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बिहार के इस गांव में सभी जातियों का अलग-अलग है मंदिर

सीतामढ़ी में एक अनोखा गांव है जहां सभी जातियों का एक स्थान पर अलग-अलग मंदिर है. यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन सभी मंदिरों में प्रवेश को लेकर किसी पर कोई रोक-ठोक नहीं है.

मंदिर
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Published : Mar 12, 2019, 3:33 PM IST

नवादा: वैसे तो अनोखे गांव के बारे में आपलोग बहुत सुने होंगे. लेकिन नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी का अनोखापन कुछ अलग ही है. जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर यह गांव मां जनकनंदिनी सीता की निर्वासन स्थली के तौर पर जानी जाती है. यह गांव लव-कुश के जन्मस्थली के नाम से भी विख्यात है. संभवतः यह देश का इकलौता गांव है जहां सभी जाति के दर्जनों मंदिर एक ही जगह पर इतनी बड़ी संख्या में स्थित हैं.

यहां राजवंशी ठाकुरवाड़ी में भगवान हनुमान जी की प्रतिमा है. चंद्रवंशी यानी कहार समाज के चंद्रवंशी ठाकुरवाड़ी जिसमें जरासंध सहित भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. कबीर मठ रविदास समाज का मंदिर है. वैसे ही ठाकुर यानी नाई समाज का मंदिर, चौहान समाज के चौहान ठाकुरवाड़ी, कोयरी समाज का बाल्मीकि मंदिर, चौधरी यानी पासी जाति के लिए शिव मंदिर, सोनार समाज के लिए नरहरि बाबा विश्वकर्मा मंदिर, मुसहर समाज के लिए शबरी मंदिर, यादवों के लिए राधा-कृष्ण मंदिर आदि हैं. ये सभी मंदिर अपने आप में अनोखे और अकल्पनीय हैं. भले ही सभी समाज के लोगों ने अलग-अलग मंदिर बना रखें हो, लेकिन यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन सभी मंदिरों में प्रवेश को लेकर किसी पर कोई रोक-ठोक नहीं है. यहां सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं. अभी तक यहां कोई जातिगत टकराव नहीं हुआ है.

मंदिर

सामाजिक सद्भावना की मिसाल है यह गांव

स्थानीय निवासी कैलाश मुखिया का कहना है कि यहां हर एक समाज का मंदिर है यहां किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. यह संभवतः भारत का पहला ऐसा गांव होगा जहां प्रत्येक जाति का मंदिर है. वहीं कुशवाहा ठाकुरवाड़ी के पुजारी और चौधरी ठाकुरवाड़ी के पुजारी का भी यही मानना है. वहीं गिरधारी चौधरी बताते हैं कि यहां सभी जाति का मंदिर है. यहां अभी तक कोई लड़ाई या झगड़ा नहीं हुआ है और न ही आगे कभी होगा.

नवादा: वैसे तो अनोखे गांव के बारे में आपलोग बहुत सुने होंगे. लेकिन नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी का अनोखापन कुछ अलग ही है. जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर यह गांव मां जनकनंदिनी सीता की निर्वासन स्थली के तौर पर जानी जाती है. यह गांव लव-कुश के जन्मस्थली के नाम से भी विख्यात है. संभवतः यह देश का इकलौता गांव है जहां सभी जाति के दर्जनों मंदिर एक ही जगह पर इतनी बड़ी संख्या में स्थित हैं.

यहां राजवंशी ठाकुरवाड़ी में भगवान हनुमान जी की प्रतिमा है. चंद्रवंशी यानी कहार समाज के चंद्रवंशी ठाकुरवाड़ी जिसमें जरासंध सहित भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. कबीर मठ रविदास समाज का मंदिर है. वैसे ही ठाकुर यानी नाई समाज का मंदिर, चौहान समाज के चौहान ठाकुरवाड़ी, कोयरी समाज का बाल्मीकि मंदिर, चौधरी यानी पासी जाति के लिए शिव मंदिर, सोनार समाज के लिए नरहरि बाबा विश्वकर्मा मंदिर, मुसहर समाज के लिए शबरी मंदिर, यादवों के लिए राधा-कृष्ण मंदिर आदि हैं. ये सभी मंदिर अपने आप में अनोखे और अकल्पनीय हैं. भले ही सभी समाज के लोगों ने अलग-अलग मंदिर बना रखें हो, लेकिन यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन सभी मंदिरों में प्रवेश को लेकर किसी पर कोई रोक-ठोक नहीं है. यहां सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं. अभी तक यहां कोई जातिगत टकराव नहीं हुआ है.

मंदिर

सामाजिक सद्भावना की मिसाल है यह गांव

स्थानीय निवासी कैलाश मुखिया का कहना है कि यहां हर एक समाज का मंदिर है यहां किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. यह संभवतः भारत का पहला ऐसा गांव होगा जहां प्रत्येक जाति का मंदिर है. वहीं कुशवाहा ठाकुरवाड़ी के पुजारी और चौधरी ठाकुरवाड़ी के पुजारी का भी यही मानना है. वहीं गिरधारी चौधरी बताते हैं कि यहां सभी जाति का मंदिर है. यहां अभी तक कोई लड़ाई या झगड़ा नहीं हुआ है और न ही आगे कभी होगा.

Intro:नवादा। वैसे तो अनोखे गांव के बारे में बहुत सुने होंगे लेकिन नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी का अनोखापन कुछ अलग ही बयां करती है। जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर यह गांव यूँ तो मां जनकनंदिनी सीता की निर्वासन स्थली और लव-कुश के जन्मस्थली के नाम से विख्यात है लेकिन, संभवतः यह देश का इकलौता गांव होगा जहां सर्वजाति के दर्जनों मंदिर एक ही जगह इतनी बड़ी संख्या में है।


Body:जैसे, राजवंशी ठाकुरवाड़ी में भगवान हनुमान जी की प्रतिमा हैं। चंद्रवंशी यानी कहार समाज के चंद्रवंशी ठाकुरवाड़ी जिसमें जरासंध सहित भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमा स्थापित की हुई है। कबीर मठ जोकि रविदास समाज का मंदिर है। वैसे ही ठाकुर यानी नाई समाज का मंदिर, चौहान समाज के चौहान ठाकुरवाड़ी, कोयरी समाज का बाल्मीकि मंदिर, चौधरी यानी पासी जाति के लिए शिव मंदिर, सोनार समाज के लिए नरहरि बाबा विश्वकर्मा मंदिर, मुसहर समाज के लिए शबरी मंदिर, यादवों के लिए राधा-कृष्ण मंदिर। ये सभी मंदिर अपनेआप में अनोखा और अकल्पनीय है। भलेहिं मंदिर सभी समाज के लोग अलग-अलग बना रखें हो लेकिन,यहां की सबसे ख़ासियत यह है कि, इन सभी मंदिरों में प्रवेश को लेकर किसी पर कोई रोकठोक नहीं है। सभी।मिलजुल कर रहते है अभी तक यहां कोई जातिगत टकराव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।

सामाजिक सद्भावना मिसाल

आजकल तनिक सी बात पर, जाति-पाति के नाम पर बड़े बवाल खड़े हो जाते हैं। लोग आपस में मरने और मारने पर उतारू हो जाते हैं वैसी स्थिति में यह गांव दुनियां को सामाजिक सद्भाव का पैगाम दे रही है जो अपनेआप में एक मिसाल है।

क्या है स्थानीय लोगों का कहना

कैलाश मुखिया कहते हैं, यहाँ हर एक समाज का मंदिर है यहां किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है यह संभवतः भारत का पहला ऐसा गांव होगा जहां प्रत्येक जाति का मंदिर है। वहीं, कुशवाहा ठाकुरवाड़ी के पुजारी और चौधरी ठाकुरवाड़ी के पुजारी का भी यही मानना है। वहीं, गिरधारी चौधरी कहते हैं, यहां सर्वजाति मंदिर है। यहाँ अभी तक कोई लड़ाई या झगड़ा नहीं हुआ है और आगे न ही होगा।


बाइट- कैलाश मुखिया, ग्रामीण (00:41)
बाइट- पुजारी, कुशवाहा ठाकुरवाड़ी
बाइट- लाल दास, चौधरी ठाकुड़वादी
बाइट- गिरधारी लाल, ग्रामीण(00:17)




Conclusion:जरूरत हैं ऐसे गांवों को सहेजने की सवांरने की। क्योंकि यह गांव आज दुनियां को सामाजिक सद्भावना का संदेश दे रही है।
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