नालंदा: बिहार के नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड के घोसरावां गांव में एक अनोखा मंदिर है जहां नवरात्रि के 9 दिनों तक महिलाओं का मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित रहता है. हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र (Chaitra Navratri 2022) के समय गांव के अंदर बने मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर मंदिर के पुजारियों और ग्रामीणों की ओर से पूर्ण रूप से वर्जित कर दिया जाता है. यह प्रथा आदि काल से ही चली आ रही है. बिहार शरीफ मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर घोसरावां गांव में नवरात्र के समय पूरे दस दिनों तक इस मंदिर में महिलाओं को अंदर प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी जाती है.
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महिलाओं का नवरात्र के दौरान मंदिर में प्रवेश वर्जित: पौराणिक प्रथानुसार इस मंदिर का नाम आशापुरी रखा गया. दरअसल यहां बौद्ध काल में 1800 बौद्ध भिक्षु आकर अपनी मन्नत मांगी थी और उनकी मन्नतें भी पूरी भी हुई थी. मंदिर के बारे में पुजारी पुरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि नवरात्र के समय मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है. उन्होंने बताया कि प्रतिपदा से लेकर दस दिनों तक विजयादशमी के आरती के पहले तक मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है क्योंकि ये इलाका पहले से ही तांत्रिक का गढ़ माना जाता है. यहां तांत्रिक लोग आकर सीधी प्राप्त करते थे. उसी समय से नवरात्र में यहां तांत्रिक पूजा यानी तंत्रियाण पूजा होती है. तंत्रियाण पूजा में महिलाओं का प्रवेश निषेध माना गया है. यह प्रथा आज से नहीं बल्कि काफी पहले से चली आ रही है.
राजा घोष ने करवाया था मंदिर का निर्माण: वहीं, पूर्वजों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा घोष ने करवाया गया था. इसलिए इस गांव का नाम घोसरावां रखा गया. बताया जाता है कि इस इलाके में आशापुरी मां खुद प्रकट हुईं थी. जिस स्थान पर वो प्रकट हुईं वहीं पर मंदिर का निर्माण करवाया गया था. नवरात्र के समय इस घोसरावां मंदिर में बिहार के अलावा कोलकाता, ओडिशा, मध्यप्रदेश, आसाम, दिल्ली, झारखंड समेत पूरे देश से श्रद्धालु पहुंचकर दस दिनों तक पूजा-पाठ करते हैं. जिससे उनकी मनोकामना पूरी होती है.
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