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नवादाः घर में नहीं था शौचालय, मजदूरी कर चार बहनों ने मिलकर बना डाला शौचालय

स्वच्छता अभियान के जिला समन्वयक हेमंत कुमार का कहना है कि हमारे जिला स्वच्छता समिति के सदस्यों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उसके बाद सभी बहने खुद मिलकर घर में रखे पुराने ईट से शौचालय का निर्माण किया. इसके लिए लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 12 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है, जो कि उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है.

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Published : Dec 21, 2019, 12:52 PM IST

नवादाः जिले के रजौली प्रखंड स्थित एक गांव है प्राणचक. जहां की चार बहनों ने अपनी मेहनत से मिसाल पेश की है. प्राणचक गांव की चार बहनों ने घर में शौचालय बनाया है. इसके पहले इनके घर में शौचालय नहीं था. जिसके कारण ये अक्सर परेशान रहा करती थी.

बहनों ने मिल कर बनाया शौचालय
प्राणचक गांव में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन तय हुआ. तब स्वच्छता अभियान से जुड़े कर्मियों ने गांव का दौरा किया और लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. इसी दौरान उनकी नजर इन चार बहनों पर पड़ी. बातचीत की और उन्हें शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद शौचालय बनाने का मन सभी बहनों ने बना लिया, पर शौचालय बनता कैसे घर में तो पैसे थे नहीं. जिसके बाद बहनों ने खुद की मेहनत और मजदूरी से शौचालय महज चार दिन के भीतर ही पक्का शौचालय बना दिया. इसके लिए उसने घर में रखे पुरानी ईट को ब्रश से साफ किया. हौज के लिए खुद ही गड्ढे खोदे और उधार बालू-सीमेंट मंगाकर इसको तैयार किया.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहती है खुशबू
खुश्बू बताती है कि घर में पहले शौचालय नहीं था. स्वच्छता अभियान के कर्मियों ने शौचालय बनाने को प्रेरित किया. फिर हम दोनों बहन खुद गड्ढा खोदे और शौचालय तैयार किया. वहीं, विभा कहती है अब बाहर खेत में जाना नहीं पड़ता है. अगर प्रोत्साहन राशि मिल जाए तो और बेहतर कर सकते हैं.

पुराने ईट से शौचालय का निर्माण
वहीं, स्वच्छता अभियान के जिला समन्वयक हेमंत कुमार का कहना है कि हमारे जिला स्वच्छता समिति के सदस्यों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उसके बाद सभी बहने खुद मिलकर घर में रखे पुराने ईट से शौचालय का निर्माण किया. इसके लिए लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 12 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है, जो कि उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है.

नवादाः जिले के रजौली प्रखंड स्थित एक गांव है प्राणचक. जहां की चार बहनों ने अपनी मेहनत से मिसाल पेश की है. प्राणचक गांव की चार बहनों ने घर में शौचालय बनाया है. इसके पहले इनके घर में शौचालय नहीं था. जिसके कारण ये अक्सर परेशान रहा करती थी.

बहनों ने मिल कर बनाया शौचालय
प्राणचक गांव में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन तय हुआ. तब स्वच्छता अभियान से जुड़े कर्मियों ने गांव का दौरा किया और लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. इसी दौरान उनकी नजर इन चार बहनों पर पड़ी. बातचीत की और उन्हें शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद शौचालय बनाने का मन सभी बहनों ने बना लिया, पर शौचालय बनता कैसे घर में तो पैसे थे नहीं. जिसके बाद बहनों ने खुद की मेहनत और मजदूरी से शौचालय महज चार दिन के भीतर ही पक्का शौचालय बना दिया. इसके लिए उसने घर में रखे पुरानी ईट को ब्रश से साफ किया. हौज के लिए खुद ही गड्ढे खोदे और उधार बालू-सीमेंट मंगाकर इसको तैयार किया.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहती है खुशबू
खुश्बू बताती है कि घर में पहले शौचालय नहीं था. स्वच्छता अभियान के कर्मियों ने शौचालय बनाने को प्रेरित किया. फिर हम दोनों बहन खुद गड्ढा खोदे और शौचालय तैयार किया. वहीं, विभा कहती है अब बाहर खेत में जाना नहीं पड़ता है. अगर प्रोत्साहन राशि मिल जाए तो और बेहतर कर सकते हैं.

पुराने ईट से शौचालय का निर्माण
वहीं, स्वच्छता अभियान के जिला समन्वयक हेमंत कुमार का कहना है कि हमारे जिला स्वच्छता समिति के सदस्यों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उसके बाद सभी बहने खुद मिलकर घर में रखे पुराने ईट से शौचालय का निर्माण किया. इसके लिए लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 12 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है, जो कि उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है.

Intro:नवादा। जिले के रजौली प्रखंड स्थित एक गांव है प्राणचक। जहां की चार बहनों ने अपनी मेहनत से मिसाल पेश की है। जी हां हम बात कर रहे हैं प्राणचक गांव की उन चार बहनों की जिसके घर में पहले शौचालय नहीं था जिसके कारण अक्सर परेशान रहा करती थी। चाहती तो वो भी थी कि हमारे घर में शौचालय हो पर घर की आर्थिक स्थिति देखकर कुछ बोल नहीं पाती थी।




Body:तभी उसके गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन तय हुआ। इसको देखते हुए स्वच्छता अभियान से जुड़े कर्मियों ने गांव का दौरा किया और लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी क्रम उनकी नज़र इन चार बहनों पर पड़ी। बातचीत की और उन्हें शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके शौचालय बनाने का मन सभी बहनों ने तो बना लिया पर शौचालय बनता कैसे घर में तो पैसे थे नहीं लिहाज़ा उसने खुद की मेहनत और मजदूरी से शौचालय बनाने का ठान लिया और महज चार दिन के भीतर ही पक्का शौचालय बना दिया।
इसके लिए उसने घर में रखे पुरानी ईंट को ब्रश से साफ़ किया। हौज के लिए ख़ुद ही गड्ढे खोदे और उधार बालू -सीमेंट मंगाकर इसको तैयार किया।

खुश्बू, विभा, जुली और मंजू चारों बहने है। इन चारों बहनों में से सबसे बड़ी है खुश्बू। खुश्बू स्नातक पार्ट-i में पढ़ती है। पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारी भी बख़ूबी से निभाती है जिसमें चारों बहनों का भरपूर सहयोग रहता है।

खुश्बू बताती है कि,घर में पहले शौचालय नहीं था। स्वच्छता अभियान के कर्मी शौचालय बनाने को फिर हम दोनों बहन खुद गड्ढा खोदे और शौचालय तैयार किया। वहीं, विभा कहती है अब बाहर खेत में जाना नहीं पड़ता है।अगर प्रोत्साहन राशि मिल जाए तो और बेहतर कर सकते हैं।

बाइट- खुश्बू कुमारी
बाइट- विभा कुमारी

खुश्बू के पिता शैलेन्द्र कुमार छोटे किसान हैं। 10 कट्ठा में खेती करते हैं उसी से किसी तरह परिवार चलता है। परिवार के सात सदस्य रहते हैं। उनका कहना है, खेती से तो शौचालय बनाना संभव नहीं था 10 कट्ठा भाई पर पड़ता है इससे बच्चे को पढ़ाने लिखाने में नहीं बनता है शौचालय बनाना कैसे संभव होता। बच्चे ने खुद गड्ढे की खुदाई की और घर में रखे पुराने ईंट को साफ किया। फिर सीमेंट उधारी लेकर आये फिर सब मिलकर शौचालय बनाया।

बाइट- शैलेन्द्र कुमार, खुश्बू के पिता

वहीं, स्वच्छता अभियान के जिला समन्वयक हेमंत कुमार का कहना है कि, हमारे जिला स्वच्छता समिति के सदस्यों ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उसके बाद सभी बहने खुद मिलकर घर में रखे पुराने ईंट से शौचालय का निर्माण किया है। इसके लिए लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 12 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान जोकि उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है।

बाइट- हेमंत कुमार, जिला समन्वयक, स्वच्छता अभियान



Conclusion:भलेहि गांव की लड़कियां शर्म हया रखती हो पर उसे थोड़ा प्रोत्साहन मिल जाए तो वो कुछ भी कर सकती है और अगर बात सम्मान की हो तो और भी।
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