ETV Bharat / state

अगर आप भी परिवार का करना चाहते हैं भरण-पोषण तो मिलिए निशा से - Training to Grow Mushrooms

नवादा की निशा गांव की महिलाओं के लिए एक मिशाल बनी है. निशा ने अपने दम पर मशरूम की खेती शुरू की और आज उसी से वह लाखों रुपये कमा रही हैं.

nawada
nawada
author img

By

Published : Feb 19, 2020, 7:23 PM IST

नवादा: अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी अड़चन आड़े नहीं आती. बेमिसाल हौसले और जज्बे की धनी निशा ने इस कथन को सच कर दिखाया है. समरी-अकबरपुर प्रखंड के तेयार गांव की रहनेवाली निशा ने अपने दम पर मशरूम की खेती शुरू की. आज इस खेती के माध्यम से वह न सिर्फ अपने परिवार को संभाल रही हैं, बल्कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं.

अखबार से मिली जानकारी
निशा जियोग्राफी से ग्रेजुएट हैं. पहले निजी विद्यालय में पढ़ाती थीं, लेकिन उससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. तभी उसकी नजर अखबार में छपी मशरूम की खेती करनेवाली खबर पर पड़ी. फिर क्या था, निशा ने इसके बारे में पता लगाना शुरू किया और जानकारी मिलते ही सीएसडीएम नालंदा से 45 दिन की मशरूम उपजाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने गांव स्थित पुस्तैनी पुरानी पड़ी मकान में मशरूम की खेती शुरू कर दी.

nawada
रसोई में काम करती निशा

झोले में भरकर खुद बेचती थी मशरूम
शुरुआती दिनों में निशा खुद झोले में मशरूम लेकर नवादा शहर में जाकर बेचती थी. लेकिन, अब परिस्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. अब मशरूम झोले में नहीं बल्कि बोरे में भरकर ऑटो से सप्लाई करती हैं. निशा प्रत्येक दिन 15 से 20 किलो मशरूम उपजा रही हैं. इससे उन्हें सालाना लाखों रुपये की आमदनी हो रही है.

nawada
आज इस माध्यम से लाखों रुपये कमा रही है निशा

महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर
इतना ही नहीं वो गांव की दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. इसके साथ ही वे गांव की महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रैनिंग दे रही हैं. निशा का कहना है कि अगर उन्हें जिला प्रशासन से मदद मिलती है तो वे और बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन करेंगी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या है निशा का सपना
निशा का सपना है कि मशरूम की खेती में उन्हें एक अलग पहचान मिले. इस खेती के माध्यम से वह अधिक से अधिक आमदनी कर सकें. ताकि बच्चों को और बढ़िया स्कूलों में पढ़ा सकें. बता दें कि निशा को पटना में आयोजित सब्जी मेले में गुणवत्तापूर्ण मशरूम उपजाने के लिए प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है.

नवादा: अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी अड़चन आड़े नहीं आती. बेमिसाल हौसले और जज्बे की धनी निशा ने इस कथन को सच कर दिखाया है. समरी-अकबरपुर प्रखंड के तेयार गांव की रहनेवाली निशा ने अपने दम पर मशरूम की खेती शुरू की. आज इस खेती के माध्यम से वह न सिर्फ अपने परिवार को संभाल रही हैं, बल्कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं.

अखबार से मिली जानकारी
निशा जियोग्राफी से ग्रेजुएट हैं. पहले निजी विद्यालय में पढ़ाती थीं, लेकिन उससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. तभी उसकी नजर अखबार में छपी मशरूम की खेती करनेवाली खबर पर पड़ी. फिर क्या था, निशा ने इसके बारे में पता लगाना शुरू किया और जानकारी मिलते ही सीएसडीएम नालंदा से 45 दिन की मशरूम उपजाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद अपने गांव स्थित पुस्तैनी पुरानी पड़ी मकान में मशरूम की खेती शुरू कर दी.

nawada
रसोई में काम करती निशा

झोले में भरकर खुद बेचती थी मशरूम
शुरुआती दिनों में निशा खुद झोले में मशरूम लेकर नवादा शहर में जाकर बेचती थी. लेकिन, अब परिस्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. अब मशरूम झोले में नहीं बल्कि बोरे में भरकर ऑटो से सप्लाई करती हैं. निशा प्रत्येक दिन 15 से 20 किलो मशरूम उपजा रही हैं. इससे उन्हें सालाना लाखों रुपये की आमदनी हो रही है.

nawada
आज इस माध्यम से लाखों रुपये कमा रही है निशा

महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर
इतना ही नहीं वो गांव की दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. इसके साथ ही वे गांव की महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रैनिंग दे रही हैं. निशा का कहना है कि अगर उन्हें जिला प्रशासन से मदद मिलती है तो वे और बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन करेंगी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या है निशा का सपना
निशा का सपना है कि मशरूम की खेती में उन्हें एक अलग पहचान मिले. इस खेती के माध्यम से वह अधिक से अधिक आमदनी कर सकें. ताकि बच्चों को और बढ़िया स्कूलों में पढ़ा सकें. बता दें कि निशा को पटना में आयोजित सब्जी मेले में गुणवत्तापूर्ण मशरूम उपजाने के लिए प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.