नालंदा: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के बीच लाखों की संख्या में प्रवासी बिहार लौटे हैं. उनके सामने रोजगार का संकट आन पड़ा है. राज्य वापसी के बाद उनके सामने सबसे बड़ी परेशानी खाने-पीने की है. ऐसे में सरकार उन्हें रोजगार देने की लगातार कोशिश कर रही है. इस बीच निजी कंपनियां भी अपने स्तर से लोगों की मदद करती नजर आ रही हैं.
बिहार शरीफ के गढ़पर मोहल्ला में प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना अंतर्गत बैंक से लोन लेकर रेडीमेड कपड़े और मास्क का निर्माण शुरू किया गया. जिसमें बाहर से आने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता के आधार पर काम दिया जा रहा है. यहां काम करने वाले श्रमिकों को में भी खुशी देखी जा रही है.
निजी कंपनी दे रही काम
स्थानीय लोगों की मानें तो बिहारशरीफ के अंकित फैशन रेडीमेड कपड़ा व्यवसाई अपने स्तर से प्रवासियों को काम दे रहे हैं. ताकि वे दो वक्त की रोटी खा सकें और जीवन-यापन कर सकें. संचालक ओंकार शर्मा के अनुसार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 25 लाख रुपये का ऋण लिया है. जिसके बाद रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्री की शुरुआत की. इस फैक्ट्री में शुरुआती दौर में छोटे स्तर पर काम शुरू किया गया. जहां लेगिंग्स, गंजी, ट्राउजर, शर्ट, हाफ पैंट, टी-शर्ट और मास्क का भी निर्माण किया जा रहा है.
इन राज्यों से लौटे प्रवासियों को मिला रोजगार
अनलॉक-1 के दौरान काम में तेजी लाई गई. जिसमें बाहर से आने वाले हुनरमंद कारीगरों को प्राथमिकता दी गई. फिलहाल यहां पंजाब, लुधियाना, दिल्ली, चेन्नई से घर वापस लौटे हुनरमंद श्रमिकों को काम दिया गया है. जानकारी के मुताबिक करीब 30 श्रमिक यहां कपड़ा निर्माण के काम में लगे हुए हैं.
काम मिलने पर खिले मजदूरों के चेहरे
दिल्ली से आए आनंद कुमार ने कहा कि अब उन्हें घर में ही काम मिल गया है, जिससे वे काफी खुश हैं. अब घर पर ही रह कर काम करेंगे और परिवार का भरण-पोषण करेंगे. वहीं, लुधियाना से आए रविंद्र कुमार ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि बिहारशरीफ में ही रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्री खुली है तब उन्होंने संपर्क किया और उसके बाद उन्हें काम मिल गया. जिससे वे काफी खुश और संतुष्ट हैं.
संचालक ने दी जानकारी
कंपनी के संचालक ओंकार शर्मा ने बताया कि आने वाले दिनों वे बड़े पैमाने पर रेडीमेड गारमेंट्स का निर्माण शुरू करने जा रहे हैं. जिसमें सिलाई मशीन की संख्या करीब 100 लगाई जाएगी. आगे चलकर इस की संख्या 200 की जाएगी. यहां कपड़ा प्रोडक्शन के साथ कुशल कारीगर तैयार करने की भी योजना है. इसके बाद यहीं के रेडीमेड गारमेंट उद्योग में उन्हें रोजगार देने की प्लानिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि यहां फिलहाल 30 श्रमिक काम कर रहे हैं. जल्द ही यहां 300 कारीगरों को काम मिल जाएगा.
किया जा रहा दूसरे जिलों में निर्यात
संचालक का कहना है कि मौजूदा समय में यहां निर्मित कपड़ों को बिहार के विभिन्न जिलों में भेजा जाता है. लेकिन, आने वाले दिनों में यहां के निर्मित कपड़े को बड़े ब्रांड के कंपनी के साथ टक्कर देने की योजना है. ताकि यहां के निर्मित कपड़े भी बाजारों में बिक सकें.