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नवादा: सफेद हाथी साबित हो रहा करोड़ों की लागत से बना पंचायत भवन, बदहाली पर बहा रहा आंसू

जिले के छतिहार गांव में 2 करोड़ 34 लाख की लागत से पंचायत भवन का निर्माण करवाया गया था. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

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Published : Feb 14, 2020, 4:50 AM IST

पंचायत भवन बदहाली पर बहा रहा आंसू
पंचायत भवन बदहाली पर बहा रहा आंसू

नवादा: प्रदेश की सरकार एक ओर जहां सभी पंचायतों में करोड़ों की लागत से पंचायत भवन का निर्माण करा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले के हिसुआ प्रखंड स्थित छतिहार गांव में 2 साल पूर्व बने पंचायत भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है.

दरअसल, छतिहार गांव में करोड़ों की लागत से पंचायत भवन तो बनाया गया. लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह खंडहर में तब्दील होने के कगार पर पहुंच चुकी है. भवन में बनाए गए वेंटिलेटर और खिड़कियों की शीशे तोड़ दिया गया है. भवन के कमरे के चारों ओर गंदगी फैली हुई है.

'2 करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण'

बता दें कि इस भवन का निर्माण 2 करोड़ 34 लाख की लागत से हुआ था. इस भवन का निर्माण 2016 में शुरू हुई थी और 2017 में कार्य पूर्ण हुआ था. ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर 2 बार अधिकारियों की बैठक हुई थी. पंचायत से हटकर भवन बनाए जाने के कारण यहां पर ना तो कोई जनप्रतिनिधि बैठता है और नाही कोई पंचायत सचिव. जिस वजह से यह भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बैठक के बाद भवन में लगा रहता है ताला'

इस मामले पर ग्रामीण बताते हैं कि भवन निर्माण काल से इस का हाल बदहाल है. यहां सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन के बाद बैठक होती है और उसके बाद भवन में ताला लग जाता है. लोगों का कहना है भवन का निर्माण उद्देश्य आज तक पूर्ण नहीं हो सका है. पूरा भवन जार्जर हो चुका है. इसको देखने वाला कोई नहीं है.

नवादा: प्रदेश की सरकार एक ओर जहां सभी पंचायतों में करोड़ों की लागत से पंचायत भवन का निर्माण करा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले के हिसुआ प्रखंड स्थित छतिहार गांव में 2 साल पूर्व बने पंचायत भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है.

दरअसल, छतिहार गांव में करोड़ों की लागत से पंचायत भवन तो बनाया गया. लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह खंडहर में तब्दील होने के कगार पर पहुंच चुकी है. भवन में बनाए गए वेंटिलेटर और खिड़कियों की शीशे तोड़ दिया गया है. भवन के कमरे के चारों ओर गंदगी फैली हुई है.

'2 करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण'

बता दें कि इस भवन का निर्माण 2 करोड़ 34 लाख की लागत से हुआ था. इस भवन का निर्माण 2016 में शुरू हुई थी और 2017 में कार्य पूर्ण हुआ था. ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर 2 बार अधिकारियों की बैठक हुई थी. पंचायत से हटकर भवन बनाए जाने के कारण यहां पर ना तो कोई जनप्रतिनिधि बैठता है और नाही कोई पंचायत सचिव. जिस वजह से यह भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बैठक के बाद भवन में लगा रहता है ताला'

इस मामले पर ग्रामीण बताते हैं कि भवन निर्माण काल से इस का हाल बदहाल है. यहां सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन के बाद बैठक होती है और उसके बाद भवन में ताला लग जाता है. लोगों का कहना है भवन का निर्माण उद्देश्य आज तक पूर्ण नहीं हो सका है. पूरा भवन जार्जर हो चुका है. इसको देखने वाला कोई नहीं है.

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