नालंदा: जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने भूगर्भीय जल में गिरावट पर चिंता जाहिर की है. सूखे से निपटने के लिए उन्होंने जल स्त्रोतों के संरक्षण करने पर जोर दिया है. उन्होंने दक्षिण बिहार में सूखे की हालात को काफी गंभीर बताया है.
दरअसल जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद सिंह, नालंदा में आयोजित पानी पंचायत में शिरकत करने पहुंचे. जहां अपने संबोधन में जल की उपलब्धता का उपाए भी बताया. उनका कहना है कि परंपरागत जल प्रबंधन को पुनर्जीवित कर, शिक्षण संस्थानों में जल सामुदायिक विकेंद्रीकृत पढ़ाई और जलवायु परिवर्तन के मुताबिक काम करना सबसे अहम होगा.
सुखाड़ के लिए जिलावासी जिम्मेदार
राजेन्द्र प्रसाद ने नालंदा में सुखाड़ की हालात के लिए जिलावासियों को जिम्मेदार ठहराया. नालंदा ज्ञान भूमि रहने के बावजूद प्रकृति का प्रकोप झेल रहा है. यहां के लोगों ने प्रकृति को समझना छोड़ दिया. जिसके कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिहार में सूखे की समस्या पाल, ताल और झाल की ओर देखना होगा. ये सभी परंपरागत जल स्रोत रहे हैं. इस पर ध्यान देकर इससे निपटा जा सकता है. जल पुरूष ने मॉडल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में परंपरागत जल प्रबंधन का चैप्टर नहीं रहने पर चिंता जताई. उनके मुताबिक एक-दो चैप्टर के अलावे इस दिशा में पढ़ाई नहीं हो रही. यह एजुकेशन सिस्टम का दोष है.
पांच कैडर से समस्या का समाधान
बिहार में जल आपदा की समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि पांच कैडर बना कर इससे निपटा जा सकता है. जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवक के जरिए इससे समस्या को दूर किया जा सकता है. ये दूत, जल समस्या, प्रदूषण और शिक्षण के लिए काम करेंगे. प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जल प्रबंधन पर काम करना होगा. इस काम में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है.