ETV Bharat / state

अनोखी पहल: वाटर बेल बजते ही शुरू हो जाती है पानी पीने की होड़, बच्चे सीख रहे जल का महत्व

author img

By

Published : Dec 14, 2019, 10:16 AM IST

स्कूल में 'वाटर बेल' की शुरुआत बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम कर रही है. अब वाटर वेल लगने से बच्चे न सिर्फ शरीर के लिए पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं बल्कि पानी के महत्व के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं.

nawada
आदर्श प्राथमिक विद्यालय

नवादाः जिले के रोह प्रखंड स्थित आदर्श प्राथमिक विद्यालय कुंजैला सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल है. यहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला की नई सोच और बच्चों के प्रति स्नेह की बदौलत आज यह स्कूल अपने नाम की ही तरह आदर्श स्कूल बन गया है. जहां के बच्चे संस्कारी और गुणी बन रहे हैं.

वाटर बेल में खूब पानी पीते हैं बच्चे
दरअसल इस स्कूल में प्रार्थना, खेल, लंच और छुट्टी की बेल के साथ-साथ वाटर बेल भी बजती है. जिसके बजते ही सभी बच्चे अपने-अपने बैग से वाटर बोटल निकालकर पानी पीना शुरू कर देते हैं. यह बेल पूरे दिन में दो बार बजती है और सभी बच्चे उस समय पानी पीते हैं. ऐसा होने से इस स्कूल के बच्चे ना सिर्फ विद्यालय आने में रुचि दिखाते हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक भी हो रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

संस्कारी हैं इस स्कूल के बच्चे
यहां के बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं और सबसे पहले अपने गुरुजनों को चरण छू कर प्रणाम करते हैं. फिर धरती माता को प्रणाम कर विद्यालय परिसर में कदम रखते हैं. इस विद्यालय में 168 बच्चे नामांकित हैं. ये पहले कम पानी पीने के कारण अक्सर बीमार रहा करते थे, लेकिन जब से वाटर बेल की शुरुआत हुई है, तब से बच्चे स्वस्थ भी रहने लगे हैं. इतने ही नहीं इस स्कूल में सभी शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. स्कूल के बच्चे भी साफ-सुथरे होकर स्कूल पहुंचते हैं.

nawada
पानी पीते बच्चे

ये भी पढ़ेंः सोनपुर मेला: बरकरार है रौनक, दुकानदार बोले- अब शुरू हुई है असल दुकानदारी

'घर जाने का मन नहीं करता'
यहां के बच्चों का कहना है कि जब से हमारे विद्यालय में वाटर बेल की शुरूआत हुई है, तब से हम तीन 4 लीटर पानी पी जाते हैं. पहले बार-बार टीचर पानी पीने के लिए बोलते थे, तो एक घूंट पानी पीते थे. अब एक बोतल पानी पी जाते हैं. पानी पीने के बाद शरीर में फुर्ती आ जाती है. वहीं, कुछ बच्चों का यह भी कहना है कि हमारा स्कूल बहुत अच्छा है, स्कूल आते हैं तो घर जाने का मन नहीं करता है.

nawada
टीचर का पैर छूते बच्चे

पानी के महत्व को समझ रहे हैं बच्चे
वहीं, प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला बताता हैं कि शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है, हर गुरु का कर्तव्य होता है कि बच्चों का नैतिक, शारीरिक और मानसिक विकास करे. इस विद्यालय में बराबर नए-नए प्रयोग किए जाते हैं. जिससे बच्चे काफी खुश रहते हैं और स्कूल आने में रूची दिखाते हैं. स्कूल में 'वाटर बेल' की शुरुआत बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम कर रही है. अब वाटर वेल लगने से बच्चे न सिर्फ शरीर के लिए पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं बल्कि पानी के महत्व के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं.

नवादाः जिले के रोह प्रखंड स्थित आदर्श प्राथमिक विद्यालय कुंजैला सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल है. यहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला की नई सोच और बच्चों के प्रति स्नेह की बदौलत आज यह स्कूल अपने नाम की ही तरह आदर्श स्कूल बन गया है. जहां के बच्चे संस्कारी और गुणी बन रहे हैं.

वाटर बेल में खूब पानी पीते हैं बच्चे
दरअसल इस स्कूल में प्रार्थना, खेल, लंच और छुट्टी की बेल के साथ-साथ वाटर बेल भी बजती है. जिसके बजते ही सभी बच्चे अपने-अपने बैग से वाटर बोटल निकालकर पानी पीना शुरू कर देते हैं. यह बेल पूरे दिन में दो बार बजती है और सभी बच्चे उस समय पानी पीते हैं. ऐसा होने से इस स्कूल के बच्चे ना सिर्फ विद्यालय आने में रुचि दिखाते हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक भी हो रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

संस्कारी हैं इस स्कूल के बच्चे
यहां के बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं और सबसे पहले अपने गुरुजनों को चरण छू कर प्रणाम करते हैं. फिर धरती माता को प्रणाम कर विद्यालय परिसर में कदम रखते हैं. इस विद्यालय में 168 बच्चे नामांकित हैं. ये पहले कम पानी पीने के कारण अक्सर बीमार रहा करते थे, लेकिन जब से वाटर बेल की शुरुआत हुई है, तब से बच्चे स्वस्थ भी रहने लगे हैं. इतने ही नहीं इस स्कूल में सभी शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. स्कूल के बच्चे भी साफ-सुथरे होकर स्कूल पहुंचते हैं.

nawada
पानी पीते बच्चे

ये भी पढ़ेंः सोनपुर मेला: बरकरार है रौनक, दुकानदार बोले- अब शुरू हुई है असल दुकानदारी

'घर जाने का मन नहीं करता'
यहां के बच्चों का कहना है कि जब से हमारे विद्यालय में वाटर बेल की शुरूआत हुई है, तब से हम तीन 4 लीटर पानी पी जाते हैं. पहले बार-बार टीचर पानी पीने के लिए बोलते थे, तो एक घूंट पानी पीते थे. अब एक बोतल पानी पी जाते हैं. पानी पीने के बाद शरीर में फुर्ती आ जाती है. वहीं, कुछ बच्चों का यह भी कहना है कि हमारा स्कूल बहुत अच्छा है, स्कूल आते हैं तो घर जाने का मन नहीं करता है.

nawada
टीचर का पैर छूते बच्चे

पानी के महत्व को समझ रहे हैं बच्चे
वहीं, प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला बताता हैं कि शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है, हर गुरु का कर्तव्य होता है कि बच्चों का नैतिक, शारीरिक और मानसिक विकास करे. इस विद्यालय में बराबर नए-नए प्रयोग किए जाते हैं. जिससे बच्चे काफी खुश रहते हैं और स्कूल आने में रूची दिखाते हैं. स्कूल में 'वाटर बेल' की शुरुआत बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम कर रही है. अब वाटर वेल लगने से बच्चे न सिर्फ शरीर के लिए पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं बल्कि पानी के महत्व के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं.

Intro:नवादा। महर्षि अरविंद ने कहा है, अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींच कर उन्हें शक्ति में निर्मित करते हैं। इन्हीं बातों को चरितार्थ कर रहे हैं जिले के रोह प्रखंड स्थित आदर्श प्राथमिक विद्यालय कुंजैला के प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला। उनके नए नए सोच से बच्चे न सिर्फ विद्यालय आने में रुचि दिखा रहे हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं। बच्चे ससमय विद्यालय पहुंचते है पहले अपने गुरुजनों को चरण छू कर प्रणाम करते हैं फिर धरती माता को प्रणाम कर विद्यालय परिसर में कदम रखते हैं। प्रार्थना की घंटी बजती है बच्चे पंक्तिबद्ध होकर प्रार्थना करते हैं और अपने अपने कक्षा में पढ़ने के लिए चले जाते हैं। फिर शुरू होती है क्लास। आपने प्रार्थना,खेल, लंच और छुट्टी की घंटी बजते अक्सर सुनते होंगें लेकिन स्कूल में वाटर वेल की घंटी बजने की बातें शायद ही सुने होंगे। होता यह है कि स्कूल में छोटे बच्चे अक्सर कम पानी पीते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

इसी को देखते हुए इन्होंने 'वाटर वेल' की शुरुआत की जो बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम कर रहा है अब वाटर वेल लगने से बच्चे न सिर्फ शरीर के लिए पानी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं बल्कि पानी के महत्व के बारे में जागरूक भी हो रहे हैं। इसके लिए समय भी निर्धारित है पहले 2 सत्र होने के बाद वाटर वेल बजती है। वेल बजते ही बच्चे अपने- अपने बैग से बोतल निकालकर पानी पीते है फिर लंच के 1 सत्र होने के बाद वाटर वेल बजती है और फिर बच्चे पानी पीते हैं इसके लिए उन्हें 10 मिनट का समय दिया जाता है। शिक्षक के इस प्रयोग से बच्चों में न सिर्फ स्वास्थ्य का सुधार हो रहा है बल्कि उन्हें अब पहले से अधिक पढ़ने में भी मन लगने लगा है।




Body:अब पढ़ने में भी ले रहे हैं अधिक रुचि

इस विद्यालय में 168 बच्चे नामांकित है। ये पहले कम पानी पीने के कारण अक्सर बीमार रहा करते थे लेकिन जब से वाटर वेल की शुरुआत हुई है तब से बच्चे स्वस्थ भी रहने लगे हैं और पढ़ने में भी पहले की अपेक्षा रुचि लेने लगे हैं और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने लगे हैं जिससे शरीर को पानी की आवश्यकता के पूर्ति भी हो जा रही है।

कम पानी पीने से होता है यह परेशानी

पानी शरीर के लिए जरूरी है यह शरीर मे ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। अगर पानी नहीं पीते तो बच्चे हो या बुजुर्ग सभी में अपच की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिसके कारण वो बीमार पड़ने लगते हैं। इसलिए सभी को हर रोज 2 से 3 लीटर पानी पीने चाहिए।

क्या कहते हैं बच्चे

जब से हमारे विद्यालय में वाटर वेल शुरू हुआ है तब से हम तीन 4 लीटर पानी पी जाते हैं पहले बार बार पानी पीने के लिए बोलते थे तो एक आध घूंट पानी पीते थे अब एक बोतल पानी पी जाते हैं पानी पीने के बाद लगता है अब फुर्ती आ गया है।

बाइट- अनुष्का कुमारी, छात्रा

वाटर वेल शुरू होने से लगता है आप हमारे शरीर में ताकत मिल गया है और अब पढ़ने में भी मन लगता है।

बाइट- कुमारी अनामिका, छात्रा

मेरा स्कूल बहुत सुंदर है मेरे शिक्षक हमारे शिक्षक हमें नए-नए की चीज सिखाते रहते हैं। जब से पानी पीने लगे हैं तब से खाना भी पचने ने लगा है और स्वास्थ्य भी रहते हैं।

बाइट- सुधांशु कुमार, छात्र

स्कूल आकर है मुझे बहुत अच्छा लगता है यहां पर सब कुछ टाइम से होता है यहां आने के बाद हमें जाने का मन नहीं करता है।

बाइट- रोहित कुमार, छात्र


क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक

प्रभारी प्रधानाध्यापक अविनाश कुमार निराला का कहना है कि शिक्षक का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है वह गुरु का कर्तव्य होता है कि नैतिक बच्चों में नैतिक शारीरिक और मानसिक विकास हो और इस विद्यालय में हर समय बराबर नए नए प्रयोग किए जाते हैं नए-नए शिक्षा ग्रहण कर बच्चे नए-नए शिक्षा ग्रहण करते हैं नई तकनीक ग्रहण करते हैं। अक्सर मैंने देखा कि बार-बार कहने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते थे लेकिन जब से वाटर वेल की शुरूआत की है तबसे बच्चे यही नहीं बल्कि अब अपने घर पर भी पानी पीने लगे हैं। पहले पानी के कमी के कारण बच्चे प्रार्थना सत्र में चक्कर खाकर गिर जाया करते है लेकिन जब से हमने वाटर वेल की शुरुआत की है और बच्चे पानी पीने लगे हैं वो स्वस्थ भी रह रहे हैं।

बाइट- अविनाश कुमार निराला, प्रभारी प्रधानाध्यापक




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.