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नवादा: चेतना दिवस के रूप में मनी बाबा साहब की जयंती

डॉ अंबेडकर जयंती पर अर्जक संघ द्वारा स्थापना काल 1968 से ही 'चेतना दिवस ' नामक त्योहार के रुप में मनाया जाता है. इस अवसर पर संघ द्वारा सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया.

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Published : Apr 14, 2020, 9:02 PM IST

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नवादा: जिले के हिसुआ प्रखंड स्थित ब्रह्मस्थान के निकट मंगलवार को अर्जक संघ द्वारा बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती को चेतना दिवस के रूप में मनाया गया. कोरोना वायरस का असर अम्बेडकर जयंती पर भी देखने को मिला. इस अवसर पर संघ द्वारा सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया. कार्यक्रम किरण बाला सिन्हा की अध्यक्षता में की गई.

संघ के वरिष्ठ नेता उपेंद्र पथिक ने बाबा साहब के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि एक ओर जहां डॉ अंबेडकर ने संविधान में समानता, स्वतंत्रता, शिक्षा, संपत्ति का अधिकार और शोषण के विरूद्ध अधिकार देकर स्त्रियों, पिछड़ों दलितों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया. वहीं पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जातिवाद, छुआछूत और चमत्कार को नकारने का भी संदेश दिया. डॉ अंबेडकर के कार्यकलापों कों खासकर उत्तर भारत में प्रचार प्रसार करने का श्रेय अर्जक संघ को ही जाता है.

आंदोलन को दिशाहीन करने का हो रहा प्रयास
पथिक ने बताया कि डॉ. अंबेडकर की लिखी साहित्य को पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग जाने-अनजाने डॉ. अंबेडकर के आंदोलन और कार्यकलापों को दिशाहीन करने का प्रयास कर रहे हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है. बता दें कि डॉ अंबेडकर जयंती पर अर्जक संघ द्वारा स्थापना काल 1968 से ही 'चेतना दिवस ' नामक त्योहार के रुप में मनाया जाता है.

नवादा: जिले के हिसुआ प्रखंड स्थित ब्रह्मस्थान के निकट मंगलवार को अर्जक संघ द्वारा बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती को चेतना दिवस के रूप में मनाया गया. कोरोना वायरस का असर अम्बेडकर जयंती पर भी देखने को मिला. इस अवसर पर संघ द्वारा सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया. कार्यक्रम किरण बाला सिन्हा की अध्यक्षता में की गई.

संघ के वरिष्ठ नेता उपेंद्र पथिक ने बाबा साहब के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि एक ओर जहां डॉ अंबेडकर ने संविधान में समानता, स्वतंत्रता, शिक्षा, संपत्ति का अधिकार और शोषण के विरूद्ध अधिकार देकर स्त्रियों, पिछड़ों दलितों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया. वहीं पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जातिवाद, छुआछूत और चमत्कार को नकारने का भी संदेश दिया. डॉ अंबेडकर के कार्यकलापों कों खासकर उत्तर भारत में प्रचार प्रसार करने का श्रेय अर्जक संघ को ही जाता है.

आंदोलन को दिशाहीन करने का हो रहा प्रयास
पथिक ने बताया कि डॉ. अंबेडकर की लिखी साहित्य को पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग जाने-अनजाने डॉ. अंबेडकर के आंदोलन और कार्यकलापों को दिशाहीन करने का प्रयास कर रहे हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है. बता दें कि डॉ अंबेडकर जयंती पर अर्जक संघ द्वारा स्थापना काल 1968 से ही 'चेतना दिवस ' नामक त्योहार के रुप में मनाया जाता है.

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