नवादा: जिले के पकरीबरावां प्रखंड के ढ़ोढ़ा पंचायत के रेबार गांव मां कूष्मांडा देवी मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. इस मंदिर नवरात्रि में दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मैया के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं.
प्रत्येक वर्ष स्थापित की जाती है प्रतिमा
पूजा समिति के अध्यक्ष रघुनंदन प्रसाद, सचिव सुजीत कुमार और बालेश्वर प्रसाद बताते हैं कि उनके गांव में 1923 से दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य चलता आ रहा है. गांव के प्रवेश द्वार पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जहां शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रत्येक वर्ष मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है.
सभी मन्नतें होती हैं पूरी
1995 से पूर्व प्रतिमा निर्माण का कार्य लोगों के आपसी सहयोग से किया जाता था, लेकिन जब से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने लगी तब से श्रद्धालु प्रतिमा निर्माण में खर्च होने वाली राशि को खुद निर्वहन करने के लिए तैयार होने लगे हैं. एक वर्ष में दर्जनों श्रद्धालु प्रतिमा निर्माण और पूजा अर्चना पर खर्च होने वाली राशि का निर्वाहन करने के लिए सामने आते हैं.
श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के प्रयोग की हिदायत
कोरोना वायरस के कारण श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के प्रयोग की हिदायत दी गई है. वहीं प्रशासन ने मेला नहीं लगाए जाने और पंडाल का निर्माण न किए जाने की हिदायत दी है. मंदिर को भव्य रूप देने के लिए अब तक लगभग 25 लाख रुपये से भी अधिक खर्च किया जा चुका है. लगभग 2000 वर्ग फुट में मंदिर का निर्माण किया जा चुका है, जहां रंग रोगन के साथ टाइल्स मार्बल आदि भी लगाए जा चुके हैं. मंदिर निर्माण में सहयोग करने वाले बैजनाथ सहाय का परिवार गांव से दूर रहने के बावजूद भी दुर्गा पूजा के अवसर पर जरूर शामिल होता है.
मां कूष्मांडा को गुड़हल का फूल प्रिय
वहीं पूजा समिति के बालेश्वर प्रसाद, वरुण कुमार वर्मा, मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि इस वर्ष मूर्ति बनवाने वाले धमौल निवासी तारकेश्वर प्रसाद विश्वकर्मा है. इसके साथ ही पुरोहित पुरुष पुरुषोत्तम पांडेय, सुधीर पांडेय, सच्चिदानंद पांडेय, विकास पांडेय हैं. इन्होंने बताया कि नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, उनकी पूजा करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों, दु:खों और विपदाओं का नाश होता है. मां कूष्मांडा को गुड़हल का फूल या लाल फूल बहुत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में गुड़हल का फूल अर्पित किया जाता है.