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भागलपुर में धूमधाम से मनाई गई, अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा - बाला लखंदर

अंग प्रदेश भागलपुर में विषहरी पूजा काफी आस्था के साथ मनाई जाती है. इसमें लोग बांस की डलिया में दूध और लावे के साथ मनसा विषहरी की पूजा करते हैं. और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर मनसा विश्व हरि से प्रार्थना करते हैं.

बिहुला विषहरी की प्रतिमा
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Published : Aug 17, 2019, 11:56 PM IST

भागलपुर: जिले में अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा धूमधाम से मनाई गई. अंग प्रदेश की प्राचीन दंत कथाओं में से एक बिहुला विषहरी से नारी सशक्तिकरण का उदाहरण मिलता है. प्राचीन काल में अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी की दंत कथा बताई जाती है. जिसमें नारी सशक्तिकरण के साथ- साथ अंकुश का प्राचीन इतिहास मंजूषा भी निकल कर सामने आता है.

अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा

पारंपरिक चित्र गाथा है उकेरी
मंजूषा भी मधुबनी पेंटिंग की तरह एक पारंपरिक चित्र गाथा है. जिसमें बिहुला विषहरी की पूरी चित्र गाथा उकेरी जाती है. इन दिनों मंजूषा को लेकर सरकार काफी जागरूक हुई है. जहां भागलपुर की मंजूषा को सिल्क व्यवसाय और हैंड क्राफ्ट के जरिए पूरे देश में फैलाया जा रहा है. वहीं पर बिरला विश्वरी के चित्र गाथा मंजूषा को भागलपुर से नई दिल्ली जाने वाली विक्रमशिला पर भी उकेरा गया है. ताकि मंजूषा को एक पहचान मिल सके और लोग अंग प्रदेश की संस्कृति को भली-भांति समझ सकें.

patna
बिहुला विषहरी की चित्र गाथा उकेरी गई


प्राचीन मान्यता है
प्राचीन काल से ही सती बिहुला एवं मनसा विषहरी की पूजा चंपानगर और आसपास के इलाकों में होती आ रही है. ऐसा मानना है की शिव की मानस पुत्री मनसा विषहरी ने अपनी पूजा करवाने को लेकर शिवभक्त चांद सौदागर को काफी यातनाएं दी. उनके सभी पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया गया. अंतिम पुत्र बाला लखींद्र की शादी बिहुला से हुई थी शादी के बाद रहने के लिए और मनसा बिषहरी से अपने अंतिम पुत्र को बचाने के लिए शान सौदागर ने लोहा बांस का घर बनवाया था.

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बिहुला विषहरी की प्रतिमा


लेकिन फिर भी बिषहरी ने उसे भी डस लिया जिससे चांद सौदागर के अंतिम पुत्र की भी मौत हो गई. फिर सती बिहुला ने बाला लखंदर को जीवित करने के लिए चंपा नदी के रास्ते अपने पति कि जिंदगी वापस मांगने यमराज के पास गई और अपने संदेश को मंजूषा के माध्यम से उतरकर यमराज के सामने प्रस्तुत किया. और यमराज ने बिहुला के सतीत्व के आगे हार मान ली और बाला लखंदर के प्राण वापस कर दिए थे बिहुला मनसा बिषहरी को चांद सौदागर की पूजा करवाने के वायदे किए.

जहरीले जीव के काटने के बाद भी हो जाते हैं स्वस्थ

अंग प्रदेश भागलपुर में बिषहरी पूजा काफी आस्था के साथ मनाई जाती है. इसमें लोग बांस की डलिया में दूध और लावे के साथ मनसा बिषहरी की पूजा करते हैं. और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर मनसा विश्व हरि से प्रार्थना करते हैं. किसी भी जहरीले जीव के काटने के बाद अंग प्रदेश के स्थानीय लोग मनसा विद्या जी के मंदिर में पहुंचकर मां विषहरी की पूजा अर्चना कर स्वस्थ करने की कामना करते हैं. यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग प्रदेश की बिहुला विषहरी की पूजा लोग अपने घर पर भी करते हैं. और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं. भागलपुर में बिहुला विषहरी की पूजा पर 2 दिन का मेला भी लगता है. जिसका आनंद अंग प्रदेश के लोग उठाते हैं.

भागलपुर: जिले में अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा धूमधाम से मनाई गई. अंग प्रदेश की प्राचीन दंत कथाओं में से एक बिहुला विषहरी से नारी सशक्तिकरण का उदाहरण मिलता है. प्राचीन काल में अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी की दंत कथा बताई जाती है. जिसमें नारी सशक्तिकरण के साथ- साथ अंकुश का प्राचीन इतिहास मंजूषा भी निकल कर सामने आता है.

अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा

पारंपरिक चित्र गाथा है उकेरी
मंजूषा भी मधुबनी पेंटिंग की तरह एक पारंपरिक चित्र गाथा है. जिसमें बिहुला विषहरी की पूरी चित्र गाथा उकेरी जाती है. इन दिनों मंजूषा को लेकर सरकार काफी जागरूक हुई है. जहां भागलपुर की मंजूषा को सिल्क व्यवसाय और हैंड क्राफ्ट के जरिए पूरे देश में फैलाया जा रहा है. वहीं पर बिरला विश्वरी के चित्र गाथा मंजूषा को भागलपुर से नई दिल्ली जाने वाली विक्रमशिला पर भी उकेरा गया है. ताकि मंजूषा को एक पहचान मिल सके और लोग अंग प्रदेश की संस्कृति को भली-भांति समझ सकें.

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बिहुला विषहरी की चित्र गाथा उकेरी गई


प्राचीन मान्यता है
प्राचीन काल से ही सती बिहुला एवं मनसा विषहरी की पूजा चंपानगर और आसपास के इलाकों में होती आ रही है. ऐसा मानना है की शिव की मानस पुत्री मनसा विषहरी ने अपनी पूजा करवाने को लेकर शिवभक्त चांद सौदागर को काफी यातनाएं दी. उनके सभी पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया गया. अंतिम पुत्र बाला लखींद्र की शादी बिहुला से हुई थी शादी के बाद रहने के लिए और मनसा बिषहरी से अपने अंतिम पुत्र को बचाने के लिए शान सौदागर ने लोहा बांस का घर बनवाया था.

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बिहुला विषहरी की प्रतिमा


लेकिन फिर भी बिषहरी ने उसे भी डस लिया जिससे चांद सौदागर के अंतिम पुत्र की भी मौत हो गई. फिर सती बिहुला ने बाला लखंदर को जीवित करने के लिए चंपा नदी के रास्ते अपने पति कि जिंदगी वापस मांगने यमराज के पास गई और अपने संदेश को मंजूषा के माध्यम से उतरकर यमराज के सामने प्रस्तुत किया. और यमराज ने बिहुला के सतीत्व के आगे हार मान ली और बाला लखंदर के प्राण वापस कर दिए थे बिहुला मनसा बिषहरी को चांद सौदागर की पूजा करवाने के वायदे किए.

जहरीले जीव के काटने के बाद भी हो जाते हैं स्वस्थ

अंग प्रदेश भागलपुर में बिषहरी पूजा काफी आस्था के साथ मनाई जाती है. इसमें लोग बांस की डलिया में दूध और लावे के साथ मनसा बिषहरी की पूजा करते हैं. और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर मनसा विश्व हरि से प्रार्थना करते हैं. किसी भी जहरीले जीव के काटने के बाद अंग प्रदेश के स्थानीय लोग मनसा विद्या जी के मंदिर में पहुंचकर मां विषहरी की पूजा अर्चना कर स्वस्थ करने की कामना करते हैं. यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग प्रदेश की बिहुला विषहरी की पूजा लोग अपने घर पर भी करते हैं. और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं. भागलपुर में बिहुला विषहरी की पूजा पर 2 दिन का मेला भी लगता है. जिसका आनंद अंग प्रदेश के लोग उठाते हैं.

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आज भागलपुर अंग प्रदेश की पारंपरिक विषहरी पूजा धूमधाम से पूरे प्रदेश में मनाई जा रही है अंग प्रदेश की प्राचीन दंत कथाओं में से एक बिहुला विषहरी की से नारी सशक्तिकरण का उदाहरण मिलता है प्राचीन काल में अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी के दंत कथा बताई जाती है जिसमें नारी सशक्तिकरण के साथ साथ अंकुश का प्राचीन इतिहास मंजूषा भी निकल कर सामने आता है मंजूषा भी मधुबनी पेंटिंग की तरह एक पारंपरिक चित्र गाथा है जिसमें बिहुला विषहरी की पूरी चित्र गाथा उकेरी जाती है इन दिनों मंजूषा को लेकर सरकार काफी जागरूक हुई है जहां भागलपुर के मंजूषा को सिल्क व्यवसाय और हैंड क्राफ्ट के जरिए पूरे देश में फैलाया जा रहा है वहीं पर बिरला विश्वरी के चित्र गाथा मंजूषा को भागलपुर से दिल नई दिल्ली जाने वाली विक्रमशिला पर भी उकेरा गया है ताकि मंजूषा को एक पहचान मिल सके और लोग अंग प्रदेश की संस्कृति को भली-भांति समझ सकें।


Body:प्राचीन काल से ही सती बिहुला एवं मनसा विषहरी की पूजा चंपानगर एवं आसपास के इलाकों में होती आ रही है ऐसा मानना है की शिव की मानस पुत्री मनसा विषहरी ने अपनी पूजा करवाने को लेकर शिवभक्त चांद सौदागर को काफी यातनाएं दी उनके सभी पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया गया अंतिम पुत्र बाला लखींद्र की शादी बिहुला से हुई थी शादी के बाद रहने के लिए और मनसा बिसहरी से अपने अंतिम पुत्र को बचाने के लिए शान सौदागर ने लोहा बांस का घर बनवाया था लेकिन फिर भी बिसहरी ने उसे भी डस लिया जिससे चांद सौदागर के अंतिम पुत्र की भी मौत हो गई फिर सती बिहुला ने बाला लखंदर को जीवित करने के लिए चंपा नदी के रास्ते अपने पति कि जिंदगी वापस मांगने यमराज के पास गए और अपने संदेश को मंजूषा के माध्यम से उतरकर यमराज के सामने प्रस्तुत किया और यमराज ने बिहुला के सतीत्व के आगे हार मान ली और बाला लखंदर के प्राण वापस कर दिए थे बिहुला मनसा बिसहरी को चांद सौदागर की पूजा करवाने के वायदे किए।


Conclusion:अंग प्रदेश भागलपुर में बिशरी पूजा काफी आस्था के साथ मनाई जाती है इसमें लोग बांस के डलिया में दूध और लागे के साथ मनसा बिसहरी की पूजा करते हैं और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर मनसा विश्व हरि से प्रार्थना करते हैं स्थानीय लोगों की भरपूर आस्था मनसा बिसहरी पर है किसी भी जहरीले जीव के काटने के बाद अंग प्रदेश के स्थानीय लोग मनसा विद्या जी के मंदिर में पहुंचकर मां विषहरी की पूजा अर्चना कर स्वस्थ करने की कामना करते हैं यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग प्रदेश की बिहुला विषहरी की पूजा लोग अपने घर पर भी करते हैं और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं । भागलपुर में बिहुला विषहरी की पूजा पर 2 दिन का मेला भी लगता है जिसका आनंद अंग प्रदेश के लोग उठाते हैं ।

बाइट स्थानीय लोग
बाइट सीमा साह ,मेयर ,भागलपुर
बाइट विनय लाल सदस्य मनसा देवी पूजा समिति चंपानगर
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