ETV Bharat / state

लॉकडाउन के कारण पर्यटन उद्योग पर पड़ा बुरा असर, दुकानदारों के सामने आई भूखमरी की स्थिति - tourism industry

सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि उन लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन जिस प्रकार यहां चहल पहल रहती थी, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण पूरी तरह यहां वीरानगी छाई हुई है. वहीं, दुकानदारों का कहना है कि हालात यूं ही रहा तो आने वाले दिनों में उन लोगों को अपने व्यवसाय को भी बदलना पड़ सकता है.

लॉकडाउन
लॉकडाउन
author img

By

Published : May 12, 2020, 4:41 PM IST

नालंदा : जिले में जीविका का प्रमुख साधन पर्यटन उद्योग माना जाता है. यहां बड़ी संख्या में देश और विदेश से सैलानी आते हैं, जिसके कारण हजारों परिवार का रोजी रोटी इस पर्यटन उद्योग से ही चलता है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखने भारत ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है. लॉकडाउन के कारण पर्यटन उद्योग पर बुरा असर पड़ा है और इस उद्योग से जुड़े लोगों के रोजी रोजगार के समक्ष संकट उत्पन्न कर दिया है.

देशी-विदेशी पर्यटक आते है नालंदा
वैसे तो ठंड के मौसम में नालंदा के भ्रमण के लिए सैलानियों की तादाद काफी ज्यादा होती है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां सालों भर पर्यटकों का आना होता है. बताया जाता है कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाला यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रतिदिन 10 से 15 हजार देशी-विदेशी पर्यटक और छात्र आते हैं. सरकार के द्वारा लागू की गई नीति बिहार परिभ्रमण के दौरान भी बड़ी संख्या में छात्र अपने पर्यटन स्थल को देखने पहुंचते हैं. ऐसे में लॉकडाउन ने पर्यटन उद्योग पर बुरा असर डाला है.

देखें पूरी रिपोर्ट

व्यवसायियों का रोजगार खत्म
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के बाहर करीब 10 दुकानदार का रोजी-रोटी पर्यटन उद्योग पर चलता है. विगत 2 महीने से जारी लॉकडाउन के कारण व्यवसायियों का रोजगार खत्म हो गया है. जीविका का एकमात्र साधन होने के कारण इन दुकानदारों को इसी पर आश्रित रहना पड़ता है. सरकार की ओर से भी इन दुकानदारों को कोई मदद नहीं मिला है.

'वीरानगी छाई हुई है'
हालांकि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के सुरक्षा के लिए करीब 50 सुरक्षा कर्मी यहां तैनात है. इन सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि उन लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन जिस प्रकार यहां चहल पहल रहती थी, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण पूरी तरह यहां वीरानगी छाई हुई है. वहीं, दुकानदारों का कहना है कि हालात यूं ही रहा तो आने वाले दिनों में उन लोगों को अपने व्यवसाय को भी बदलना पड़ सकता है.

नालंदा : जिले में जीविका का प्रमुख साधन पर्यटन उद्योग माना जाता है. यहां बड़ी संख्या में देश और विदेश से सैलानी आते हैं, जिसके कारण हजारों परिवार का रोजी रोटी इस पर्यटन उद्योग से ही चलता है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखने भारत ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है. लॉकडाउन के कारण पर्यटन उद्योग पर बुरा असर पड़ा है और इस उद्योग से जुड़े लोगों के रोजी रोजगार के समक्ष संकट उत्पन्न कर दिया है.

देशी-विदेशी पर्यटक आते है नालंदा
वैसे तो ठंड के मौसम में नालंदा के भ्रमण के लिए सैलानियों की तादाद काफी ज्यादा होती है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां सालों भर पर्यटकों का आना होता है. बताया जाता है कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाला यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रतिदिन 10 से 15 हजार देशी-विदेशी पर्यटक और छात्र आते हैं. सरकार के द्वारा लागू की गई नीति बिहार परिभ्रमण के दौरान भी बड़ी संख्या में छात्र अपने पर्यटन स्थल को देखने पहुंचते हैं. ऐसे में लॉकडाउन ने पर्यटन उद्योग पर बुरा असर डाला है.

देखें पूरी रिपोर्ट

व्यवसायियों का रोजगार खत्म
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के बाहर करीब 10 दुकानदार का रोजी-रोटी पर्यटन उद्योग पर चलता है. विगत 2 महीने से जारी लॉकडाउन के कारण व्यवसायियों का रोजगार खत्म हो गया है. जीविका का एकमात्र साधन होने के कारण इन दुकानदारों को इसी पर आश्रित रहना पड़ता है. सरकार की ओर से भी इन दुकानदारों को कोई मदद नहीं मिला है.

'वीरानगी छाई हुई है'
हालांकि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के सुरक्षा के लिए करीब 50 सुरक्षा कर्मी यहां तैनात है. इन सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि उन लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन जिस प्रकार यहां चहल पहल रहती थी, लेकिन अब लॉकडाउन के कारण पूरी तरह यहां वीरानगी छाई हुई है. वहीं, दुकानदारों का कहना है कि हालात यूं ही रहा तो आने वाले दिनों में उन लोगों को अपने व्यवसाय को भी बदलना पड़ सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.