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मुहल्लेवासियों ने स्कूल परिसर को बनाया कचरा डंपिंग जोन, बच्चों ने पूछा- स्कूल है या डस्टबिन?

इस सरकारी विद्यालय के इर्दगिर्द शिक्षित और रसूखदार लोगों का आशियाना है. इसके बावजूद भी किसी को स्कूली बच्चों की फिक्र नहीं है. लगातार मनाही के बाद भी घर के कूड़े-कचरे से लेकर जूठन तक यहां फेंकते हैं.

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Published : Jul 21, 2019, 12:17 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 12:54 PM IST

विद्यालय बना कचरा प्वाइंट

नवादा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान को साकार करने में स्कूली छात्र-छात्राएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लेकिन शहर के स्कूल में छात्र-छात्राएं खुद कचरे के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं. आलम यह है कि स्कूल आसपास के लोगों के लिए डंपिंग जोन बन चुका है.

'स्वच्छ भारत अभियान' को मुंह चिढ़ाती एक तस्वीर नगर परिषद क्षेत्र स्थित वार्ड-2 में हैं. जहां पठन-पाठन का केन्द्र मध्य विद्यालय कूड़ा-कचरा डंपिंग जोन बन चुका है. चारदीवारी भी विद्यालय को कुड़े से सुरक्षित नहीं रख पा रही है. स्कूल की जमीन से लेकर छत तक आसपास के लोग कचरा डंप कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे क्लासरूम की खिड़कियां तक नहीं खोल पा रहे हैं. कूड़े-कचरे से कई प्रकार की बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है.

nawada
स्कूल का खिड़की के पास फेंका हुआ कचरा

नहीं मान रहे मुहल्ले वासी
इस सरकारी विद्यालय के इर्दगिर्द शिक्षित और रसूखदार लोगों का आशियाना है. इसके बावजूद भी किसी को स्कूली बच्चों की फिक्र नहीं है. लगातार मनाही के बाद भी घर के कूड़े-कचरे से लेकर जूठन तक यहां फेंकते हैं.

nawada
प्रधानाध्यापक रामचंद्रा

स्कूल है या डस्टबिन?
कक्षा 8 की छात्रा स्वाति ने बताया, हम स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की प्रभातफेरी निकालते हैं. लेकिन हमारे विद्यालय में ही मुहल्लेवाले कचड़ा फेंकते हैं. यह स्कूल है या डस्टबिन? वहीं दूसरी छात्रा अंकिता ने बताया, बारिश में कूड़े की गंदगी से डायरिया फैलने का डर है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे.

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स्कूली छात्रा

अधिकारियों से गुहार लगाकर थक गए प्रिंसिपल
प्रधानाध्यापक रामचंद्रा ने बताया कि यहां पदाधिकारी और नगर परिषद के वरिय पदाधिकारी को भी वस्तुस्थिति से रूबरू करा दिया. लोग यहां नीचे से लेकर स्कूल की छत पर भी कचरा फेंक देते हैं. जल जमाव के डर से बारिश के मौसम में खुद ही स्वीपर से साफ कराते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बार-बार सफाई के बाद भी हालात नहीं बदले
वहीं, वार्ड-2 के पार्षद पति अरुण कुमार ने बताया कि कई बार साफ-सफाई करवाई जाती है. मुहल्लेवासियों ने उस जगह को कचरा प्वाइंट बना दिया है. हालांकि पार्षद पति ने दो-तीन दिन के अंदर साफ-सफाई करवाने का आश्वासन दिया.

नवादा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान को साकार करने में स्कूली छात्र-छात्राएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लेकिन शहर के स्कूल में छात्र-छात्राएं खुद कचरे के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं. आलम यह है कि स्कूल आसपास के लोगों के लिए डंपिंग जोन बन चुका है.

'स्वच्छ भारत अभियान' को मुंह चिढ़ाती एक तस्वीर नगर परिषद क्षेत्र स्थित वार्ड-2 में हैं. जहां पठन-पाठन का केन्द्र मध्य विद्यालय कूड़ा-कचरा डंपिंग जोन बन चुका है. चारदीवारी भी विद्यालय को कुड़े से सुरक्षित नहीं रख पा रही है. स्कूल की जमीन से लेकर छत तक आसपास के लोग कचरा डंप कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे क्लासरूम की खिड़कियां तक नहीं खोल पा रहे हैं. कूड़े-कचरे से कई प्रकार की बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है.

nawada
स्कूल का खिड़की के पास फेंका हुआ कचरा

नहीं मान रहे मुहल्ले वासी
इस सरकारी विद्यालय के इर्दगिर्द शिक्षित और रसूखदार लोगों का आशियाना है. इसके बावजूद भी किसी को स्कूली बच्चों की फिक्र नहीं है. लगातार मनाही के बाद भी घर के कूड़े-कचरे से लेकर जूठन तक यहां फेंकते हैं.

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प्रधानाध्यापक रामचंद्रा

स्कूल है या डस्टबिन?
कक्षा 8 की छात्रा स्वाति ने बताया, हम स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की प्रभातफेरी निकालते हैं. लेकिन हमारे विद्यालय में ही मुहल्लेवाले कचड़ा फेंकते हैं. यह स्कूल है या डस्टबिन? वहीं दूसरी छात्रा अंकिता ने बताया, बारिश में कूड़े की गंदगी से डायरिया फैलने का डर है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे.

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स्कूली छात्रा

अधिकारियों से गुहार लगाकर थक गए प्रिंसिपल
प्रधानाध्यापक रामचंद्रा ने बताया कि यहां पदाधिकारी और नगर परिषद के वरिय पदाधिकारी को भी वस्तुस्थिति से रूबरू करा दिया. लोग यहां नीचे से लेकर स्कूल की छत पर भी कचरा फेंक देते हैं. जल जमाव के डर से बारिश के मौसम में खुद ही स्वीपर से साफ कराते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बार-बार सफाई के बाद भी हालात नहीं बदले
वहीं, वार्ड-2 के पार्षद पति अरुण कुमार ने बताया कि कई बार साफ-सफाई करवाई जाती है. मुहल्लेवासियों ने उस जगह को कचरा प्वाइंट बना दिया है. हालांकि पार्षद पति ने दो-तीन दिन के अंदर साफ-सफाई करवाने का आश्वासन दिया.

Intro:नवादा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत देशभर में स्वच्छता को लेकर मुहिम चलाई जा रही है। वहीं, जिले के नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड-2 स्थित अभ्यास मध्य विद्यालय कूड़ा-कचड़ा फेंकने का डंपिंग जोन बनकर रह गया है। विद्यालय का को चारदीवारी से घेरा लगाया गया है लेकिन आसपास में रहनेवाले लोग यहीं कूड़ा डाल जाते हैं। कई लोग तो अपने मकान से सीधे स्कूल परिसर में और स्कूल के छत पर कूड़े-कचड़े डंप करते चलते बनते हैं मौजूदा हालात यह है कि बच्चे अपने क्लासरूम की खिड़कियां भी सही से नहीं खोल पाती है




Body:गंदगी से बच्चे हो सकते हैं बीमार

कई दिनों से पड़े कूड़े-कचड़े में बैक्टीरिया फैलने की संभावना बनी रहती है। इससे निकलनेवाले दुर्गंध बच्चों को बीमार बना सकता है। इतना ही नहीं गंदगी के ढेर से मच्छर जनित रोग भी पनपने की संभावनाएं बनी रहती है।

कहने पर भी नहीं मान रहे मुहल्लेवासी

बता दें कि जहां यह सरकारी विद्यालय है इसके इर्दगिर्द शिक्षित और रसूखदार लोगों के मकान है लेकिन इसके बावजूद किसी को विद्यालय में पढ़नेवाले बच्चों की फिक्र नहीं है लोग अपने घर के कूड़े-कचड़े तो डालते ही हैं साथ-साथ अपने घर के सारे जूठे भी फेंकते रहते है जिसको चारदीवारी वैसे ही देखा जा सकता है।

क्या कहते हैं विद्यालय के बच्चे

कक्षा 8 की छात्रा कहती स्वाति का कहना है, जिस स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान को लेकर पप्रभातफेरी निकलते हैं उसी के विद्यालय में मुहल्लेवाले सारे कचड़े फेंक देते हैं बतयाइये यह स्कूल है डस्टविन?। वहीं, अंकिता रानी का कहना है इस कूड़े की गंदगी के वजह से बारिश के मौसम में हमलोग को डायरिया फैल जाएगा तो हमलोग पढेंगें कैसे?

क्या कहते हैं प्रिंसिपल

प्रधानाध्यापक रामचंद्रा कहते हैं मैं विगत चार वर्षों से यहां प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापित हूँ। कई पदाधिकारी लोग भी यहां आये। नगर परिषद के टॉपअप पदाधिकारियों को भी दिखाये। इसके किनारे जो एल टाइप मुहल्ला बसा है वो नीचे तो छोड़िए छत के ऊपर भी कूड़ा-कचड़ा फेंक देते हैं। वर्षा ऋतु में पानी जमने के डर से हम स्वयं स्वीपर से साफ करते हैं।

क्या कहते हैं पार्षद

वार्ड-2 के पार्षदपति अरुण कुमार का कहना है, आप जो स्कूल परिसर और उसके बाहर कचड़ा देख रहे हैं उसे हमने कई बार साफ-सफाई करवाया लेकिन मुहल्लेवासियों ने उसे कचड़ा पॉइंट बना दिया है। मैं बार-बार साफ करवाता हूँ लेकिन जूठा कचड़ा, पेलोथिन लोग छत पर से फेंक देते हैं जिससे मोहल्लेवासी और स्कूल के बच्चे पर भी दूषित प्रभाव पड़ता है। मैं पुनः आपको आशा दिलाता हूँ कि दो-चार दिन के अंदर उसको साफ कर आपको दिखला दूंगा।



Conclusion:सवाल यह है ऐसे मुहल्ले में रहनेवाले लोगों के रहते कैसे बनेगा स्वच्छ भारत?
Last Updated : Jul 21, 2019, 12:54 PM IST
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