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कोरोना का असर: मुर्गा दुकानदारों को नहीं मिला रहा ग्राहक, मछली व्यवसायियों की बल्ले-बल्ले

कोरोना वायरस को लेकर फैल रहे अफवाह के कारण लोगों ने मुर्गा खाना छोड़ दिया. इस वजह से पॉल्ट्री व्यवसाय बेहाल है. हालांकि, लोगों ने मुर्गे की कमी को पूरा करते हुए अब अपने जायके में मछली को शामिल कर लिया है. ऐसे में एकतरफ जहा चिकेन शॉप चालने वाले दुकानदार मायूस हैं. वहीं मछली विक्रेता बल्ले-बल्ले कर रहे है.

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Published : Mar 17, 2020, 9:27 PM IST

कोरोना का असर
कोरोना का असर

नवादा: पूरे विश्व में कोरोना का दहशत मचा हुआ है. इस वायरस के दहशत से लोगों ने मुर्गा खाना छोड़ दिया है. इस वजह से पोल्ट्री उद्योग का हाल प्रदेश में बेहाल है. वायरस की खबर फैलते ही लोगों ने मुर्गे से तौबा कर लिया. जिससे बाजार में पॉल्ट्री उत्पादों कि किमत काफी कम हो गई है. मुर्गे का तोड़ निकालते हुए लोगों ने अपने जायके में अब मछली को शामिल कर लिया है. जिसके चलते जहां चिकेन शॉप चलानेवाले दुकानदारों में मायूसी है. वहीं, मछली बाजार में रौनक है.

'20 रुपये किलो भी नहीं बिक रहा मुर्गा'
चिकेन शॉप चलनेवाले मो. मिंटू बताते हैं कि जहां पहले दिन में 110-120 रुपए की रेट पर 200-250 किलो चिकेन की बिक्री हो जाती थी. अब कोरोना वायरस के चलते 20-25 रुपये किलो भी मुर्गा नहीं बिक रहा है. वहीं, स्थानीय ग्राहकों का कहना है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले तरह-तरह के मेसेजों से प्रभावित होकर चिकन नहीं खा रहें है. समूचे क्षेत्र में कोरोना वायरस का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है. वर्तमान समय में आलम यह है कि लोगों ने मुर्गे से किनारा कर लिया है. जिस वजह से मुर्गे को लोग मुफ्त में भी नहीं ले जाना चाहते.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मछली बाजार में रौनक
चिकेन का तोड़ निकालते हुए लोगों ने अपने जायके में मछली को शामिल कर लिया है. मुर्गे में फैली कोरोना वायरस के अफवाह के कारण बाजार में मछली की डिमांड अचानक बढ़ गई है. मछली विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार केवट का कहना है पिछले कुछ दिनों से मछली का डिमांड अचानक बढ़ गई है. जो मछली पहले 140 रुपए किलो बिकती थी. वह डीमांड बढ़ने के कारण 170 रुपये किलो बिक रही है.

ग्राहक की राह देखता  मुर्गा विक्रेता
ग्राहक की राह देखता मुर्गा विक्रेता

'मछली बाजार की व्यवस्था करे सरकार'
खुले में मछली बेचने के बारे में मछली विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने मछली बाजार के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं की है. यह सरकार की नाकामी है. सरकार इसके लिए व्यवस्था करे. हमलोगों को धूप में बैठकर व्यवसाय करने का शौक नहीं है. एक ओर सरकार मुर्गा पालन और मछली पालन के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं, दुसरी तरफ व्यवसाय छिनने की कोशिश की जा रही.

नवादा: पूरे विश्व में कोरोना का दहशत मचा हुआ है. इस वायरस के दहशत से लोगों ने मुर्गा खाना छोड़ दिया है. इस वजह से पोल्ट्री उद्योग का हाल प्रदेश में बेहाल है. वायरस की खबर फैलते ही लोगों ने मुर्गे से तौबा कर लिया. जिससे बाजार में पॉल्ट्री उत्पादों कि किमत काफी कम हो गई है. मुर्गे का तोड़ निकालते हुए लोगों ने अपने जायके में अब मछली को शामिल कर लिया है. जिसके चलते जहां चिकेन शॉप चलानेवाले दुकानदारों में मायूसी है. वहीं, मछली बाजार में रौनक है.

'20 रुपये किलो भी नहीं बिक रहा मुर्गा'
चिकेन शॉप चलनेवाले मो. मिंटू बताते हैं कि जहां पहले दिन में 110-120 रुपए की रेट पर 200-250 किलो चिकेन की बिक्री हो जाती थी. अब कोरोना वायरस के चलते 20-25 रुपये किलो भी मुर्गा नहीं बिक रहा है. वहीं, स्थानीय ग्राहकों का कहना है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले तरह-तरह के मेसेजों से प्रभावित होकर चिकन नहीं खा रहें है. समूचे क्षेत्र में कोरोना वायरस का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है. वर्तमान समय में आलम यह है कि लोगों ने मुर्गे से किनारा कर लिया है. जिस वजह से मुर्गे को लोग मुफ्त में भी नहीं ले जाना चाहते.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मछली बाजार में रौनक
चिकेन का तोड़ निकालते हुए लोगों ने अपने जायके में मछली को शामिल कर लिया है. मुर्गे में फैली कोरोना वायरस के अफवाह के कारण बाजार में मछली की डिमांड अचानक बढ़ गई है. मछली विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार केवट का कहना है पिछले कुछ दिनों से मछली का डिमांड अचानक बढ़ गई है. जो मछली पहले 140 रुपए किलो बिकती थी. वह डीमांड बढ़ने के कारण 170 रुपये किलो बिक रही है.

ग्राहक की राह देखता  मुर्गा विक्रेता
ग्राहक की राह देखता मुर्गा विक्रेता

'मछली बाजार की व्यवस्था करे सरकार'
खुले में मछली बेचने के बारे में मछली विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने मछली बाजार के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं की है. यह सरकार की नाकामी है. सरकार इसके लिए व्यवस्था करे. हमलोगों को धूप में बैठकर व्यवसाय करने का शौक नहीं है. एक ओर सरकार मुर्गा पालन और मछली पालन के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं, दुसरी तरफ व्यवसाय छिनने की कोशिश की जा रही.

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