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कभी रजाईन पाइन से 52 गांवों के किसानों को मिलता था लाभ, आज अपनी बदहाली पर बहा रहा है आंसू

जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत आनेवाली रजाईन पाइन आज बदहाल है. कभी इसके पानी से 52 गांवों में सिंचाई हुआ करती थी.

रजाईन पाइन
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Published : Mar 31, 2019, 4:32 AM IST

नवादा: जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत आनेवाली रजाईन पाइन आज बदहाल है. कभी इसके पानी से 52 गाँव में सिंचाई हुआ करती थी. किसान खुशहाली से जिंदगी व्यतीत करते थे. किसान इस रजाईन को जीवनदायनी की संज्ञा दे रखे थे. लेकिन यह रजाईन आजकल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है.


पानी की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है और किसान की फसल सिंचाई के आभाव में जल रही है. लेकिन, न इसपर सूबे के मुख्यंमत्री का ध्यान गया और न ही मंत्री या यहां के जनप्रतिनिधि का. केंद्र हो या राज्य की सरकार अपने आपको किसानों की बड़ी हितैषी समझती है. लेकिन किसान आज भी अपनी फसल के लिए एक-एक बूंद को तरस रहा है. कई बार इसके लिए अधिकारियों से आग्रह भी किया लेकिन किसानों को कोई सुननेवाले नहीं है.

रजाईन पाइन की बदहाली पर ग्रामीणों का क्या कहना है


ग्रामीणों का क्या कहना है
ग्रामीण साधु शरण सिंह बताते हैं की यह पाइन सकरी नदी से निकलती है और इसका निर्माण महेश्वरी नारायण देव करवाया था. इस पाइन से पहले 52 गांवों के किसानों को फायदा मिलता था. लेकिन अब रजाईन भर जाने के करण 2-4 गांवों में सिंचाई होना भी मुश्किल है. इसका सही से रखरखाव नहीं हो पाने के कारण अब 52 गांवों के किसान सिंचाई से वंचित हैं. पहले इसकी चौड़ाई 50-60 फिट थी लेकिन अब यह घटकर 15-20 फिट रह गई है.

2005 में दिल्ली में आहार पाइन बचाओ मेले का आयोजन किया गया था जिसमें SPWD के डायरेक्टर विजय सरदाना आए थे उन्होंने पाइन के बारे में जानने के लिए इस क्षेत्र का दौरा भी किया था और भरोसा दिया था कि जल्द इसपर काम किया जाएगा. लेकिन उसके बाद से आज तक फिर कोई इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं, पंकज सिंह कहते हैं कि अगर सिंचाई की व्यवस्था हो जाती तो हमलोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती.

नवादा: जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत आनेवाली रजाईन पाइन आज बदहाल है. कभी इसके पानी से 52 गाँव में सिंचाई हुआ करती थी. किसान खुशहाली से जिंदगी व्यतीत करते थे. किसान इस रजाईन को जीवनदायनी की संज्ञा दे रखे थे. लेकिन यह रजाईन आजकल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है.


पानी की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है और किसान की फसल सिंचाई के आभाव में जल रही है. लेकिन, न इसपर सूबे के मुख्यंमत्री का ध्यान गया और न ही मंत्री या यहां के जनप्रतिनिधि का. केंद्र हो या राज्य की सरकार अपने आपको किसानों की बड़ी हितैषी समझती है. लेकिन किसान आज भी अपनी फसल के लिए एक-एक बूंद को तरस रहा है. कई बार इसके लिए अधिकारियों से आग्रह भी किया लेकिन किसानों को कोई सुननेवाले नहीं है.

रजाईन पाइन की बदहाली पर ग्रामीणों का क्या कहना है


ग्रामीणों का क्या कहना है
ग्रामीण साधु शरण सिंह बताते हैं की यह पाइन सकरी नदी से निकलती है और इसका निर्माण महेश्वरी नारायण देव करवाया था. इस पाइन से पहले 52 गांवों के किसानों को फायदा मिलता था. लेकिन अब रजाईन भर जाने के करण 2-4 गांवों में सिंचाई होना भी मुश्किल है. इसका सही से रखरखाव नहीं हो पाने के कारण अब 52 गांवों के किसान सिंचाई से वंचित हैं. पहले इसकी चौड़ाई 50-60 फिट थी लेकिन अब यह घटकर 15-20 फिट रह गई है.

2005 में दिल्ली में आहार पाइन बचाओ मेले का आयोजन किया गया था जिसमें SPWD के डायरेक्टर विजय सरदाना आए थे उन्होंने पाइन के बारे में जानने के लिए इस क्षेत्र का दौरा भी किया था और भरोसा दिया था कि जल्द इसपर काम किया जाएगा. लेकिन उसके बाद से आज तक फिर कोई इस ओर ध्यान नहीं दिया. वहीं, पंकज सिंह कहते हैं कि अगर सिंचाई की व्यवस्था हो जाती तो हमलोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती.

Intro:नवादा। जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत आनेवाले रजाईन पाइन आज बदहाली की जिंदगी जी रहा है। कभी इसके पानी से 52 गाँव में सिंचाई हुआ करती थी।


Body:किसान खुशहाली के जिंदगी व्यतीत करते थे। किसान इस रजाईन को जीवनदायनी की संज्ञा दे रखे थे लेकिन, यह रजाईन आजकल अपने उद्धारक का बाट जोह रहा है। पानी की समस्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है और किसान का फसल सिंचाई के आभाव में जल रहा है। लेकिन, न इसपर सूबे के मुख्यंमत्री का ध्यान गया और न ही मंत्री या यहां के जनप्रतिनिधि को। केंद्र हो या राज्य की सरकार अपनेआपको किसानों के बड़े हितैषी समझते हैं लेकिन किसान आज भी अपनी फसल के लिए एक-एक बूंद को तरस रहा है। कई बार इसके लिए अधिकारीगण से आग्रह भी किया लेकिन किसानों को कोई सुननेवाले नहीं है ग्रामीण साधु शरण सिंग बताते हैं की यह पाइन सकरी नदी से निकलती है और इसका निर्माण महेश्वरी नारायण देव करवायें हैं। पहले इससे 52 गांवों के किसानों को फायदा मिलता था लेकिन अब रजाईन भर जाने के करण 2-4 गांव का सिंचाई होना भी मुश्किल है। इसका सही से रखराव नहीं हो पाने के कारण अब 52 गांवों के किसान सिंचाई से वंचित हैं। पहले इसकी चौड़ाई 50-60 फिट थी लेकिन अब यह घटकर 15-20 फिट की भी चौड़ाई नहीं रह गई है। 2005 में दिल्ली में आहार पाइन बचाओ मेले का आयोजन किया गया था जिसमें SPWD के डायरेक्टर विजय सरदाना आए थे उन्होंने पाइन के बारे में जानने के लिए इस क्षेत्र का दौरा भी किए थे और भरोसा दिए थे कि इसपे काम जल्द किया जाएगा लेकिन उसके बाद से आज तक फिर कोई इस ओर ध्यान नहीं दिए हैं। वहीं, पंकज सिंह कहते हैं कि, हमलोग किसान हैं अगर सिंचाई की व्यवस्था हो जाती तो हमलोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं होता। इस समस्या को न आजतक कोई मंत्री, सांसद और न ही क्षेत्रीय नेता ध्यान दिया।

किसान की इतनी बड़ी समस्या की ओर न सूबे की सरकार ध्यान देती है ओर न हीं केंद्र की सरकार। एक ओर किसान को फसल के पटवन के लिए पानी फसल के लिए पानी की सुविधा के ले लिए माध्यान देता है और


Conclusion:अगर सरकार इस पाइन को जीर्णोद्धार कर देती है तो यहां के हजारों किसानों का भाग्य एकबार फिर लहलहा उठेगा और उन्हें सरकारी मुआवज़े की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन अब देखनेवाली बात यह होगी कि इसपर सरकार कब तक एक्शन लेती है।
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