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कोरोना से सबसे लंबी जंग: 57 दिन बाद पुरुषोत्तम को मिली जीत, बेटी ने कहा-थैंक्यू डॉक्टर साहब

नवादा के रहने वाले पुरुषोत्तम ने 57 दिनों के बाद कोरोना से जंग जीत ली है. डॉक्टरों ने बताया कि कई बार ऐसा लगा कि पुरुषोत्तम को बचा नहीं पाएंगे लेकिन उनके जीने के जज्बे की वजह से वे जंग जीत गए. पत्नी ने कहा कि अब सरकारी अस्पतालों पर भरोसा काफी बढ़ गया है.

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Published : Jun 26, 2021, 6:43 PM IST

रांची/नवादा: कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोग काल के गाल में समा गए. हालात तो ऐसे थे कि कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही लोगों का दिल बैठ जाता था. हर तरफ से लगातार निगेटिव बातें ही सामने आ रहीं थीं. इसी दौरान बिहार के नवादा जिले के रहने वाले पुरुषोत्तम को भी कोरोना ने अपनी जद में ले लिया लेकिन पुरुषोत्तम में जीने का जज्बा था और इसी जज्बे के दम पर 57 दिन में उन्होंने कोरोना को मात दी.

यह भी पढ़ें: डेल्टा प्लस वेरिएंट: केंद्र ने 8 राज्यों को कहा- तत्काल करें रोकथाम के उपाय

27 अप्रैल को कराया भर्ती, दो दिन बाद ले आए रांची
तबीयत खराब होने पर घर वालों ने 27 अप्रैल को पुरुषोत्तम को नवादा के अस्पताल में भर्ती कराया था. ऑक्सीजन न मिलने के कारण पुरुषोत्तम की स्थिति बिगड़ने लगी. 29 अप्रैल को परिजन किसी तरह पुरुषोत्तम को लेकर रांची आ गए और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. दो दिन में ही पुरुषोत्तम की स्थिति और खराब हो गई.

देखें वीडियो

57 दिन में जीती जंग
2 मई को परिजनों ने पुरुषोत्तम को रांची के सदर अस्पताल में भर्ती कराया. सदर अस्पताल के डॉक्टर अजीत और उनकी टीम पुरुषोत्तम को बचाने के लिए जी जान से जुट गए. 57 दिनों तक पुरुषोत्तम का इलाज चला और उन्होंने कोरोना से जंग जीत ली. डॉक्टरों ने बताया कि कई बार ऐसा लगा कि पुरुषोत्तम को बचाना मुश्किल होगा. इस दौरान कई उतार चढ़ाव आए लेकिन धीरे-धीरे डॉक्टरों की मेहनत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया.

'थैंक्यू डॉक्टर साहब...'

26 जून को रांची के सदर अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर पुरुषोत्तम ने हाथ जोड़कर डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया. उनकी 3 साल की नन्हीं बच्ची ने भी थैंक्यू डॉक्टर साहब कहकर डॉक्टरों को धन्यवाद दिया. पुरुषोत्तम की पत्नी ने कहा कि हमारे परिवार का अब सरकारी अस्पतालों पर भरोसा कायम हो चुका है. अब तक लगता था कि निजी अस्पताल में ही सही इलाज होता है लेकिन मुसीबत की घड़ी में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है.

पुरुषोत्तम के ठीक होने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक एस मंडल ने कहा कि पुरुषोत्तम की हालत ऐसी हो गई थी उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा था लेकिन अब वह स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहे हैं और उनके स्वस्थ होने पर सदर अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी काफी खुश हैं.

रांची/नवादा: कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोग काल के गाल में समा गए. हालात तो ऐसे थे कि कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही लोगों का दिल बैठ जाता था. हर तरफ से लगातार निगेटिव बातें ही सामने आ रहीं थीं. इसी दौरान बिहार के नवादा जिले के रहने वाले पुरुषोत्तम को भी कोरोना ने अपनी जद में ले लिया लेकिन पुरुषोत्तम में जीने का जज्बा था और इसी जज्बे के दम पर 57 दिन में उन्होंने कोरोना को मात दी.

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27 अप्रैल को कराया भर्ती, दो दिन बाद ले आए रांची
तबीयत खराब होने पर घर वालों ने 27 अप्रैल को पुरुषोत्तम को नवादा के अस्पताल में भर्ती कराया था. ऑक्सीजन न मिलने के कारण पुरुषोत्तम की स्थिति बिगड़ने लगी. 29 अप्रैल को परिजन किसी तरह पुरुषोत्तम को लेकर रांची आ गए और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. दो दिन में ही पुरुषोत्तम की स्थिति और खराब हो गई.

देखें वीडियो

57 दिन में जीती जंग
2 मई को परिजनों ने पुरुषोत्तम को रांची के सदर अस्पताल में भर्ती कराया. सदर अस्पताल के डॉक्टर अजीत और उनकी टीम पुरुषोत्तम को बचाने के लिए जी जान से जुट गए. 57 दिनों तक पुरुषोत्तम का इलाज चला और उन्होंने कोरोना से जंग जीत ली. डॉक्टरों ने बताया कि कई बार ऐसा लगा कि पुरुषोत्तम को बचाना मुश्किल होगा. इस दौरान कई उतार चढ़ाव आए लेकिन धीरे-धीरे डॉक्टरों की मेहनत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया.

'थैंक्यू डॉक्टर साहब...'

26 जून को रांची के सदर अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर पुरुषोत्तम ने हाथ जोड़कर डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया. उनकी 3 साल की नन्हीं बच्ची ने भी थैंक्यू डॉक्टर साहब कहकर डॉक्टरों को धन्यवाद दिया. पुरुषोत्तम की पत्नी ने कहा कि हमारे परिवार का अब सरकारी अस्पतालों पर भरोसा कायम हो चुका है. अब तक लगता था कि निजी अस्पताल में ही सही इलाज होता है लेकिन मुसीबत की घड़ी में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है.

पुरुषोत्तम के ठीक होने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक एस मंडल ने कहा कि पुरुषोत्तम की हालत ऐसी हो गई थी उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा था लेकिन अब वह स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहे हैं और उनके स्वस्थ होने पर सदर अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी काफी खुश हैं.

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