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नवादा: कुष्ठ से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है हंडिया का यह सूर्य मंदिर, यहां छठ करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

नवादा जिले के हंडिया गांव स्थित सूर्य मंदिर की कई पौराणिक कथाएं हैं. कहा जाता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है.

हंडिया का सूर्य मंदिर
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Published : Nov 2, 2019, 7:42 AM IST

नवादा: जिले के नारदीगंज प्रखंड स्थित हंडिया गांव का प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मंदिर काफी प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है. लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना भी करते हैं. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. यहां छठ के अवसर पर कई राज्यों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं.

किंगवदंतियों का कहना है कि द्वापरकाल में सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यावती यहां स्थित सरोवर में स्नान करती थी. वहां से मां भगवती की पूजा अर्चना कर धनिया की पहाड़ी पर जाती थीं जहां भगवान गौरी शंकर पर जलाभिषेक कर तत्कालीन मगध की राजधानी राजगृह आती थी. वो जिस मां भगवती की पूजा अर्चना करने जाती थी उसे वर्तमान में देवी स्थान के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जो भी भगवान सूर्य की पूजा कर मां भगवती की पूजा करते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

पेश है रिपोर्ट

पौराणिक कथाओं से जुड़ा है सूर्य मंदिर का इतिहास
स्थानीय लोगों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण जरासंध ने करवाया था. वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जाता है प्रभु श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था. वह भी अपनी बिना पहचान बताएं गोपियों की रासलीला में शामिल हो गए. इसे देख भगवान श्री कृष्ण साम्ब पर क्रोधित हो गये और उन्हें श्राप दे दिया जिससे उन्हें कुष्ठ हो गया. साम्ब ने श्री कृष्ण से माफी मांगी तो उन्होंने 12 सूर्य मंदिर निर्माण कराने को कहा जिनमें से एक हंडिया का भी मंदिर है.

nawada
छठ घाटों की साफ-सफाई करते ग्रामीण

प्रशासन की उदासीनता
छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई की जिम्मा खुद ग्रामीण ही उठाते हैं. छठव्रतियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. लेकिन प्रशासन की उदासीन रवैये के कारण यहां को लोगों में मायूसी है. इनका कहना है कि यदि प्रशासन इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के सौदर्यीकरण की ओर ध्यान दे दे तो इसे तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

नवादा: जिले के नारदीगंज प्रखंड स्थित हंडिया गांव का प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मंदिर काफी प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है. लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना भी करते हैं. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. यहां छठ के अवसर पर कई राज्यों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं.

किंगवदंतियों का कहना है कि द्वापरकाल में सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यावती यहां स्थित सरोवर में स्नान करती थी. वहां से मां भगवती की पूजा अर्चना कर धनिया की पहाड़ी पर जाती थीं जहां भगवान गौरी शंकर पर जलाभिषेक कर तत्कालीन मगध की राजधानी राजगृह आती थी. वो जिस मां भगवती की पूजा अर्चना करने जाती थी उसे वर्तमान में देवी स्थान के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जो भी भगवान सूर्य की पूजा कर मां भगवती की पूजा करते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

पेश है रिपोर्ट

पौराणिक कथाओं से जुड़ा है सूर्य मंदिर का इतिहास
स्थानीय लोगों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण जरासंध ने करवाया था. वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जाता है प्रभु श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को गोपियों ने भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था. वह भी अपनी बिना पहचान बताएं गोपियों की रासलीला में शामिल हो गए. इसे देख भगवान श्री कृष्ण साम्ब पर क्रोधित हो गये और उन्हें श्राप दे दिया जिससे उन्हें कुष्ठ हो गया. साम्ब ने श्री कृष्ण से माफी मांगी तो उन्होंने 12 सूर्य मंदिर निर्माण कराने को कहा जिनमें से एक हंडिया का भी मंदिर है.

nawada
छठ घाटों की साफ-सफाई करते ग्रामीण

प्रशासन की उदासीनता
छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई की जिम्मा खुद ग्रामीण ही उठाते हैं. छठव्रतियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. लेकिन प्रशासन की उदासीन रवैये के कारण यहां को लोगों में मायूसी है. इनका कहना है कि यदि प्रशासन इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के सौदर्यीकरण की ओर ध्यान दे दे तो इसे तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

Intro:नवादा। सुप्रसिद्ध प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में से एक नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड स्थित हंडिया गांव का सूर्य मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित सरोवर में पांच रविवार स्नान करने से कुष्ठ व्याधि से मुक्ति मिलती है लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना करते हैं इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है यहां छठ के अवसर पर कई राज्यों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं।






Body:द्वापरकाल से जुड़ा है इसका इतिहास

भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं। किंगवदंतियों का कहना है कि द्वापरकाल में सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यावती यहां स्थित सरोवर में स्नान करती थी वहां से मां भगवती की पूजा अर्चना कर धनिया की पहाड़ी पर जाती थी जहां भगवान गौरीशंकर जलाभिषेक के पश्चात तत्कालीन मगध की राजधानी राजगृह आती थी। जिस मां भगवती की पूजा अर्चना करने जाती थी उसे वर्तमान में देवी स्थान के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि जो भी भगवान सूर्य की पूजा कर मां भगवती की पूजा करते हैं उसकी सौ फीसदी मनोकामनाएं पूरी होती है हालांकि अति प्राचीन होने के कारण सूर्य मंदिर का निर्माण वास्तविकता अस्पष्ट नहीं हो पाई है।

स्थानीय लोगों का कहना है हम लोग पूर्वज से सुनते आ रहे हैं इस मंदिर का निर्माण जरासंध ने करवाया था वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जाता है प्रभु श्री कृष्ण जी की नौ पटरानियां थी जिनमें से एक थी जंबावती जिसके पुत्र साम्ब कृष्ण की तरह ही दिखते थे और उनकी तरह ही सोलह कलाओं में निपुण थे जिसे गोपियां भ्रमवश श्रीकृष्ण मान लिया था वह भी अपनी बिना पहचान बताएं गोपियों की रासलीला में शामिल हो गए इसे देख भगवान श्री कृष्ण श्याम पर क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे दिया। जिससे उन्हें कुष्ठ हो गया। साम्ब ने उनके सामने से बहुत निवेदन किया तो उन्होंने 12 सूर्य मंदिर निर्माण कराने को कहा जिनमें से एक हंडिया का भी है।

बाइट- उपेंद्र सिंह, स्थानीय ग्रामीण
बाइट- बरुण कुमार, पुजारी
बाइट- रेखा देवी, स्थानीय


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