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नवादा में धड़ल्ले से जारी है खून का अवैध धंधा, प्रशासन की लापरवाही से फल-फूल रहा कारोबार

नवादा में खून के अवैध धंधे का मामला सामने आया है. पुलिस ने छापेमारी कर 7 लोगों को हिरासत में लिया है. यह लोग खून देते थे जिसके बदले में इन्हें रुपये दिए जाते थे.

बिहार पुलिस
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Published : Sep 2, 2020, 2:23 PM IST

नवादा: जिले में खून के अवैध धंधे का खेल धड़ल्ले से जारी है. दरअसल, नवादा में महज 2 ब्लड बैंक हैं. ऐसे में करीब 28 लाख आबादी वाले जिले में अवैध तरीके से खरीद-बिक्री हो रही है. जब इस बात की खबर जिला उप विकास आयुक्त वैभव कुमार चौधरी को मिली तो उन्होंने फौरन जांच के निर्देश दिए. उनके निर्देश पर सदर एसडीओ ने अपने नेतृत्व में नगर थानाध्यक्ष, ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. संजीव कुमार के साथ छापेमारी की. जब वे शहर के पुरानी जेल रोड पहुंचे तो वहां अपोलो सर्जिकल एंड यूरोलॉजी सेंटर का बोर्ड लगा हुआ मिला.

इस दौरान प्रशासन ने मकान के अंदर घुसने की कोशिश की तो अंदर से ताला लगा हुआ मिला. मकान मालिक को फोन कर बुलवाया गया और ताला खोलने को कहा गया. जहां अंदर चौथी मंजिल पर एक साथ 7 लोग बैठे दिखे. पुलिस ने मौके से 7 व्यक्ति को हिरासत में ले लिया. वहां से ब्लड चेक करने के केमिकल, 35 दवाइयां और स्लाइड जैसे समान आदि भी जब्त की. पूछताछ के दौरान हिरासत में लिए गए युवकों ने ब्लड बेचने की बात स्वीकार की.

नगर थाना, नवादा
नगर थाना, नवादा

हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ जारी
गिरफ्तार किए गए सात लोगों में एक अंतरराज्यीय और एक अन्तरजिले का रहने वाला है. बाकी पांच नवादा जिले के भिन्न-भिन्न जगहों के रहने वाले हैं. जिनमें पकरीबरावां के धेवधा निवासी मधुसूदन सिंह के बेटे संजय सिंह, अकबरपुर के डेरमा निवासी रूपम राजवंशी के बेटे ललन कुमार, बुंदेलखंड ओपी के कमालपुर निवासी मो. मुस्लिम के बेटे मो. शाहिद नारदीगंज निवासी धीरेंद्र सिंह के बेटे जितेंद्र कुमार, नगर थाना क्षेत्र के प्रसाद बिगहा निवासी राजेन्द्र साव के बेटे भोला साव शामिल हैं. वहीं, यूपी के कानपुर के खड़ताल सिंह के बेटे दिनेश सिंह और मुंगेर जिला मुख्यालय के मोगल बाजार निवासी सच्चिदानन्द प्रसाद के बेटा धीरज कुमार भी शामिल है.

खून का अवैध धंधा
खून का अवैध धंधा

10-11 बार बेचा गया है खून
पूछताछ में कई अवैध ब्लड बैंक का नाम भी उजागर हुआ है. पूछताछ के दौरान पता चला कि मुंगेर निवासी धीरज हर 15 दिन पर या महीने में दो बार खून बेचने नवादा आता था. अभी तक 3-4 बार खून बेच चुका है. कानपुर के दिनेश अब तक 10-11 बार अपना खून बेच चुका है. वहीं प्रसाद बिगहा के रहने वाले भोला साव का कहना है वह परिवार चलाने के लिए खून बेचा करता है. इसके लिए उन्हें 500-700 रुपये भी मिलते थे.

नियमों को दरकिनार कर हो रहा खून का अवैध धंधा
बता दें कि खून के व्यापारी नियमों को दरकिनार कर कमाई कर रहे हैं. खून देने के बाद लोगों को 120 दिन तक खून डोनेट नहीं करना है. लेकिन अवैध खून के धंधे करने वाले इन सब चीजों को भी दरकिनार कर ब्लड ले रहे हैं. इस अवैध धंधे पर अब तक जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं गया था इस कारण ब्लड बैंक का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है. जब ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. संजीव कुमार से जांच के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बात टाल दिया.

नवादा: जिले में खून के अवैध धंधे का खेल धड़ल्ले से जारी है. दरअसल, नवादा में महज 2 ब्लड बैंक हैं. ऐसे में करीब 28 लाख आबादी वाले जिले में अवैध तरीके से खरीद-बिक्री हो रही है. जब इस बात की खबर जिला उप विकास आयुक्त वैभव कुमार चौधरी को मिली तो उन्होंने फौरन जांच के निर्देश दिए. उनके निर्देश पर सदर एसडीओ ने अपने नेतृत्व में नगर थानाध्यक्ष, ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. संजीव कुमार के साथ छापेमारी की. जब वे शहर के पुरानी जेल रोड पहुंचे तो वहां अपोलो सर्जिकल एंड यूरोलॉजी सेंटर का बोर्ड लगा हुआ मिला.

इस दौरान प्रशासन ने मकान के अंदर घुसने की कोशिश की तो अंदर से ताला लगा हुआ मिला. मकान मालिक को फोन कर बुलवाया गया और ताला खोलने को कहा गया. जहां अंदर चौथी मंजिल पर एक साथ 7 लोग बैठे दिखे. पुलिस ने मौके से 7 व्यक्ति को हिरासत में ले लिया. वहां से ब्लड चेक करने के केमिकल, 35 दवाइयां और स्लाइड जैसे समान आदि भी जब्त की. पूछताछ के दौरान हिरासत में लिए गए युवकों ने ब्लड बेचने की बात स्वीकार की.

नगर थाना, नवादा
नगर थाना, नवादा

हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ जारी
गिरफ्तार किए गए सात लोगों में एक अंतरराज्यीय और एक अन्तरजिले का रहने वाला है. बाकी पांच नवादा जिले के भिन्न-भिन्न जगहों के रहने वाले हैं. जिनमें पकरीबरावां के धेवधा निवासी मधुसूदन सिंह के बेटे संजय सिंह, अकबरपुर के डेरमा निवासी रूपम राजवंशी के बेटे ललन कुमार, बुंदेलखंड ओपी के कमालपुर निवासी मो. मुस्लिम के बेटे मो. शाहिद नारदीगंज निवासी धीरेंद्र सिंह के बेटे जितेंद्र कुमार, नगर थाना क्षेत्र के प्रसाद बिगहा निवासी राजेन्द्र साव के बेटे भोला साव शामिल हैं. वहीं, यूपी के कानपुर के खड़ताल सिंह के बेटे दिनेश सिंह और मुंगेर जिला मुख्यालय के मोगल बाजार निवासी सच्चिदानन्द प्रसाद के बेटा धीरज कुमार भी शामिल है.

खून का अवैध धंधा
खून का अवैध धंधा

10-11 बार बेचा गया है खून
पूछताछ में कई अवैध ब्लड बैंक का नाम भी उजागर हुआ है. पूछताछ के दौरान पता चला कि मुंगेर निवासी धीरज हर 15 दिन पर या महीने में दो बार खून बेचने नवादा आता था. अभी तक 3-4 बार खून बेच चुका है. कानपुर के दिनेश अब तक 10-11 बार अपना खून बेच चुका है. वहीं प्रसाद बिगहा के रहने वाले भोला साव का कहना है वह परिवार चलाने के लिए खून बेचा करता है. इसके लिए उन्हें 500-700 रुपये भी मिलते थे.

नियमों को दरकिनार कर हो रहा खून का अवैध धंधा
बता दें कि खून के व्यापारी नियमों को दरकिनार कर कमाई कर रहे हैं. खून देने के बाद लोगों को 120 दिन तक खून डोनेट नहीं करना है. लेकिन अवैध खून के धंधे करने वाले इन सब चीजों को भी दरकिनार कर ब्लड ले रहे हैं. इस अवैध धंधे पर अब तक जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं गया था इस कारण ब्लड बैंक का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है. जब ड्रग इंस्पेक्टर डॉ. संजीव कुमार से जांच के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बात टाल दिया.

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