नालंदा : बिहार में शिक्षित बेरोजगार युवा इन दिनों व्यवसाय को लेकर काफी सुर्खियों में हैं. इसमें अलग पहचान बनाने के साथ कामयाब भी हो रहे हैं. डिग्री के नाम पर लिट्टी-चोखा, चाय, चिकन, मटन का स्टॉल खोलकर खुद को सफल बना रहे हैं या फिर यूं कह लीजिए कि ग्राहक को इकट्ठा करने के लिए कारगर तरीका अपनाया है. ऐसा ही एक व्यवसायी नालंदा में भी है, जो ग्रेजुएट लिट्टी-चोखा चिकेन नाम का स्टॉल चला रहा है.
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सुर्खियां बटोर रहा ग्रेजुएट लिट्टी वाला : इन दिनों ग्रेजुएट लिट्टी चोखा वाला खूब सुर्खियों में है. उसने न सिर्फ बेरोजगार होने के कारण कमाई के लिए फूड स्टाॅल खोला है, बल्कि इसमें दो अन्य बेरोजगारों को रोजगार भी दे रखा है. साथ में अपनी आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं. दरअसल, यह पूरी कहानी जिले के सिलाव थाना क्षेत्र के पांकी गांव निवासी सुचितनंदन प्रसाद सिंह 31 वर्षीय पुत्र कुमार गौरव पढ़ाई के साथ मोबिल का व्यवसाय करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के साथ बुजुर्ग मां पिता की देखरेख करने के लिए घर पर कोई नहीं था.
घर पर रहने के लिए शुरू किया व्यवसाय : घर पर रहने और माता पिता की देखरेख के लिए गौरव ने अपना व्यवसाय शुरू करने का मन बनाया और नालंदा के मोहनपुर गांव के पास सड़क किनारे अप्रैल माह में शुरू किया था. यहां लोगों का बढ़िया रेस्पॉन्स मिल रहा है और रोजाना 3 हजार रुपये तक की कमाई कर रहा है. इसके साथ ही जनरल की तैयारी भी कर रहे हैं. 2013 में उच्च शिक्षा के दौरान ही खाना बनाना शुरू किया और रोजगार नहीं लगा तो व्यवसाय शुरू कर दिया.
"हमारा उद्देश्य सरकारी नौकरी में जाने का था, जिसके लिए दो बार नौकरी में चूकने के बाद भी जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. साल 2018 में NTPC टेक्निशियन में ट्रेड दूसरा होने की वजह से नौकरी नहीं हो पाया. साल 2023 में रेलवे के ग्रुप D की नौकरी के लिए परीक्षा पास करने के बाद दौड़ में छंट गए है. इसके बाद मोबिल व्यवसाय की जमा पूंजी का 70 हजार रुपए लगाकर किराए की जमीन पर व्यवसाय शुरू किया है. इसका किराया 1500 सौ रुपए सालाना देना पड़ता है."- कुमार गौरव, संचालक
अपना व्यवसाय करना ज्यादा बेहतर : गौरव ने बताया कि खाना में एक जोड़ा लिट्टी चोखा 20 रुपए प्लेट, चिकेन 60 रुपये में दो पीस एक प्लेट और खीर 40 रुपये प्याला है. रोजाना अभी ऑफ सीजन में 5 लीटर दूध का खीर और 5 किलो चिकेन बिकता है, जबकि 500 पीस के करीब लिट्टी बिकता है. इसके लिए घर परिवार वालों का पूर्ण सहयोग है. साथ ही उन्होंने अपने आने वाली पीढ़ियों से यह भी अनुरोध किया है, कहा कि निजी कंपनी में नौकरी करने से बेहतर खुद का छोटा व्यवसाय करें. वह ज्यादा अच्छा है इससे मानसिक व शारीरिक दोनों विकास होगा.