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नवादा: सदर अस्पताल में नहीं है डेंगू जांच की व्यवस्था, लोग परेशान

सदर अस्पताल में डेंगू के मरीजों की जांच के लिए एनएस-1 एंटीजेन किट भी मौजूद नहीं है. इसके कारण मरीजों को निजी क्लिनिक में अपना इलाज करवाना पड़ रहा है.

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Published : Nov 10, 2019, 10:28 AM IST

नवादा: जिले के शहरी व ग्रामीण इलाके में डेंगू बीमारी ने अपना पैर जमाना शुरू कर दिया है. यहां आम लोगों के साथ-साथ अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित हैं. वहीं, जिस अस्पताल पर जिले के 25 लाख जनता का देखरेख का भार है, उस अस्पताल में डेंगू जांच करने लिए किट नहीं है.

डेंगू विमारी से तीन लोग मौत
बीते सप्ताह में डेंगू के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. साथ ही अब तक डेंगू की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें मेसकौर प्रखंड के ढोढर गांव निवासी कुंदन कुमार हैं. वहीं, कुछ दिन पहले गोविंदपुर गांव में एक बच्ची शालू कुमारी की मौत भी डेंगू से हो गई थी. साथ ही महिला प्रसूति विभाग में कार्यरत जीएनएम गिरिजा देवी की मौत भी डेंगू की वजह से ही हुई थी.

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अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट

अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित
बताया जाता है कि गोविंदपुर के बीडीओ भी डेंगू का इलाज पटना में करवा रहे है. वहीं, प्रसाद बिगहा स्थित एक परिवार के कई सदस्यों में इस बीमारी का लक्षण पाया गया है, जिसे ईलाज के लिए पटना जाना पड़ा है. इतना सबकुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हो रही है.

डेंगू से परेशान हैं लोग

अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट
सदर अस्पताल में डेंगू के मरीजों की जांच के लिए एनएस-1 एंटीजेन किट भी मौजूद नहीं है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से रखा जाना है. इलाज कराने पहुंचे मरीज की जांच कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) से प्राप्त आंकड़े के आधार पर किया जा रहा है, जो कि मानक के अनुकूल नहीं है.

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अस्पताल में जलजमाव

अस्पताल में नहीं है बेड की व्यवस्था
सदर अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए पांच बेड वाला 1 वार्ड की व्यवस्था करने की बात तो कही गई थी, लेकिन अस्पताल में अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है. इसके कारण दर्जनों डेंगू से पीड़ित मरीज निजी क्लिनिक में अपना इलाज करावा रहे है.

नवादा: जिले के शहरी व ग्रामीण इलाके में डेंगू बीमारी ने अपना पैर जमाना शुरू कर दिया है. यहां आम लोगों के साथ-साथ अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित हैं. वहीं, जिस अस्पताल पर जिले के 25 लाख जनता का देखरेख का भार है, उस अस्पताल में डेंगू जांच करने लिए किट नहीं है.

डेंगू विमारी से तीन लोग मौत
बीते सप्ताह में डेंगू के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. साथ ही अब तक डेंगू की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें मेसकौर प्रखंड के ढोढर गांव निवासी कुंदन कुमार हैं. वहीं, कुछ दिन पहले गोविंदपुर गांव में एक बच्ची शालू कुमारी की मौत भी डेंगू से हो गई थी. साथ ही महिला प्रसूति विभाग में कार्यरत जीएनएम गिरिजा देवी की मौत भी डेंगू की वजह से ही हुई थी.

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अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट

अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित
बताया जाता है कि गोविंदपुर के बीडीओ भी डेंगू का इलाज पटना में करवा रहे है. वहीं, प्रसाद बिगहा स्थित एक परिवार के कई सदस्यों में इस बीमारी का लक्षण पाया गया है, जिसे ईलाज के लिए पटना जाना पड़ा है. इतना सबकुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हो रही है.

डेंगू से परेशान हैं लोग

अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट
सदर अस्पताल में डेंगू के मरीजों की जांच के लिए एनएस-1 एंटीजेन किट भी मौजूद नहीं है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से रखा जाना है. इलाज कराने पहुंचे मरीज की जांच कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) से प्राप्त आंकड़े के आधार पर किया जा रहा है, जो कि मानक के अनुकूल नहीं है.

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अस्पताल में जलजमाव

अस्पताल में नहीं है बेड की व्यवस्था
सदर अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए पांच बेड वाला 1 वार्ड की व्यवस्था करने की बात तो कही गई थी, लेकिन अस्पताल में अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है. इसके कारण दर्जनों डेंगू से पीड़ित मरीज निजी क्लिनिक में अपना इलाज करावा रहे है.

Intro:नवादा। जिले में तेजी से डेंगू पांव पसार रहा जबकि इस समय डेंगू खतरा कम रहता है। लेकिन डेंगू जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में जाने के बजाए अपना पैर जमाना शुरू कर दिया है। ऐसा नहीं है यह सिर्फ आम लोगों को ही अपने चपेट में ले रहे हैं बल्कि अधिकारी भी इसमे शामिल हो चुके हैं। लेकिन सबसे हैरत की बात यह है कि जिस सदर अस्पताल पर जिले के 25 लाख जनता का देखरेख का भार है उसके पास डेंगू जांच के किट नहीं है। ये मैं नहीं खुद सिविल सर्जन श्रीनाथ प्रसाद कह रहे हैं।

बाइट- श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा


3 तीन की मौत, विभाग बता रहा संदेहास्पद


पिछले एक सप्ताह से डेंगू के मरीजों की संख्या में काफी इज़ाफ़ा देखने को मिल रहे हैं। इससे अब तक तीन लोग अपना जान गवां चुके हैं। जिसमें, मेसकौर प्रखंड के तेतरिया पंचायत के ढोढर गांव निवासी पैक्स अध्यक्ष मनोज कुमार के 19 वर्षीय बड़े पुत्र कुंदन कुमार जोकि कोलकाता में रहकर स्नातक की पढ़ाई कर रहा था त्योहार को लेकर छुट्टी में घर आया था। गोविंदपुर में, एक बच्ची शालू कुमारी की मौत भी डेंगू से हो गई थी। महिला प्रसूति विभाग में कार्यरत जीएनएम गिरिजा देवी की मौत भी डेंगू के वजह से हो गई थी। हालांकि, स्वास्थ्य प्रबंधक अभी तक इसे संदेहास्पद बता रहे हैं।

बाइट- श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा

इतना ही नहीं गोविंदपुर के बीडीओ भी डेंगू का इलाज पटना में करवा रहे हैं। वहीं, प्रसाद बिगहा स्थित एक परिवार के कई सदस्यों में यह लक्षण पाया गया है। जिसे पटना ईलाज के किए जाना पड़ा है। इतना सबकुछ होने के बाद स्वास्थ्य विभाग बीमारी से जूझ रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हो रही है।


साफ- सफाई में बरत रहे कोताही


स्वास्थ्य विभाग बीमारी से जूझ रहे लोगों को इलाज देने में नाकाम साबित हो ही रहे हैं वहीं, साफ़-सफाई में भी कोताही बरतने से बाज नहीं आ रहे हैं। इमरजेंसी वार्ड के शौचालय के निकट गंदगी, शिशु गहन चिकित्सा केंद्र के खिड़कियों के पीछे लगी गंदगी डेंगू को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

बाइट- श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा


डेंगू जांच के लिए किट नहीं, CBC भरोसे चल रहा जांच


सदर अस्पताल में मरीजों की जांच के लिए एनएस-1 एंटीजेन किट भी मौजूद नहीं है जबकि, स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से रखा जाना है। इलाज कराने पहुंचे मरीज की जांच कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) से प्राप्त आंकड़े के आधार पर किया जा रहा है जोकि मानक के अनुकूल नहीं है।


निजी क्लीनिक में इलाज करवाने को मजबूर

सदर अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए पांच वेड वाला 1 वार्ड की व्यवस्था करने की बात तो कही गई थी लेकिन अस्पताल में अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दी है। हालात यह है कि दर्जनों मरीज निजी क्लिनिक में इलाज करा रहे हैं।









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