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नालंदा में बुजुर्ग की शव यात्रा में लौंडा नाच, परिजनों ने कहा- "साहस बनाएं रखने के लिए आयोजन किया"

नालंदा में लौंडा नाच (Launda Dance in Nalanda) हुआ. लेकिन यह डांस किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में नहीं, बल्कि एक बुजुर्ग की मौत के मौके पर किया गया था. मृतक के परिजनों से जब पूछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब कारण बताते हुए कहा कि परिवार के लोग हताश-निराश ना हो और उनके साहस को बनाए रखने के लिए लौंडा नाच का कार्यक्रम रखा गया है.

नालंदा में शव यात्रा के दौरान लौंडा नाच
नालंदा में शव यात्रा के दौरान लौंडा नाच
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Published : Dec 27, 2022, 10:15 PM IST

नालंदा में शव यात्रा के दौरान लौंडा नाच

नालंदा: यूं तो किसी की मौत उस परिवार में कई दिनों तक मातमी सन्नाटा पसरा होता है. लेकिन, नालंदा (Nalanda News) के राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के मुक्तिधाम स्थल पर अलग ही नजारा देखने को मिला. जो चर्चा का विषय बन गया है. जहां एक बुज़ुर्ग की मौत पर परिवार के लोगों ने अंतिम यात्रा से लेकर मुक्तिधाम में मुखाग्नि देने तक लौंडा नाच करवाया (Launda Dance In Funeral Procession In Nalanda) गया.

यह भी पढ़ें: 'जाने कउन नशा करेअला'..गाना पर लौंडा डांस देखते-देखते बेकाबू हुए मुखिया जी, देखें VIDEO

बैंड बाजे के बीच शव यात्रा में लौंडा नाच: मंगलवार को राजगीर थाना क्षेत्र के विस्थापित नगर मोहल्ले के निवासी राम शरण यादव का 85 वर्ष की उम्र में आकस्मिक निधन हो गया. निधन के बाद बुजुर्ग के परिजनों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जो कोई करने के लिए सौ बार सोचेगा. दरअसल, मातम के इस मौके पर घर के लोगों ने लौंडा नाच का आयोजन करा दिया. जब शव यात्रा निकाली, तो पूरे रास्ते बैंड बाजे के बीच लौंच नाच होता रहा. ऐसे में इस शव यात्रा को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी लग गयी.

'साहस बनाएं रखने के लिए आयोजन किया': जब इसको लेकर बुजुर्ग के परिजनों से पूछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब कारण बता दिया. उनका कहना था कि लौंडा नाच कराने का उद्देश यह था कि उनके परजनों को इस दुख की घड़ी में साहस और हिम्मत प्रदान हो. उनके मौत का गम परिजनों को ना हो. घर के लोगों का साहस बढ़ाने के लिए आयोजन किया गया था.

मुक्ति धाम में एक तरफ मातम, दूसरी तरफ नाच: शव जब अपने निर्धारित जगह यानी मुक्ति धाम पहुंची तो वहां पहले से एक बुजुर्ग की चिता जल रही थी. ऐसे में वहां मातम छाया हुआ था. लोग एकदूसरे से गले लगकर रो रहे थे. इसी बीच लौंडा नाच के साथ यह शव यात्रा भी पहुंच गयी. ऐसे में एक तरफ मातम का मौहल था तो दूसरी तरफ लौंडा नाच हो रहा था. बुज़ुर्ग के दाह संस्कार में भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे एवं पुरुष भी शामिल हुए. क्योंकि, मृतक बुजुर्ग इलाके के पूर्व सरपंच थे.



"हमारे चाचा 85 साल की उम्र में मौत हुई है. चाचा की मौत होने से पहले कई इनसे कम उम्र के लोगों की मौत हो गई है. बैंड बाजा के साथ लौंडा नाच का आयोजन कराने का उद्देश यह है कि मातमी माहौल में खुशी का माहौल हो, ताकि परिवार के कोई सदस्य हताश-निराश न रहें. इस समय नाच करने से परिवार में एक नया ऊर्जा आ सके" - मुन्ना यादव, मृतक का भतीजा

नालंदा में शव यात्रा के दौरान लौंडा नाच

नालंदा: यूं तो किसी की मौत उस परिवार में कई दिनों तक मातमी सन्नाटा पसरा होता है. लेकिन, नालंदा (Nalanda News) के राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के मुक्तिधाम स्थल पर अलग ही नजारा देखने को मिला. जो चर्चा का विषय बन गया है. जहां एक बुज़ुर्ग की मौत पर परिवार के लोगों ने अंतिम यात्रा से लेकर मुक्तिधाम में मुखाग्नि देने तक लौंडा नाच करवाया (Launda Dance In Funeral Procession In Nalanda) गया.

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बैंड बाजे के बीच शव यात्रा में लौंडा नाच: मंगलवार को राजगीर थाना क्षेत्र के विस्थापित नगर मोहल्ले के निवासी राम शरण यादव का 85 वर्ष की उम्र में आकस्मिक निधन हो गया. निधन के बाद बुजुर्ग के परिजनों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जो कोई करने के लिए सौ बार सोचेगा. दरअसल, मातम के इस मौके पर घर के लोगों ने लौंडा नाच का आयोजन करा दिया. जब शव यात्रा निकाली, तो पूरे रास्ते बैंड बाजे के बीच लौंच नाच होता रहा. ऐसे में इस शव यात्रा को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी लग गयी.

'साहस बनाएं रखने के लिए आयोजन किया': जब इसको लेकर बुजुर्ग के परिजनों से पूछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब कारण बता दिया. उनका कहना था कि लौंडा नाच कराने का उद्देश यह था कि उनके परजनों को इस दुख की घड़ी में साहस और हिम्मत प्रदान हो. उनके मौत का गम परिजनों को ना हो. घर के लोगों का साहस बढ़ाने के लिए आयोजन किया गया था.

मुक्ति धाम में एक तरफ मातम, दूसरी तरफ नाच: शव जब अपने निर्धारित जगह यानी मुक्ति धाम पहुंची तो वहां पहले से एक बुजुर्ग की चिता जल रही थी. ऐसे में वहां मातम छाया हुआ था. लोग एकदूसरे से गले लगकर रो रहे थे. इसी बीच लौंडा नाच के साथ यह शव यात्रा भी पहुंच गयी. ऐसे में एक तरफ मातम का मौहल था तो दूसरी तरफ लौंडा नाच हो रहा था. बुज़ुर्ग के दाह संस्कार में भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे एवं पुरुष भी शामिल हुए. क्योंकि, मृतक बुजुर्ग इलाके के पूर्व सरपंच थे.



"हमारे चाचा 85 साल की उम्र में मौत हुई है. चाचा की मौत होने से पहले कई इनसे कम उम्र के लोगों की मौत हो गई है. बैंड बाजा के साथ लौंडा नाच का आयोजन कराने का उद्देश यह है कि मातमी माहौल में खुशी का माहौल हो, ताकि परिवार के कोई सदस्य हताश-निराश न रहें. इस समय नाच करने से परिवार में एक नया ऊर्जा आ सके" - मुन्ना यादव, मृतक का भतीजा

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