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विश्व स्तनपान सप्ताह: मां के दूध से नवजात शिशुओं की कई बीमारियां हो सकती हैं दूर

नियमित स्तनपान में कमी, समय से अनुपूरक आहार नहीं शुरू करने, अनुपूरक आहार के प्रति जानकारी का अभाव आदि कारणों से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है. यह बच्चों के उनके पूरे जीवनकाल प्रभावित करते हैं.

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Published : Aug 7, 2020, 8:00 PM IST

नवादा: नवजात व शिशुओं के बेहतर पोषण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिले में स्तनपान को बढ़ाये जाने की कवायद जारी है. इसके मद्देनजर शिशुओं के परिजनों के बीच मां के दूध के फायदों की जानकारी दी जा रही है. शुक्रवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन आंगनबाड़ी सेविकाओं, आशा, ममता कार्यकर्ता, एएनएम व स्वास्थ्यकर्मियों सहित जीविका स्वयं सहायता समूहों में भी स्तनपान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा मां के स्तनपान के फायदे, जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान, शिशु को जन्म के पहले 6 माह तक सिर्फ स्तनपान, स्तनपान की अवस्था, 6 माह से अधिक होने पर अनुपूरक आहार की शुरूआत व इसके साथ शिशु का 2 साल तक नियमित स्तनपान जारी रखने जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा कर उनके पोषण को सुनिश्चित कर उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाने का काम किया जा रहा है.

आंकड़ों पर गौर करने की है जरूरत
यह चिंता का विषय है कि जिले में महज 42.8 फीसदी बच्चों को ही जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान मिल पाता है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य कल्याण सर्वेक्षण-4 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 32.8 प्रतिशत शिशुओं को ही उनके जन्म से 6 माह तक पूर्ण स्तनपान करने का मौका मिल पाता है. बात जब स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देने की हो तो 6 माह से 8 माह तक के 45.4 प्रतिशत शिशुओं को ही स्तनपान व अनुपूरक आहार दोनों मिल पाता है. अनुपूरक आहार के प्रति जागरूकता नहीं होने से बच्चों को उनके उम्र के हिसाब से सही आहार नहीं मिल पाना बाद के समय में कुपोषण का कारण बनता है. जिले में 6 से 23 माह के महज 14.6 प्रतिशत शिशुओं को ही पूर्ण पोषण मिल पाता है.

चाइल्डहुड ल्यूकेमिया व आंखों की समस्या से सुरक्षा
विशेषज्ञों का मानना है कि स्तनपान बच्चों के जीवन में किया जाने वाला निवेश है जिसका फायदा लंबे समय तक उनके जीवन पर पड़ता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक जन्म के शुरुआती समय में जॉडिंस से पीड़ित शिशुओं को स्तनपान कराते रहना चाहिए. शिशुओं में आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्या, अस्थमा, मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, निमानिया व डायरिया के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों जैसे चाइल्डहुड ल्यूकेमिया यानी बच्चों में होने वाले रक्तकैंसर से भी बचाने के लिए स्तनपान बहुत अधिक मददगार है.

शिशु के बेहतर स्तनपान करने के संकेत:

  • शिशु 24 घंटे में 8 बार या इससे अधिक स्तनपान कर रहा है.
  • शिशु के त्वचा का रंग सामान्य है.
  • स्तनपान के समय शिशु शांत रहता है.
  • स्तनपान के बाद वह खुश और आराम महसूस करता है.
  • शिशु नैपीज गीला या गंदा करता है.
  • मां को स्तनपान कराने में आरामदेह महसूस करती है.
  • शिशु के स्तनपान के दौरान दूध निगलने की आवाज सुनने में सक्षम हैं.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
ममता और एएनएम स्तनपान कराने के फायदों की जानकारी माताओं को दे रही हैं. उनके द्वारा महिलाओं को स्तनपान कराने के सही तरीकों की भी जानकारी दी जा रही है. स्तनपान कराने के लिए अस्पतालों में स्तनपान कॉर्नर भी बनाये गये हैं.

नवादा: नवजात व शिशुओं के बेहतर पोषण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिले में स्तनपान को बढ़ाये जाने की कवायद जारी है. इसके मद्देनजर शिशुओं के परिजनों के बीच मां के दूध के फायदों की जानकारी दी जा रही है. शुक्रवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन आंगनबाड़ी सेविकाओं, आशा, ममता कार्यकर्ता, एएनएम व स्वास्थ्यकर्मियों सहित जीविका स्वयं सहायता समूहों में भी स्तनपान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा मां के स्तनपान के फायदे, जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान, शिशु को जन्म के पहले 6 माह तक सिर्फ स्तनपान, स्तनपान की अवस्था, 6 माह से अधिक होने पर अनुपूरक आहार की शुरूआत व इसके साथ शिशु का 2 साल तक नियमित स्तनपान जारी रखने जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा कर उनके पोषण को सुनिश्चित कर उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाने का काम किया जा रहा है.

आंकड़ों पर गौर करने की है जरूरत
यह चिंता का विषय है कि जिले में महज 42.8 फीसदी बच्चों को ही जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान मिल पाता है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य कल्याण सर्वेक्षण-4 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 32.8 प्रतिशत शिशुओं को ही उनके जन्म से 6 माह तक पूर्ण स्तनपान करने का मौका मिल पाता है. बात जब स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देने की हो तो 6 माह से 8 माह तक के 45.4 प्रतिशत शिशुओं को ही स्तनपान व अनुपूरक आहार दोनों मिल पाता है. अनुपूरक आहार के प्रति जागरूकता नहीं होने से बच्चों को उनके उम्र के हिसाब से सही आहार नहीं मिल पाना बाद के समय में कुपोषण का कारण बनता है. जिले में 6 से 23 माह के महज 14.6 प्रतिशत शिशुओं को ही पूर्ण पोषण मिल पाता है.

चाइल्डहुड ल्यूकेमिया व आंखों की समस्या से सुरक्षा
विशेषज्ञों का मानना है कि स्तनपान बच्चों के जीवन में किया जाने वाला निवेश है जिसका फायदा लंबे समय तक उनके जीवन पर पड़ता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक जन्म के शुरुआती समय में जॉडिंस से पीड़ित शिशुओं को स्तनपान कराते रहना चाहिए. शिशुओं में आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्या, अस्थमा, मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, निमानिया व डायरिया के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों जैसे चाइल्डहुड ल्यूकेमिया यानी बच्चों में होने वाले रक्तकैंसर से भी बचाने के लिए स्तनपान बहुत अधिक मददगार है.

शिशु के बेहतर स्तनपान करने के संकेत:

  • शिशु 24 घंटे में 8 बार या इससे अधिक स्तनपान कर रहा है.
  • शिशु के त्वचा का रंग सामान्य है.
  • स्तनपान के समय शिशु शांत रहता है.
  • स्तनपान के बाद वह खुश और आराम महसूस करता है.
  • शिशु नैपीज गीला या गंदा करता है.
  • मां को स्तनपान कराने में आरामदेह महसूस करती है.
  • शिशु के स्तनपान के दौरान दूध निगलने की आवाज सुनने में सक्षम हैं.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
ममता और एएनएम स्तनपान कराने के फायदों की जानकारी माताओं को दे रही हैं. उनके द्वारा महिलाओं को स्तनपान कराने के सही तरीकों की भी जानकारी दी जा रही है. स्तनपान कराने के लिए अस्पतालों में स्तनपान कॉर्नर भी बनाये गये हैं.

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