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सुखाड़ से निपटने के लिए सरकार को जल पुरूष की सलाह- इमरजेंसी की तरह करें काम

बिहार में नदियां, झील, तालाब, आहर, पोखर को चिन्हित कर इसका का सीमांकन कर राजपत्रित करना चाहिए. प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जल प्रबंधन पर काम कर आपदा से निपटा जा सकता है.

जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह
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Published : Aug 6, 2019, 3:46 PM IST

नालंदा: जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने भूगर्भीय जल में गिरावट पर चिंता जाहिर की है. सूखे से निपटने के लिए उन्होंने जल स्त्रोतों के संरक्षण करने पर जोर दिया है. उन्होंने दक्षिण बिहार में सूखे की हालात को काफी गंभीर बताया है.

दरअसल जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद सिंह, नालंदा में आयोजित पानी पंचायत में शिरकत करने पहुंचे. जहां अपने संबोधन में जल की उपलब्धता का उपाए भी बताया. उनका कहना है कि परंपरागत जल प्रबंधन को पुनर्जीवित कर, शिक्षण संस्थानों में जल सामुदायिक विकेंद्रीकृत पढ़ाई और जलवायु परिवर्तन के मुताबिक काम करना सबसे अहम होगा.

जल पंचायत में अपना सुझाव देते राजेन्द्र प्रसाद सिंह

सुखाड़ के लिए जिलावासी जिम्मेदार
राजेन्द्र प्रसाद ने नालंदा में सुखाड़ की हालात के लिए जिलावासियों को जिम्मेदार ठहराया. नालंदा ज्ञान भूमि रहने के बावजूद प्रकृति का प्रकोप झेल रहा है. यहां के लोगों ने प्रकृति को समझना छोड़ दिया. जिसके कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिहार में सूखे की समस्या पाल, ताल और झाल की ओर देखना होगा. ये सभी परंपरागत जल स्रोत रहे हैं. इस पर ध्यान देकर इससे निपटा जा सकता है. जल पुरूष ने मॉडल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में परंपरागत जल प्रबंधन का चैप्टर नहीं रहने पर चिंता जताई. उनके मुताबिक एक-दो चैप्टर के अलावे इस दिशा में पढ़ाई नहीं हो रही. यह एजुकेशन सिस्टम का दोष है.

rajendra prasad singh
बैठक में भाग लेते जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह

पांच कैडर से समस्या का समाधान
बिहार में जल आपदा की समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि पांच कैडर बना कर इससे निपटा जा सकता है. जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवक के जरिए इससे समस्या को दूर किया जा सकता है. ये दूत, जल समस्या, प्रदूषण और शिक्षण के लिए काम करेंगे. प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जल प्रबंधन पर काम करना होगा. इस काम में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है.

नालंदा: जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने भूगर्भीय जल में गिरावट पर चिंता जाहिर की है. सूखे से निपटने के लिए उन्होंने जल स्त्रोतों के संरक्षण करने पर जोर दिया है. उन्होंने दक्षिण बिहार में सूखे की हालात को काफी गंभीर बताया है.

दरअसल जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद सिंह, नालंदा में आयोजित पानी पंचायत में शिरकत करने पहुंचे. जहां अपने संबोधन में जल की उपलब्धता का उपाए भी बताया. उनका कहना है कि परंपरागत जल प्रबंधन को पुनर्जीवित कर, शिक्षण संस्थानों में जल सामुदायिक विकेंद्रीकृत पढ़ाई और जलवायु परिवर्तन के मुताबिक काम करना सबसे अहम होगा.

जल पंचायत में अपना सुझाव देते राजेन्द्र प्रसाद सिंह

सुखाड़ के लिए जिलावासी जिम्मेदार
राजेन्द्र प्रसाद ने नालंदा में सुखाड़ की हालात के लिए जिलावासियों को जिम्मेदार ठहराया. नालंदा ज्ञान भूमि रहने के बावजूद प्रकृति का प्रकोप झेल रहा है. यहां के लोगों ने प्रकृति को समझना छोड़ दिया. जिसके कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिहार में सूखे की समस्या पाल, ताल और झाल की ओर देखना होगा. ये सभी परंपरागत जल स्रोत रहे हैं. इस पर ध्यान देकर इससे निपटा जा सकता है. जल पुरूष ने मॉडल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में परंपरागत जल प्रबंधन का चैप्टर नहीं रहने पर चिंता जताई. उनके मुताबिक एक-दो चैप्टर के अलावे इस दिशा में पढ़ाई नहीं हो रही. यह एजुकेशन सिस्टम का दोष है.

rajendra prasad singh
बैठक में भाग लेते जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह

पांच कैडर से समस्या का समाधान
बिहार में जल आपदा की समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि पांच कैडर बना कर इससे निपटा जा सकता है. जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवक के जरिए इससे समस्या को दूर किया जा सकता है. ये दूत, जल समस्या, प्रदूषण और शिक्षण के लिए काम करेंगे. प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जल प्रबंधन पर काम करना होगा. इस काम में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है.

Intro:नालंदा। पर्यावरण के असंतुलित होने के बाद भूगर्भीय जलस्तर में आ रही कमी अब विकराल रूप धारण कर रही है । धीरे धीरे पानी का संकट बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण अब पानी की समस्या को दूर करने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। पर्यावरण को संरक्षित करने और पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर काम तो किया ही जा रहा है वहीं स्थानीय स्तर पर भी लोग आगे आने का काम शुरू कर दिए हैं।
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जल पुरुष राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में पानी के फ्लो को स्लो करने से बिहार को पानीदार बनाया जा सकता है। इसके लिए दौड़ती हुई पानी को चलना सिखाने, चलती हुई पानी हो रेंगना सिखाने और रेंगती हुई पानी को धरती मां के खुला पेट में बिठाने की जरूरत बताया। नालंदा में पहली बार आयोजित पानी पंचायत में शिरकत करने पहुंचे जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में एक भी नदी के रिकॉर्ड सही नहीं है इसके लिए वाटर बॉडीज नदियां, झील, तालाब, आहार, पोखर को चिन्हित कर उसका सीमांकन कराकर राजपत्रित करना चाहिए । अगर आज के रिकॉर्ड में नहीं लिखा जाएगा तो अगली पीढ़ी द्वारा जल स्रोतों पर कब्जा कर लिया जाएगा।
बिहार को पानीदार बनाने के लिए उन्होंने तीन उपाय बताएं जिसमें परंपरागत जल प्रबंधन को पुनर्जीवित करना, बिहार के शिक्षण संस्थानों में जल सामुदायिक विकेंद्रीकृत पढ़ाई को शामिल करना एवं बिहार में जलवायु परिवर्तन को समझकर उस पर काम करना होगा।
नालंदा में सुखाड़ की स्थिति पर उन्होंने कहा कि नालंदा ज्ञान तंत्र का बड़ा स्थान रहा बावजूद प्रकृति का क्रोध जो बढ़ रहा है। प्रकृति को समझने व समझाने का काम नालंदा वासियों द्वारा छोड़ दिया गया जिसके कारण या बिगाड़ की स्थिति उत्पन्न हुई।


Body:बिहार को पानीदार बनने के लिए पाल, ताल और झाल की ओर देखना होगा जो हमारे परंपरागत जल स्रोत रहे हैं उस पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि मॉडल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में परंपरागत जल प्रबंधन का कोई चैप्टर नहीं है जिसके कारण यह समस्या हो रही है। एकाध चैप्टर को छोड़ दिया जाए तो इस दिशा में पढ़ाई नहीं हो रही है जो कि हमारी एजुकेशन सिस्टम का जो दोष है।
उन्होंने कहा कि बिहार में जल आपदा के रूप में दिखने लगा है। इससे मुकाबला के लिए बिहार में पांच कैडर बनाने की जरूरत पर बल दिया जिसमें जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवक शामिल है। यह जल की समस्या, प्रदूषण, शिक्षण के रूप में काम करेंगे तथा प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर जल प्रबंधन का काम होगा हालांकि उन्होंने नारियों को भी आगे आने का आह्वान किया।
बाइट। राजेन्द्र प्रसाद सिंह, जल पुरुष,


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