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बेरोजगारी के मुद्दे पर घर में घिरेंगे नीतीश, नालंदा की 5 सीटों पर महागठबंधन ने किया जीत का दावा

बिहार में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की राजनीति जारी है. जेडीयू के दिग्गज विकास कार्यों को लेकर नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ महागठबंधन के नेता बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं.

सपु
RJD leader statement
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Published : Sep 27, 2020, 6:54 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 9:00 PM IST

नालंदा: बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. ज्ञान की भूमि नालंदा जिले की 7 विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी है, क्योंकि नालंदा मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है. ऐसे में जहां एनडीए गठबंधन नालंदा की सभी सीटें जीतकर अपना दबदबा बरकरार रखना चाहेगी. विपक्ष भी नालंदा में सेंधमारी की कोशिश में है. ताकि नीतीश के इस अभेद दुर्ग को हिलाया जा सके.

इस बार भी विधानसभा चुनाव में एनडीए विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने की बात कर रही है. एनडीए के लोगों का कहना है कि 15 साल नीतीश सरकार के शासनकाल में किए गए विकास कार्यों को बताने का काम किया जाएगा.

क्या कहते हैं जेडीयू नेता
जदयू नेता का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में विकास के नए आयाम खड़े किए गए. जिस बिहार की कल्पना नहीं की जा सकती थी. उसे पूरा करने का काम किया गया. बिहार में नीतीश कुमार के द्वारा विकास का परचम लहराया गया. अनेक शैक्षणिक संस्थान खोले गए. मूलभूत सुविधा प्रदान किया गया. सड़कों का जाल बिछाया गया. विकास की नई गाथा लिखी गई. नालंदा के लोग लालू-राबड़ी के 15 साल के शासनकाल को भूले नहीं हैं, आज भी लोगों के जेहन में पुरानी यादें बरकरार है'.

देखें रिपोर्ट

बेरोजगारी के मूद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश
बेरोजगारी, एनडीए के चुनाव वायदे, किसानों की समस्याएं सहित अन्य मुद्दों के जरिए विपक्ष जनता के बीच जाने को तैयार है. पिछले चुनाव में महागठबंधन से जीत हासिल कर जनाधार का अपमान करने के मामले को भी महागठबंधन के लोग इस बार जनता के सामने उठाने वाले हैं. महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि नालंदा की 7 विधानसभा सीटों में से 5 विधानसभा सीट पर इस बार महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत होगी. हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस बार नालंदा जिले के विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था, नियोजित शिक्षक, वित्त रहित शिक्षकों का मामला सरकार के खिलाफ जा सकता है. लेकिन 15 साल के नीतीश कुमार के शासनकाल में हुए विकास और प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद का मुद्दा भी हावी रहने की उम्मीद है.

नालंदा से लगातार सीएम नीतीश को मिली है सफलता
बिहार में समता पार्टी के गठन के साथ ही नालंदा की जनता ने नीतीश कुमार के साथ खड़े होने का काम किया. 1995 के विधानसभा चुनाव में नालंदा की 8 विधानसभा सीट में 3 विधानसभा सीटों पर समता पार्टी ने कब्जा जमाया था. उसके बाद से नीतीश कुमार ने पीछे मुड़ के नहीं देखा. वर्ष 2000 के विधानसभा के चुनाव में नालंदा की 5 विधानसभा सीटों पर समता पार्टी ने कब्जा जमाया. फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 के विधानसभा के चुनाव में नालंदा की सभी सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी का कब्जा रहा. हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन को छोड़कर महागठबंधन के साथ थे. इसके बाद बिहारशरीफ विधानसभा सीट होने पर उन्हें भाजपा प्रत्याशी से हार का भी सामना करना पड़ा.

नालंदा: बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. ज्ञान की भूमि नालंदा जिले की 7 विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी है, क्योंकि नालंदा मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है. ऐसे में जहां एनडीए गठबंधन नालंदा की सभी सीटें जीतकर अपना दबदबा बरकरार रखना चाहेगी. विपक्ष भी नालंदा में सेंधमारी की कोशिश में है. ताकि नीतीश के इस अभेद दुर्ग को हिलाया जा सके.

इस बार भी विधानसभा चुनाव में एनडीए विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने की बात कर रही है. एनडीए के लोगों का कहना है कि 15 साल नीतीश सरकार के शासनकाल में किए गए विकास कार्यों को बताने का काम किया जाएगा.

क्या कहते हैं जेडीयू नेता
जदयू नेता का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में विकास के नए आयाम खड़े किए गए. जिस बिहार की कल्पना नहीं की जा सकती थी. उसे पूरा करने का काम किया गया. बिहार में नीतीश कुमार के द्वारा विकास का परचम लहराया गया. अनेक शैक्षणिक संस्थान खोले गए. मूलभूत सुविधा प्रदान किया गया. सड़कों का जाल बिछाया गया. विकास की नई गाथा लिखी गई. नालंदा के लोग लालू-राबड़ी के 15 साल के शासनकाल को भूले नहीं हैं, आज भी लोगों के जेहन में पुरानी यादें बरकरार है'.

देखें रिपोर्ट

बेरोजगारी के मूद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश
बेरोजगारी, एनडीए के चुनाव वायदे, किसानों की समस्याएं सहित अन्य मुद्दों के जरिए विपक्ष जनता के बीच जाने को तैयार है. पिछले चुनाव में महागठबंधन से जीत हासिल कर जनाधार का अपमान करने के मामले को भी महागठबंधन के लोग इस बार जनता के सामने उठाने वाले हैं. महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि नालंदा की 7 विधानसभा सीटों में से 5 विधानसभा सीट पर इस बार महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत होगी. हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस बार नालंदा जिले के विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था, नियोजित शिक्षक, वित्त रहित शिक्षकों का मामला सरकार के खिलाफ जा सकता है. लेकिन 15 साल के नीतीश कुमार के शासनकाल में हुए विकास और प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद का मुद्दा भी हावी रहने की उम्मीद है.

नालंदा से लगातार सीएम नीतीश को मिली है सफलता
बिहार में समता पार्टी के गठन के साथ ही नालंदा की जनता ने नीतीश कुमार के साथ खड़े होने का काम किया. 1995 के विधानसभा चुनाव में नालंदा की 8 विधानसभा सीट में 3 विधानसभा सीटों पर समता पार्टी ने कब्जा जमाया था. उसके बाद से नीतीश कुमार ने पीछे मुड़ के नहीं देखा. वर्ष 2000 के विधानसभा के चुनाव में नालंदा की 5 विधानसभा सीटों पर समता पार्टी ने कब्जा जमाया. फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 के विधानसभा के चुनाव में नालंदा की सभी सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी का कब्जा रहा. हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन को छोड़कर महागठबंधन के साथ थे. इसके बाद बिहारशरीफ विधानसभा सीट होने पर उन्हें भाजपा प्रत्याशी से हार का भी सामना करना पड़ा.

Last Updated : Sep 27, 2020, 9:00 PM IST
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