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आरसीपी सिंह ने JDU को बताया डूबता जहाज, कहा- नीतीश कुमार कभी PM नहीं बन पाएंगे

जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जमीन (RCP Singh Property Dispute) को लेकर जो विवाद शुरू हुआ वह दूर तक जाने की संभावना है. इसी बीच आरसीपी सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार और पार्टी के आला नेताओं पर वार किया. आगे पढ़ें पूरी खबर और देखें वीडियो...

RCP Singh Etv Bharat
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Published : Aug 6, 2022, 10:59 PM IST

नालंदा : जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने संपत्ति को लेकर उनसे जवाब-तलब किया था. जवाब देने से पहले आरसीपी सिंह ने जेडीयू से तौबा कर लिया. अपना इस्तीफा देते हुए आरसीपी सिंह ने तो यहां तक कह डाला कि 7 जनम तक नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे (RCP Singh Attack On Nitish Kumar).

ये भी पढ़ें - पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने JDU से दिया इस्तीफा, करप्शन को लेकर उठे थे सवाल

JDU डूबता हुआ जहाज : नालंदा में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आरसीपी सिंह ने कहा कि जेडीयू डूबता हुआ जहाज है. इस पार्टी में कुछ भी बचा नहीं है. इस दौरान ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा का नाम लिए बगैर आरसीपी सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने चुनाव में जेडीयू के खिलाफ काम किया वो आज महिमा मंडित हो रहे हैं. जो चुनाव लड़ा, मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनकर घूमा, वो महिमा मंडित हो रहा है.

''नीतीश कुमार एक जनम क्या 7 जनम में प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे. जेडीयू डूबता हुआ जहाज है. हमारे लोग पार्टी को छोड़ेंगे और नैया डूब जाएगी. जानबूझकर मेरे इमेज को टार्गेट किया गया है. वर्षों से लोग मेरे पीछे पड़े हैं. मैं जमीन का आदमी हूं, मैं फिल्ड का आदमी हूं. आजतक मैंने गरिमा के साथ काम किया है. चल जाएं उत्तर प्रदेश, कोई बता दे, हमने किसी का चाय तक पीया है. मेरे पास सभी ऑप्शन खुले हुए हैं.''- आरसीपी सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री

सब जमीन का हिसाब है : पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि क्या मेरे नाम पर कोई संपत्ति है? 2010 से हमारी बेटियां रिटर्न दाखिल कर रही हैं. हमारी बेटियां आश्रित नहीं हैं, वे स्वतंत्र हैं. मेरे पास जो भी संपत्ति है वो पेंशन से है. मैनें कभी कुछ नहीं खरीदा. हमारी पुश्तैनी जमीन है. सबका हिसाब है.

नीतीश BJP की कृपा से बने मंत्री और मुख्यमंत्री : नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी तो नीतीश कुमार के पास कितने एमपी थे. उसके बावजूद भी उस पार्टी के लोगों ने इन्हें केंद्र में रेलवे मंत्रालय दिया. जेडीयू के अंदर बहुत खिचड़ी पक रही है. आरसीपी ने कहा कि नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी की अहम भूमिका रही. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की बदौलत ही नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. आज बीजेपी की कृपा से ही बिहार में मुख्यमंत्री हैं.

जेडीयू ने आरसीपी सिंह से मांगा था जवाबः दरअसल, जब जेडीयू कार्यकर्ता की ओर आरसीपी के संपत्ति विवाद को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई तो आरोपों पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. चर्चा यह भी थी कि सब कुछ ललन सिंह के इशारे पर हो रहा है. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए, इसकी वजह भी ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. नतीजा ये हुआ कि तमाम दबाव और आरोपों के चलते आरसीपी को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा.

आरसीपी सिंह ने क्या कहा : मीडिया रिपोर्टस की मानें तो आरसीपी सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा है कि अधिकांश भूखंड उनकी बेटियों या पत्नी के नाम पर हैं, जो आयकर जमा करती हैं. विभाग में उन्होंने खरीद-बिक्री की जानकारी दे रखी थी. इसके अलावा उनके खाते या उनके नाम से कोई भूखंड की खरीद-बिक्री नहीं हुई. ऐसे में ये आरोप लगाना कहां से उचित हैं कि लालू स्टाइल में उन्होंने जमीन अर्जित की. उन्होंने पार्टी के नेताओं से पूछा कि वो बताएं कि आखिर किसी भूखंड के बदले उन्होंने किसी को उपकृत किया हो. ये सब आरोप बेबुनियाद हैं और जिसने भी जांच की उसे उनसे भी पूछताछ कर लेनी चाहिए थी.


इस्लामपुर में खरीदी गई करीब 40 बीघा जमीनः दरअसल जेडीयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे आरसीपी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. जेडीयू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आरसीपी सिंह ने 9 साल में 58 प्लाट खरीदे हैं. ये भी बाताया गया है कि आरसीपी और उनके घर वालों ने 2013 से अब तक नालंदा जिले के सिर्फ दो प्रखंड अस्थावां और इस्लामपुर में करीब 40 बीघा जमीन खरीदी है. कई और जिलों में भी उनकी संपत्ति होने की बात सामने आई है. पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के खिलाफ माना है और आरसीपी को कठघरे में खड़ा करते हुए इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है. दिलचस्प बात यह है कि इस संपत्ति का ब्योरा जदयू के नेताओं ने ही जुटाया है. अब उनके तथाकथित संपत्ति पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.

अस्थावां में खरीदे गए 34 प्लॉट आरसीपी के नामः जदयू के दस्तावेज के अनुसार खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी (गिरजा सिंह) और दोनों बेटियों (लिपि सिंह, लता सिंह) के नाम पर है. एक आरोप यह भी है कि आरसीपी ने खासकर 2016 के अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है. नालंदा के इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए. यह खरीद 2013 से 2016 के दौरान हुई. ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी. बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी. अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉट आरसीपी का ही नाम है. इनमें 4 प्लॉट 2011- 2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर खरीदे गए. जिसमें पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है. बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया. 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 और 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए.


क्या है आरसीपी सिंह संपत्ति विवाद : बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को एक पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया है कि नालंदा जिले के दो जेडीयू नेताओं ने सबूतों के साथ उनके खिलाफ शिकायत की. शिकायत में कहा गया कि आरसीपी सिंह ने उनके और उनके परिवार के नाम पर साल 2013 से 2022 के बीच अकूत अचल संपत्ति अर्जित की. इसमें कई तरह की गड़बड़ियां. इस मामले में जेडीयू ने आरसीपी सिंह को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया. प्रदेशाध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा कि वे जल्द से जल्द उनके और उनके परिवार से जुड़ी संपत्ति के मामले में अपनी राय स्पष्ट करें और पार्टी आलाकमान को इस बारे अवगत कराएं. इसी बीच आरसीपी ने इस्तीफा दे दिया.


नालंदा : जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने संपत्ति को लेकर उनसे जवाब-तलब किया था. जवाब देने से पहले आरसीपी सिंह ने जेडीयू से तौबा कर लिया. अपना इस्तीफा देते हुए आरसीपी सिंह ने तो यहां तक कह डाला कि 7 जनम तक नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे (RCP Singh Attack On Nitish Kumar).

ये भी पढ़ें - पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने JDU से दिया इस्तीफा, करप्शन को लेकर उठे थे सवाल

JDU डूबता हुआ जहाज : नालंदा में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आरसीपी सिंह ने कहा कि जेडीयू डूबता हुआ जहाज है. इस पार्टी में कुछ भी बचा नहीं है. इस दौरान ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा का नाम लिए बगैर आरसीपी सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने चुनाव में जेडीयू के खिलाफ काम किया वो आज महिमा मंडित हो रहे हैं. जो चुनाव लड़ा, मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनकर घूमा, वो महिमा मंडित हो रहा है.

''नीतीश कुमार एक जनम क्या 7 जनम में प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे. जेडीयू डूबता हुआ जहाज है. हमारे लोग पार्टी को छोड़ेंगे और नैया डूब जाएगी. जानबूझकर मेरे इमेज को टार्गेट किया गया है. वर्षों से लोग मेरे पीछे पड़े हैं. मैं जमीन का आदमी हूं, मैं फिल्ड का आदमी हूं. आजतक मैंने गरिमा के साथ काम किया है. चल जाएं उत्तर प्रदेश, कोई बता दे, हमने किसी का चाय तक पीया है. मेरे पास सभी ऑप्शन खुले हुए हैं.''- आरसीपी सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री

सब जमीन का हिसाब है : पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि क्या मेरे नाम पर कोई संपत्ति है? 2010 से हमारी बेटियां रिटर्न दाखिल कर रही हैं. हमारी बेटियां आश्रित नहीं हैं, वे स्वतंत्र हैं. मेरे पास जो भी संपत्ति है वो पेंशन से है. मैनें कभी कुछ नहीं खरीदा. हमारी पुश्तैनी जमीन है. सबका हिसाब है.

नीतीश BJP की कृपा से बने मंत्री और मुख्यमंत्री : नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी तो नीतीश कुमार के पास कितने एमपी थे. उसके बावजूद भी उस पार्टी के लोगों ने इन्हें केंद्र में रेलवे मंत्रालय दिया. जेडीयू के अंदर बहुत खिचड़ी पक रही है. आरसीपी ने कहा कि नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी की अहम भूमिका रही. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की बदौलत ही नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. आज बीजेपी की कृपा से ही बिहार में मुख्यमंत्री हैं.

जेडीयू ने आरसीपी सिंह से मांगा था जवाबः दरअसल, जब जेडीयू कार्यकर्ता की ओर आरसीपी के संपत्ति विवाद को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई तो आरोपों पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. चर्चा यह भी थी कि सब कुछ ललन सिंह के इशारे पर हो रहा है. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए, इसकी वजह भी ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. नतीजा ये हुआ कि तमाम दबाव और आरोपों के चलते आरसीपी को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा.

आरसीपी सिंह ने क्या कहा : मीडिया रिपोर्टस की मानें तो आरसीपी सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा है कि अधिकांश भूखंड उनकी बेटियों या पत्नी के नाम पर हैं, जो आयकर जमा करती हैं. विभाग में उन्होंने खरीद-बिक्री की जानकारी दे रखी थी. इसके अलावा उनके खाते या उनके नाम से कोई भूखंड की खरीद-बिक्री नहीं हुई. ऐसे में ये आरोप लगाना कहां से उचित हैं कि लालू स्टाइल में उन्होंने जमीन अर्जित की. उन्होंने पार्टी के नेताओं से पूछा कि वो बताएं कि आखिर किसी भूखंड के बदले उन्होंने किसी को उपकृत किया हो. ये सब आरोप बेबुनियाद हैं और जिसने भी जांच की उसे उनसे भी पूछताछ कर लेनी चाहिए थी.


इस्लामपुर में खरीदी गई करीब 40 बीघा जमीनः दरअसल जेडीयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे आरसीपी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. जेडीयू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आरसीपी सिंह ने 9 साल में 58 प्लाट खरीदे हैं. ये भी बाताया गया है कि आरसीपी और उनके घर वालों ने 2013 से अब तक नालंदा जिले के सिर्फ दो प्रखंड अस्थावां और इस्लामपुर में करीब 40 बीघा जमीन खरीदी है. कई और जिलों में भी उनकी संपत्ति होने की बात सामने आई है. पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के खिलाफ माना है और आरसीपी को कठघरे में खड़ा करते हुए इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है. दिलचस्प बात यह है कि इस संपत्ति का ब्योरा जदयू के नेताओं ने ही जुटाया है. अब उनके तथाकथित संपत्ति पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.

अस्थावां में खरीदे गए 34 प्लॉट आरसीपी के नामः जदयू के दस्तावेज के अनुसार खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी (गिरजा सिंह) और दोनों बेटियों (लिपि सिंह, लता सिंह) के नाम पर है. एक आरोप यह भी है कि आरसीपी ने खासकर 2016 के अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है. नालंदा के इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए. यह खरीद 2013 से 2016 के दौरान हुई. ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी. बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी. अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉट आरसीपी का ही नाम है. इनमें 4 प्लॉट 2011- 2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर खरीदे गए. जिसमें पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है. बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया. 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 और 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए.


क्या है आरसीपी सिंह संपत्ति विवाद : बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को एक पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया है कि नालंदा जिले के दो जेडीयू नेताओं ने सबूतों के साथ उनके खिलाफ शिकायत की. शिकायत में कहा गया कि आरसीपी सिंह ने उनके और उनके परिवार के नाम पर साल 2013 से 2022 के बीच अकूत अचल संपत्ति अर्जित की. इसमें कई तरह की गड़बड़ियां. इस मामले में जेडीयू ने आरसीपी सिंह को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया. प्रदेशाध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा कि वे जल्द से जल्द उनके और उनके परिवार से जुड़ी संपत्ति के मामले में अपनी राय स्पष्ट करें और पार्टी आलाकमान को इस बारे अवगत कराएं. इसी बीच आरसीपी ने इस्तीफा दे दिया.


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