नवादा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान को साकार करने में स्कूली छात्र-छात्राएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लेकिन शहर के स्कूल में छात्र-छात्राएं खुद कचरे के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं. आलम यह है कि स्कूल आसपास के लोगों के लिए डंपिंग जोन बन चुका है.
'स्वच्छ भारत अभियान' को मुंह चिढ़ाती एक तस्वीर नगर परिषद क्षेत्र स्थित वार्ड-2 में हैं. जहां पठन-पाठन का केन्द्र मध्य विद्यालय कूड़ा-कचरा डंपिंग जोन बन चुका है. चारदीवारी भी विद्यालय को कुड़े से सुरक्षित नहीं रख पा रही है. स्कूल की जमीन से लेकर छत तक आसपास के लोग कचरा डंप कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे क्लासरूम की खिड़कियां तक नहीं खोल पा रहे हैं. कूड़े-कचरे से कई प्रकार की बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है.
नहीं मान रहे मुहल्ले वासी
इस सरकारी विद्यालय के इर्दगिर्द शिक्षित और रसूखदार लोगों का आशियाना है. इसके बावजूद भी किसी को स्कूली बच्चों की फिक्र नहीं है. लगातार मनाही के बाद भी घर के कूड़े-कचरे से लेकर जूठन तक यहां फेंकते हैं.
स्कूल है या डस्टबिन?
कक्षा 8 की छात्रा स्वाति ने बताया, हम स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की प्रभातफेरी निकालते हैं. लेकिन हमारे विद्यालय में ही मुहल्लेवाले कचड़ा फेंकते हैं. यह स्कूल है या डस्टबिन? वहीं दूसरी छात्रा अंकिता ने बताया, बारिश में कूड़े की गंदगी से डायरिया फैलने का डर है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे.
अधिकारियों से गुहार लगाकर थक गए प्रिंसिपल
प्रधानाध्यापक रामचंद्रा ने बताया कि यहां पदाधिकारी और नगर परिषद के वरिय पदाधिकारी को भी वस्तुस्थिति से रूबरू करा दिया. लोग यहां नीचे से लेकर स्कूल की छत पर भी कचरा फेंक देते हैं. जल जमाव के डर से बारिश के मौसम में खुद ही स्वीपर से साफ कराते हैं.
बार-बार सफाई के बाद भी हालात नहीं बदले
वहीं, वार्ड-2 के पार्षद पति अरुण कुमार ने बताया कि कई बार साफ-सफाई करवाई जाती है. मुहल्लेवासियों ने उस जगह को कचरा प्वाइंट बना दिया है. हालांकि पार्षद पति ने दो-तीन दिन के अंदर साफ-सफाई करवाने का आश्वासन दिया.