नालंदा: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए नीतीश सरकार ने प्रदेश में लॉक डाउन का ऐलान किया. लेकिन, सरकारी आदेश के अगले दिन ही यह बेअसर नजर आया. सोमवार को जिले की सड़कों पर धड़ल्ले से गाड़ियां दौड़ती नजर आई. बिहार सरकार भले ही लोगों की सुरक्षा के लिए पटना सहित सभी जिला मुख्यालय में लॉक डाउन किया हो. लेकिन, जिले में सुबह-सुबह का नजारा आम दिनों की तरह ही दिखा.
ऐसे लॉकडॉउन का क्या मतलब?
दरअसल, कोरोना वायरस के कारण सूबे में 3 की मौत हो चुकी है. जिसके बाद बिहार सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए लॉक डाउन किया है. जिसमें कुछ इमरजेंसी सेवा को छोड़कर सारी सेवाएं ठप रहेंगी. पब्लिक ट्रांसपोर्ट आम दिनों की तरह चलता देखा गया. जिन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट आम दिनों की तरह चलेगा तो लॉकडॉउन का क्या मतलब है.
'सुविधा देने के बाद करना चाहिए था लॉक डाउन'
वहीं, मामले में आम लोगों का कहना था कि सरकार को पहले पूरी सुविधा देनी चाहिए तभी लॉकडॉउन करना चाहिए था. वहीं, कुछ लोगों ने ये भी कहा कि नियम तोड़ने वाले को खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. सरकार अगर कोई नियम बनाती है तो उसे कड़ाई से पालन करना चाहिए नहीं तो नियम बनाने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.