केद्रों की हालत बद से बदतर हो गई है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

इस यूपीएचसी केंद्र में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों का घोर अभाव है. जिस कारण जिले की एक बड़ी आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह यूपीएचसी किराए पर चल रहा है. हालात इतने खराब हैं कि मशीनें और डॉक्टर तो दूर यहां गार्ड और सफाईकर्मी तक नहीं है. स्वास्थ्य मानकों के तौर पर यह अस्पताल फिसड्डी है.

nawada
बिखरी पड़ी हैं दवाईयां

किराये पर चलता है UPHC, नहीं है अपना भवन
मालूम हो कि इस प्राथमिक केंद्र को 15 लाख 60 हजार 272 रुपये की लागत से स्थापित किया जाना था. लेकिन, आनन-फानन में इसे किसी तरह से एक निजी मकान में शुरू कर दिया गया. नतीजतन सालों से यह अस्पताल किराये पर चल रहा है. बगैर समुचित व्यवस्था और संसाधन जुटाए यूपीएचसी शुरू किए जाने यहां अव्यवस्था साफ दिखती है.

nawada
कमरे में चल रहा इलाज

MBBS डॉक्टर की जगह, आयुष चिकित्सक से चला रहे काम
इन केंद्रों पर एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए थी. लेकिन, यहां प्रतिनियुक्ति पर आयुष डॉक्टरों से काम निकाले जा रहे हैं. ऐसे में सहज समझा जा सकता है कि किस तरह से आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.

खाली है अधिकतर पद
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) खोलने के लिए 2 डॉक्टर, 3 स्टॉफ नर्स, 5 एएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 2 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, यानि कुल 14 कर्मियों की आवश्यकता होती है. लेकिन, वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर डॉक्टर काम कर रही है. साथ ही दो एएनएम मौजूद हैं, जो सेवाएं दे रही है. लेकिन, उन्हें भी सदर अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया जाता है. आलम यह है कि यहां ना गार्ड है और ना सफाईकर्मी.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग और डॉक्टर?
नियमानुसार यहां एक लैब की व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो कि अभी तक नहीं है. जिस कारण मरीजों को काफी दिक्कत होती है. मरीजों का कहना है कि यहां दवाईयां तो मिल जाती हैं पर जांच का व्यवस्था नहीं है. वहीं, डॉक्टर कहती हैं कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत सीएस से की है. लेकिन, कोई हल नहीं निकाला गया है.

Intro:नवादा। शहरी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को मध्य नजर रखते हुए शहर के मिर्जापुर इलाके में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत यूपीएससी खोले गए हैं लेकिन इसमें स्वास्थ्य कर्मी और संसाधन की घोर कमी है जिसके कारण यहां के आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।





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किराये पर चलता है UPHC, नहीं है अपना भवन

इसे 15 लाख 60 हजार 272 रुपये की लागत से स्थापित करना था लेकिन इसे आनन-फानन में किसी तरह निजी मकान में किराए पर शुरू कर दिया गया बगैर समुचित व्यवस्था और संसाधन के। जिसके बाद से आज तक मानक के अनुसार ना तो कर्मी की व्यवस्था हो पाई है और न ही संसाधनों की। जिससे आम जनता को काफी तकलीफें उठानी पड़ रही है।

MBBS डॉक्टर की जगह,आयुष चिकित्सक से चला रहे काम

एक के लिए एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए थी लेकिन उसके जगह प्रतिनियुक्ति पर आयुष चिकित्सक से काम निकाले जा रहे हैं अब इससे समझा जा सकता है की किस प्रकार से आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।

खाली है अधिकतर पद, भगवान भरोसे हो रहा मरीज़ों का ईलाज़

यूपीएचसी यानी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए 2 डॉक्टर, 3 स्टॉफ नर्स, 5 एएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 2 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, यानी कुल 14 कर्मियों की आवश्यकता होती है लेकिन वर्तमान में यहां एक प्रतिनियुक्ति पर डॉक्टर काम कर रही है और वहीं, अनिवार्य दो एएनएम यहां सेवाएं दे रही है लेकिन उन्हें भी सदर अस्पताल में ड्यूटी पर लगा दिया जाता है। न गार्ड है न सफाईकर्मी है। डाटा इंट्री ऑपरेटर हैं पर टेक्नीशियन और फार्मशिस्ट नहीं हैं यानी कर्मियों के मामले में काफी फिस्सड्डी है यह अस्पताल।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

यहां एक लैब की व्यवस्था होनी चाहिए जोकि अभी तक नहीं हो सका है। जिसके काफी दिक्कतें होती है। एक महिला का कहना है कि यहां दवाईयां मिल जाती पर जांच का कोई व्यवस्था नहीं हुआ है।

क्या कहती है UPHC डॉक्टर

जांच के लिए लैब की व्यवस्था यहां पर नहीं है लेकिन हमलोगों ने इसके लिए सीएस से कहा है।


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बाइट- UPHC, चिकित्सक
विजुअल- पीटीसी
विजुअल- पॉवर डायरेक्टर एडिटेड वीडियो






Conclusion:न पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मी न डॉक्टर और न ही संसाधन आख़िर कैसे चल रहा हैं यह अस्पताल? क्या चमकी, सन स्ट्रोक, डायरिया जैसे बीमारी के लिए उपयुक्त है यह अस्पताल?
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