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Muharram 2023: वर्षों पुरानी परंपरा टूटी, बिहारशरीफ में लोगों ने नहीं निकाला ताजिया जुलूस, जानें वजह

बिहार के नालंदा में मोहर्रम मनाया गया, लेकिन बिहारशरीफ में ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया. प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई, लेकिन जुलूस नहीं निकलने से विरानगी छाई रही. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 30, 2023, 7:00 PM IST

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बिहारशरीफ में ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया

नालंदाः बिहार के नालंदा में ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया. ताजिया जुलूस निकलने के लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई थी, लेकिन लोगों ने खुद ताजिया जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया. ऐसा क्यों किया गया, इसके बारे में स्थानीय मीर अरशद ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि रामनवमी में हुई हिंसा ने उनलोगों को तोड़ कर रख दिया.

यह भी पढ़ेंः Muharram 2023: रोहतास में हिन्दू समुदाय के लोग लेते हैं ताजिया की सलामी, 200 सालों से चली आ रही है परंपरा

वर्षों पुरानी परंपरा टूट गईः यह पहली बार है जब नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ में मोहर्रम के मौके पर जुलूस नहीं निकला. जिससे वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई. मोहर्रम का जुलूस निकालने के लिए ज़िला प्रशासन की ओर से जो शर्तें दी गई थी उसे यहां के वासियों ने उसे नामंजूर कर दिया. आपसी सहमती से जुलूस नहीं निकालने कर फ़ैसला किया जबकि ज़िला प्रशासन की ओर से मुहर्रम जुलूस निकलवाने की बहुत कोशिश की गई.

रामनवमी जुलूस में हिंसाः अंजुमन मुफीद उल इस्लाम के जिलाध्यक्ष ने कहा कि अब तक के इतिहास में यह पहला मौक़ा है, जब पहली बार जुलूस नहीं निकला और वर्षों पुरानी परंपरा टूट गयी. 31 मार्च को रामनवमी जुलूस के दौरान जो हिंसा हुई, उसमें कई धार्मिक ग्रंथ, मस्जिद व दुकानों को क्षति पहुंचाया गया. जिसको लेकर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई. जिस वजह सभी लोगों बैठक कर मोहर्रम जुलूस निकालने के प्रशासन के हुक्म को दरकिनार कर जुलूस नहीं निकाला गया.

"रामनवमी में जिस तरह से हिंसा हुई, उसमें पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. कई धार्मिक ग्रंथ, मस्जिद व दुकानों को क्षति पहुंचाया गया. इसी कारण नाराज लोगों ने आपस में बैठक कर मोहर्रम जुलूस नहीं निकालने का फैसला लिया." -मीर अरशद, सदस्य, मुफीद उल इस्लाम, नालंदा.

जिला प्रशासन द्वारा अमलीजामा पहनाने के लिए मोहल्ले के जुलूस को सरकारी स्तर पर शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने का दावा किया जा रहा है. मोहर्रम जुलूस के दौरान देर रात को ही रात को ही लाइट काट दी गई थी. पिछले साल जुलूस के कारण सड़कों पर चींटी तक के लिए का रास्ता नहीं होता था. लेकिन इसबार की तस्वीर सुनी लग रही है. इधर, डीएम ने दावा किया है कि जिले में ताजिया जुलूस निकाला गया है.

"कई जगह लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला है, लेकिन यहां लोगों ने अपनी मर्जी से फैसला लिया है. अन्य जगह गाइडलाइन के तहत मोहर्रम संपन्न कराया गया है. प्रशासनिक स्तर पूरी तैयारी की गई है. पुलिस बल की तैनाती की गई थी." -शशांक शुभंकर, डीएम, नालंदा

क्या है मामलाः बता दें कि मार्च महीने में बिहारशरीफ में हिंसा हुई थी. दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट, अगजनी, पथराव और गोलीबारी हुई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. असामाजिक तत्वों ने मस्जिद, मदरसे की लाइब्रेरी व दुकानों में आग लगा दी थी. माहौल काफी दिनों तक तनावपूर्ण रहा था. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 77 लोगों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के आहत लोगों ने इस बार मोहर्रम का जुलूस नहीं निकाला.

बिहारशरीफ में ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया

नालंदाः बिहार के नालंदा में ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया. ताजिया जुलूस निकलने के लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई थी, लेकिन लोगों ने खुद ताजिया जुलूस नहीं निकालने का फैसला किया. ऐसा क्यों किया गया, इसके बारे में स्थानीय मीर अरशद ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि रामनवमी में हुई हिंसा ने उनलोगों को तोड़ कर रख दिया.

यह भी पढ़ेंः Muharram 2023: रोहतास में हिन्दू समुदाय के लोग लेते हैं ताजिया की सलामी, 200 सालों से चली आ रही है परंपरा

वर्षों पुरानी परंपरा टूट गईः यह पहली बार है जब नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ में मोहर्रम के मौके पर जुलूस नहीं निकला. जिससे वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई. मोहर्रम का जुलूस निकालने के लिए ज़िला प्रशासन की ओर से जो शर्तें दी गई थी उसे यहां के वासियों ने उसे नामंजूर कर दिया. आपसी सहमती से जुलूस नहीं निकालने कर फ़ैसला किया जबकि ज़िला प्रशासन की ओर से मुहर्रम जुलूस निकलवाने की बहुत कोशिश की गई.

रामनवमी जुलूस में हिंसाः अंजुमन मुफीद उल इस्लाम के जिलाध्यक्ष ने कहा कि अब तक के इतिहास में यह पहला मौक़ा है, जब पहली बार जुलूस नहीं निकला और वर्षों पुरानी परंपरा टूट गयी. 31 मार्च को रामनवमी जुलूस के दौरान जो हिंसा हुई, उसमें कई धार्मिक ग्रंथ, मस्जिद व दुकानों को क्षति पहुंचाया गया. जिसको लेकर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई. जिस वजह सभी लोगों बैठक कर मोहर्रम जुलूस निकालने के प्रशासन के हुक्म को दरकिनार कर जुलूस नहीं निकाला गया.

"रामनवमी में जिस तरह से हिंसा हुई, उसमें पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. कई धार्मिक ग्रंथ, मस्जिद व दुकानों को क्षति पहुंचाया गया. इसी कारण नाराज लोगों ने आपस में बैठक कर मोहर्रम जुलूस नहीं निकालने का फैसला लिया." -मीर अरशद, सदस्य, मुफीद उल इस्लाम, नालंदा.

जिला प्रशासन द्वारा अमलीजामा पहनाने के लिए मोहल्ले के जुलूस को सरकारी स्तर पर शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने का दावा किया जा रहा है. मोहर्रम जुलूस के दौरान देर रात को ही रात को ही लाइट काट दी गई थी. पिछले साल जुलूस के कारण सड़कों पर चींटी तक के लिए का रास्ता नहीं होता था. लेकिन इसबार की तस्वीर सुनी लग रही है. इधर, डीएम ने दावा किया है कि जिले में ताजिया जुलूस निकाला गया है.

"कई जगह लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला है, लेकिन यहां लोगों ने अपनी मर्जी से फैसला लिया है. अन्य जगह गाइडलाइन के तहत मोहर्रम संपन्न कराया गया है. प्रशासनिक स्तर पूरी तैयारी की गई है. पुलिस बल की तैनाती की गई थी." -शशांक शुभंकर, डीएम, नालंदा

क्या है मामलाः बता दें कि मार्च महीने में बिहारशरीफ में हिंसा हुई थी. दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट, अगजनी, पथराव और गोलीबारी हुई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. असामाजिक तत्वों ने मस्जिद, मदरसे की लाइब्रेरी व दुकानों में आग लगा दी थी. माहौल काफी दिनों तक तनावपूर्ण रहा था. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 77 लोगों को गिरफ्तार किया था. इस घटना के आहत लोगों ने इस बार मोहर्रम का जुलूस नहीं निकाला.

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