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नवादा: विकास से कोसों दूर है भोलानगर गांव, आजादी के 71 साल बाद भी नहीं बनी सड़क

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Published : Aug 9, 2019, 12:52 PM IST

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन इसी सड़क से आना जाना होता है, बहुत दिक्कत होती है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. लाख शिकायत करने के बाद भी कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आते.

कच्ची सड़क

नवादा: सूबे की सरकार बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नवादा जिले का भोलानगर गांव विकास से कोसों दूर है. नाला और सोलिंग की बात तो छोड़िए, गांव से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए पक्की सड़कें तक नहीं है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाये तो मुसीबत और भी बढ़ जाती है.

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सड़क की मरम्मत नहीं होने से आवागमन में परेशानी

देश को स्वतंत्र हुए 70 साल से अधिक हो चुके हैं. लेकिन अभी भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से नदारद हैं. नवादा के रोह प्रखंड मुख्यालय से महज 3 किमी की दूरी पर स्थित दलित बस्ती भोलानगर गांव है. यहां के लोगों को अभी भी पक्की सड़क नसीब नहीं हुई है. बारिश का मौसम यहां के लोगों के लिए आफत बनकर आता है. कच्ची सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती है. दो कदम पैदल चलना भी दुश्वार हो जाता है.

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ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रवींद्र प्रसाद

सड़क की मरम्मत नहीं होने से आवागमन में परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन इसी सड़क से आना जाना होता है, बहुत दिक्कत होती है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. लाख शिकायत करने के बाद भी कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आते. अब तक कई सांसद और विधायक आये और गये लेकिन किसी ने सड़क की मरम्मत कराना मुनासिब नहीं समझा. हर बार चुनाव में मुद्दे तो बनते हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सारे मुद्दे गायब हो जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं अधिकारी?
मामले पर जब ग्रामीण कार्य विभाग के जेई से बात की गई, तो उन्होंने आश्वासन भरे लहजे में कहा कि भोलानगर की सड़क का टेंडर पास हो गया है, वर्क भी अलॉट हो गया है. हम लोगों ने काम शुरू किया था, लेकिन बरसात के कारण रोक दिया है. बरसात खत्म होते ही काम फिर से शुरु किया जायेगा.

सड़क बनने से दर्जनों गांव को मिलेगा लाभ
कादिरगंज-रोह मुख्य पथ से भोलनगर की ओर जाने वाली कच्ची सड़कें पक्की हो जाने से सिर्फ भोलानगर ही नहीं, बल्कि नजरडीहा पंचायत के दर्जनों गांव में रहने वाले हजारों लोगों को भी लाभ होगा. अगर किसी ने इस ओर ध्यान दिया होता, तो सड़क कब की बन चुकी होती.

नवादा: सूबे की सरकार बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नवादा जिले का भोलानगर गांव विकास से कोसों दूर है. नाला और सोलिंग की बात तो छोड़िए, गांव से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए पक्की सड़कें तक नहीं है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाये तो मुसीबत और भी बढ़ जाती है.

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सड़क की मरम्मत नहीं होने से आवागमन में परेशानी

देश को स्वतंत्र हुए 70 साल से अधिक हो चुके हैं. लेकिन अभी भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से नदारद हैं. नवादा के रोह प्रखंड मुख्यालय से महज 3 किमी की दूरी पर स्थित दलित बस्ती भोलानगर गांव है. यहां के लोगों को अभी भी पक्की सड़क नसीब नहीं हुई है. बारिश का मौसम यहां के लोगों के लिए आफत बनकर आता है. कच्ची सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती है. दो कदम पैदल चलना भी दुश्वार हो जाता है.

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ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रवींद्र प्रसाद

सड़क की मरम्मत नहीं होने से आवागमन में परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन इसी सड़क से आना जाना होता है, बहुत दिक्कत होती है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. लाख शिकायत करने के बाद भी कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आते. अब तक कई सांसद और विधायक आये और गये लेकिन किसी ने सड़क की मरम्मत कराना मुनासिब नहीं समझा. हर बार चुनाव में मुद्दे तो बनते हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सारे मुद्दे गायब हो जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं अधिकारी?
मामले पर जब ग्रामीण कार्य विभाग के जेई से बात की गई, तो उन्होंने आश्वासन भरे लहजे में कहा कि भोलानगर की सड़क का टेंडर पास हो गया है, वर्क भी अलॉट हो गया है. हम लोगों ने काम शुरू किया था, लेकिन बरसात के कारण रोक दिया है. बरसात खत्म होते ही काम फिर से शुरु किया जायेगा.

सड़क बनने से दर्जनों गांव को मिलेगा लाभ
कादिरगंज-रोह मुख्य पथ से भोलनगर की ओर जाने वाली कच्ची सड़कें पक्की हो जाने से सिर्फ भोलानगर ही नहीं, बल्कि नजरडीहा पंचायत के दर्जनों गांव में रहने वाले हजारों लोगों को भी लाभ होगा. अगर किसी ने इस ओर ध्यान दिया होता, तो सड़क कब की बन चुकी होती.

Intro:नवादा। देश स्वतंत्र हुए 70 साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन अभी ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क सुविधा से महरूम हैं कई गांव। सूबे की सरकार सड़क बनाने की बड़े-बड़े दावें तो कर रही है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही बयां कर रही है। जिले के रोह प्रखंड मुख्यालय से महज 3 किमी की दूरी पर स्थित दलित बस्ती भोलानगर गांव है जहां पहुंचने के बाद ऐसा लगता है मानो विकास इनसे अभी भी कोसों दूर है। नली-सोलिंग की तो बात छोड़िए, गांव से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए एक पक्की सड़कें तक नहीं है। जिससे लोगों को काफी दिक्कतें होती है। खासकर अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाये तो और भी मुसीबत खड़ी हो जाती है।




Body:बारिश के मौसम तो यहां के लोगों के लिए आफत बनकर आती है। कच्ची सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती है। दो कदम पैदल चलना भी दुस्वार हो जाता है। लेकिन न इसपे यहां के पदाधिकारी ध्यान दे पा रहे हैं और न यहाँ के जनप्रतिनिधि आखिर आम जनता जाये तो जाये किसके पास?


सड़क बनने से आधे दर्जन गांवों के लोगों मिलेगा लाभ

कादिरगंज-रोह मुख्य पथ से भोलनगर की ओर जानेवाली कच्ची सड़कें पक्की हो जाने से सिर्फ भोलानगर ही नहीं बल्कि नजरडीहा पंचायत के कई गांव में रहनेवाले हजारों लोगों को भी लाभ होगा।

अब तक नहीं पड़ी इस सड़क पर किसी जनप्रतिनिधियों की नजर

अब तक कई सांसद और एमएलए यहां के लोगों ने बनाये लेकिन किसी से सड़क की हसरत नहीं हो सकी पूरी। चुनाव में मुद्दे तो हर बार बनते हैं लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सारे मुद्दे गायब।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

स्थानीय प्यारे चौहान का कहना है कि, सड़क से बराबर आना जाना पड़ता है। बहुत दिक्कत होती है। सड़क नहीं होने के कारण कोई प्रशासन मुख्य पथ से इस सड़क पर उतरता ही नहीं है नेता लोग को बराबर कहते हैं लेकिन सब बदलते रहता है। वहीं, विदेश्वर का कहना है कि बारिश में तो एकदम इसका कचड़ा हालत रहता है। अगर जनप्रतिनिधि ध्यान देते तो अब तक बन नहीं गया होता।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रविन्द्र प्रसाद सिंह का कहना है कि, भोलनगर के सड़क का टेंडर हो गया है। वर्क भी अलॉट हो गया है। हमलोगों ने काम शुरू किया था लेकिन बरसात के कारण रोक दिया है।







जिसमें महादलित परिवारों की काफी संख्या है साल हो चुके हैं लेकिन देश में जी रहे लोगों को एक सड़क तक नसीब नहीं हो पाया है यहां हम बात कर रहे हैं नवादा जिले के जो प्रखंड अंतर्गत आने वाले गांव भोला नगर की जो कादिर गंज से रॉकी ओर जाने वाली मुख्य पद से निकल कर भोला नगर को जाती है जबकि इस गांव की दूरी प्रखंड मुख्यालय से महज दो से 3 किलोमीटर की दूरी पर है अधिक परेशानियों का सामना ग्रामीणों को बरसात के मौसम में करना पड़ता है कच्ची सड़के समंदर का आकार ले लेती जब गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाने में लोगों को पसीने छूट जाते हैं। नेताजी को आश्वासन देने के सिवा कुछ नहीं मिल पाया है लोल फूल लोग खुद ही प्रखंड जाकर सड़कों की मांग करते रहे हैं लेकिन उनकी बातों पर अधिकारियों ने तनिक सी भी ध्यान देने की जरूरत नहीं की। रोहित आने वाली रोह जाने वाली मुख्य मार्ग से भोला नगर होते हुए कई गांवों तक जाने वाली सड़कें अभी तक नहीं बन पाई है जिसके वजह से सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे निकल आए हैं साथी बारिश होने पर यह सर के कीचड़ से भर जाता है जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है हालांकि चुनाव में हरिद्वार मुद्दा उठाए जाते हैं लेकिन उसका कोई समाधान चुनाव के बाद नहीं निकल पाता।


Conclusion:
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