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जर्जर सरकारी भवन में रहने को मजबूर हैं अधिकारी, कभी भी हो सकता है हादसा

जिले के बड़े-बड़े अधिकारी जर्जर भवन में रहने को मजबूर हैं. 40 साल पुराने इस भवन की स्थिति दयनीय है. आलम यह है कि यह भवन कभी भी धराशायी हो सकता है.

जर्जर भवन
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Published : Aug 16, 2019, 2:13 PM IST

नवादा: जिला मुख्यालय के विजय बाजार स्थित ऑफिसर कॉलोनी खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यहां जिले के बड़े-बड़े पदाधिकारी और कर्मियों का आवास है. नियमित रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. इसके बावजूद अपनी जान जोखिम में डालकर पदाधिकारी रहने पर मजबूर हैं.

nawada building
जर्जर हालत में भवन

जान जोखिम में डालकर रह रहे अधिकारी
इस खंडहरनुमा आवास में जिला परिवहन पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता, डीपीआरओ ऑफिस के कर्मी रहते हैं. नियमित देखभाल के अभाव में सरकारी भवन की हालत काफी जर्जर हो गयी है. सभी सरकारी कर्मी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं. डीटीओ के आवास के नीचे का हिस्सा काफी जर्जर है. किसी तरह थोड़ी बहुत मरम्मत के बाद डीटीओ यहां रह रहे हैं. हालांकि यहां से लोगों को गुजरने से मना भी करते हैं. हालात ऐसे हो चुके हैं कि कमरे में भवन के बड़े-बड़े टुकड़े गिरते हैं. ऐसे में दो-मंजिला भवन कभी भी धराशायी हो सकता है.

nawada building
जर्जर भवन जहां बड़े अधिकारी रह रहे हैं

चार दशक पुराना है भवन
इस भवन का निर्माण चार दशक पहले हुआ था. भवन का निर्माण जिला के स्थापना के लिए किया गया था. मरम्मत के अभाव में भवन जर्जर हालात में हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह भवन खतरनाक है. कॉलोनी के मुख्य द्वार पर तैनात होमगार्ड जवान को रुकने के लिए जगह नहीं है. ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड के जवान ने बताया कि ऐसी हालात बहुत पहले से है. जांच के लिए पटना से टीम भी आयी थी लेकिन कुछ नहीं हुआ.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कार्यपाल अभियंता ने प्रतिक्रिया देने से किया इनकार
भवन की जर्जर स्थिति नगर परिषद के कार्यपाल अभियंता योगेंद्र नाथ दूबे सहित कोई भी पदाधिकारी कुछ कहने से बच रहे हैं. उन्होंने समस्याओं पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

नवादा: जिला मुख्यालय के विजय बाजार स्थित ऑफिसर कॉलोनी खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यहां जिले के बड़े-बड़े पदाधिकारी और कर्मियों का आवास है. नियमित रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. इसके बावजूद अपनी जान जोखिम में डालकर पदाधिकारी रहने पर मजबूर हैं.

nawada building
जर्जर हालत में भवन

जान जोखिम में डालकर रह रहे अधिकारी
इस खंडहरनुमा आवास में जिला परिवहन पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता, डीपीआरओ ऑफिस के कर्मी रहते हैं. नियमित देखभाल के अभाव में सरकारी भवन की हालत काफी जर्जर हो गयी है. सभी सरकारी कर्मी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं. डीटीओ के आवास के नीचे का हिस्सा काफी जर्जर है. किसी तरह थोड़ी बहुत मरम्मत के बाद डीटीओ यहां रह रहे हैं. हालांकि यहां से लोगों को गुजरने से मना भी करते हैं. हालात ऐसे हो चुके हैं कि कमरे में भवन के बड़े-बड़े टुकड़े गिरते हैं. ऐसे में दो-मंजिला भवन कभी भी धराशायी हो सकता है.

nawada building
जर्जर भवन जहां बड़े अधिकारी रह रहे हैं

चार दशक पुराना है भवन
इस भवन का निर्माण चार दशक पहले हुआ था. भवन का निर्माण जिला के स्थापना के लिए किया गया था. मरम्मत के अभाव में भवन जर्जर हालात में हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह भवन खतरनाक है. कॉलोनी के मुख्य द्वार पर तैनात होमगार्ड जवान को रुकने के लिए जगह नहीं है. ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड के जवान ने बताया कि ऐसी हालात बहुत पहले से है. जांच के लिए पटना से टीम भी आयी थी लेकिन कुछ नहीं हुआ.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कार्यपाल अभियंता ने प्रतिक्रिया देने से किया इनकार
भवन की जर्जर स्थिति नगर परिषद के कार्यपाल अभियंता योगेंद्र नाथ दूबे सहित कोई भी पदाधिकारी कुछ कहने से बच रहे हैं. उन्होंने समस्याओं पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

Intro:नवादा। जिला मुख्यालय के विजय बाजार के स्थित ऑफिसर कॉलोनी खंडहर का रूप ले लिया है। इसमें जिले बड़े-बड़े अधिकारी-पदाधिकारी और कर्मियों का आवास है। खंडहरनुमा आवास में जिले के जिला परिवहन पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता,डीपीआरओ ऑफिस के कर्मी यहां अपना जान जोख़िम में डालकर रहते हैं। कई वर्षों से नियमित देखभाल नहीं होने से सरकारी भवनों की हालत काफी जर्जर हो गया है। ख़ासकर डीटीओ ऑफिसर के आवास के निचे का हिस्सा काफी जर्जर है। डीटीओ साहब ऊपर तो थोड़ी बहुत मरम्मत के बाद रहने लायक बनवा लिए हैं पर नीचे की भवन की हालत को देखते हुए वहां किसी को न आने की सलाह देते रहते हैं। नीचे के कमरे में हमेशा लीलटर के बड़े-बड़े टुकड़े गिरते रहते हैं। उसके अंदर के लोहे को जंग खा चुकी है। हालात ऐसी है कि कभी भी दो-मंजिला भवन धराशाही हो सकती है। (सर,भवन निर्माण विभाग के अधिकारी पटना चले जाने के कारण आज बाइट नहीं मिल सका जैसे ही बाइट उपलब्ध होगी पॉवर डाइरेक्टर से पैकेज बनाकर भेज देंगे)


Body:योजना को संचालित करनेवाले अधिकारी ही असुरक्षित जिन अधिकारियों पर अपने-अपने डिपार्टमेंट के योजनाओं को पूरे जिले मे संचालित करने की जिम्मेदारी रहती है उन्हीं को रहने के लिए बेहतर सरकारी आवास की सुविधा नहीं है। फिलहाल जहां वो रहते हैं वहां हर पल हादसे की आशंका बनी रहती है। कमाल की बात यह है कि जिन कर्मियों एवं पदाधिकारियों के बदौलत जिले का चहुमुखी विकास के कार्यो को अंजाम देती है उसे भी सरकार एक बेहतर आवासीय सुविधा दे पाने में सक्षम नहीं हो पा रही है। चार दशक पहले हुआ था भवन का निर्माण नवादा जिला के स्थापना के बाद बनी यह सरकारी भवन समय-समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी सेफ नहीं है हालांकि होमगार्ड के जवान को कॉलोनी के मुख्य द्वार पर तैनात किया गया है लेकिन उसके रुकने के लिए कोई सिक्युरिटी रूम की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे होमगार्ड के जवान बारिश होने पर किसी बगल के दुकान या पेड़ का आड़ लेकर काम चलाते हैं। साथ ही क्वाटर के अलावे कहीं भी शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण होमगार्ड जवान को कहीं बाहर जा कर शौच करना पड़ता है। क्या कहते है वहां काम कर रहे कर्मी नगर परिषद के कार्यपाल अभियंता के ड्राइवर सुनील कुमार का कहना है कि ,भवन की स्थिति बहुत जर्जर है। इसके साथ- साथ जितने भी सरकारी भवन है सबकी यही हाल है। वहीं, कॉलोनी में ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड के जवान अरुण कुमार का कहना है कि, जब हम यहां है तबसे ऐसे ही देख रहे हैं। पटना से भी जांच के लिए आया था लेकिन अभी कुछ नहीं हुआ है। क्या कहते हैं अधिकारी सरकारी भवन की जर्जर स्थिति को लेकर भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र नाथ दूबे सहित कोई भी पदाधिकारी इन समस्याओं पर प्रतिक्रिया देने से परहेज कर दे रहे हैं।


Conclusion:
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