नालंदा: विम्स पावापुरी में कोरोना से मौत के बाद पांच दिनों तक शव पड़ा रहा लेकिन किसी ने मदद नहीं की. किसी नेता या प्रशासनिक अधिकारी के नहीं पहुंने से पत्नी कई दिनों सिर्फ रोती रही. आखिर में पीएफआई की ओर से महिला को मदद मिली तब जाकर महिला ने पति का अंतिम संस्कार किया.
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5 दिन बाद हुआ अंतिम संस्कार
बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमित सुभाष राम की 20 मई को पावापुरी मेडिकल काॅलेज में ईलाज के दौरान मौत हो गई. उनकी पत्नी कंचन देवी शव को अपने गांव नवादा जिला के रोह थाना के घोहरिया गांव ले गई. जहां गांव वालों ने विरोध किया और कहा कि कोरोना बॉडी को अपने गांव में जगह नहीं देंगे. काफी विरोध के बाद अन्तिम संस्कार करने नहीं दिया. अंत में शव को वापस विम्स पावापुरी अस्पताल लाया गया. बहुत प्रयास करने पर गांव वाले जब तैयार नहीं हुए तो 24 मई की रात गिरियक के बीडीओ ने पीएफआई नालंदा के नदीम राइस को कॉल किया और रात के 10 बजे शव को बिहारशरीफ के 17 नंबर श्मशान पहुंचाया.
पत्नि ने दी मुखाग्नि
संस्था ने देर रात करीब 11 बजे बेबस बेसहारा महिला कंचन देवी की मदद की. उन्होंने बताया कि मृतक सुभाष राम के 4 बच्चे हैं दो बेटी और 2 बेटा जो कि छोटे हैं. अब उनका ये हाल है कि कोई सहारा नहीं है. कोई आगे पीछे नहीं है. वहीं, जब मुखाग्नि के लिए एम्बुलेंस चालक को कहा गया तो उसने भी डर के मारे इंकार कर दिया. जब कोई सामने नहीं आया तो ऐसे में मृतक की पत्नी ने स्वयं मुखाग्नि दी.