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हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल, मस्जिद की देखभाल करते हैं हिंदू - पत्थर को सटाने से बीमारी दूर

बेन प्रखंड के मांडी गांव में मुस्लिम नहीं हैं. इसलिए हुिन्दुओं ने नई तकनीक का सहारा लिया. अब यहां पेन ड्राइव से अजान किया जाता है.

माण्डी गांव की मस्जिद
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Published : Aug 29, 2019, 3:05 PM IST

नालंदाः एक तरफ जहां जाति और धर्म के नाम पर लोग आपस में उलझ रहे हैं, मार-पीट तक कर रहे हैं. वहीं सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है नालंदा के बेन प्रखंड का माण्डी गांव. जहां एक मस्जिद की देखभाल हिंदू धर्म के लोग कर रहे हैं.

mosque
मांडी गांव की मस्जिद

गांव से हुआ मुस्लमानों का पलायन
दरअसल, बेन प्रखंड के मांडी गांव में स्थित एक मस्जिद की सालों से देखभाल हिंदू धर्म के लोग ही कर रहे हैं. कभी इस गांव में मुस्लिम आबादी हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोगों ने गांव से पलायन कर लिया. जिसका नतीजा है कि मस्जिद की देखभाल करने के लिए भी कोई मुस्लिम यहां नहीं रह गया. जिसके बाद मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदू धर्म के लोगों ने उठा लिया.

youth
इबादत करता हिंदू युवक

पांच बार होती है इस मस्जिद में अजान
गांव के ही बखोरी जमादार, गौतम प्रसाद और अजय पासवान ने मिलकर मस्जिद की देखभाल करनी शुरू कर दी. मस्जिद के नियमानुसार साफ-सफाई, मरम्मत के साथ-साथ हर दिन आजान दिलाया जाता है. हिंदू धर्म के लोगों ने अजान नहीं सीखने के कारण इसका भी उपाय ढूंढ लिया. ये लोग पेन ड्राइव के माध्यम से अजान दिलाने लगे. हर दिन पांच बार इस मस्जिद में अजाना होती है.

recorder
अजान के लिए रखा गया रिकॉर्डर

200 साल पहले हुआ था मस्जिद का निर्माण
इस गांव में करीब 2000 आबादी है. सभी हिंदू धर्म के लोग हैं. बताया जाता है कि कुछ साल पहले इस गांव से मुस्लिमों का पलायन हो गया. इस मस्जिद का निर्माण करीब 200 वर्ष पहले हुआ था. इस मस्जिद में भी अन्य मस्जिदों की तरह पूरी शिद्दत के साथ इबादत की जाती थी. लेकिन मुस्लिमों का पलायन हो गया वैसे में इस मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदुओं ने उठाया.

youth in mosque
मस्जिद की देखभाल करता हिंदू युवक

मस्जिद में रखे पत्थर से दूर होती है बीमारी
लोगों का कहना है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य होता है तो इस मस्जिद में पहले जाकर इबादत करते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव में किसी को गाल फुल्ली बीमारी होने के बाद इस मस्जिद में रखे पत्थर को सटाने से बीमारी दूर हो जाती है. मुहर्रम के मौके पर इस मस्जिद से ताजिया निकाला जाता है. जिसके लिए पहले यहां रंगाई पुताई का काम कराया जाता है.

मस्जिद की देखभाल करते हिंदू समाज के लोग

नालंदाः एक तरफ जहां जाति और धर्म के नाम पर लोग आपस में उलझ रहे हैं, मार-पीट तक कर रहे हैं. वहीं सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है नालंदा के बेन प्रखंड का माण्डी गांव. जहां एक मस्जिद की देखभाल हिंदू धर्म के लोग कर रहे हैं.

mosque
मांडी गांव की मस्जिद

गांव से हुआ मुस्लमानों का पलायन
दरअसल, बेन प्रखंड के मांडी गांव में स्थित एक मस्जिद की सालों से देखभाल हिंदू धर्म के लोग ही कर रहे हैं. कभी इस गांव में मुस्लिम आबादी हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोगों ने गांव से पलायन कर लिया. जिसका नतीजा है कि मस्जिद की देखभाल करने के लिए भी कोई मुस्लिम यहां नहीं रह गया. जिसके बाद मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदू धर्म के लोगों ने उठा लिया.

youth
इबादत करता हिंदू युवक

पांच बार होती है इस मस्जिद में अजान
गांव के ही बखोरी जमादार, गौतम प्रसाद और अजय पासवान ने मिलकर मस्जिद की देखभाल करनी शुरू कर दी. मस्जिद के नियमानुसार साफ-सफाई, मरम्मत के साथ-साथ हर दिन आजान दिलाया जाता है. हिंदू धर्म के लोगों ने अजान नहीं सीखने के कारण इसका भी उपाय ढूंढ लिया. ये लोग पेन ड्राइव के माध्यम से अजान दिलाने लगे. हर दिन पांच बार इस मस्जिद में अजाना होती है.

recorder
अजान के लिए रखा गया रिकॉर्डर

200 साल पहले हुआ था मस्जिद का निर्माण
इस गांव में करीब 2000 आबादी है. सभी हिंदू धर्म के लोग हैं. बताया जाता है कि कुछ साल पहले इस गांव से मुस्लिमों का पलायन हो गया. इस मस्जिद का निर्माण करीब 200 वर्ष पहले हुआ था. इस मस्जिद में भी अन्य मस्जिदों की तरह पूरी शिद्दत के साथ इबादत की जाती थी. लेकिन मुस्लिमों का पलायन हो गया वैसे में इस मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदुओं ने उठाया.

youth in mosque
मस्जिद की देखभाल करता हिंदू युवक

मस्जिद में रखे पत्थर से दूर होती है बीमारी
लोगों का कहना है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य होता है तो इस मस्जिद में पहले जाकर इबादत करते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव में किसी को गाल फुल्ली बीमारी होने के बाद इस मस्जिद में रखे पत्थर को सटाने से बीमारी दूर हो जाती है. मुहर्रम के मौके पर इस मस्जिद से ताजिया निकाला जाता है. जिसके लिए पहले यहां रंगाई पुताई का काम कराया जाता है.

मस्जिद की देखभाल करते हिंदू समाज के लोग
Intro:नालंदा । एक ओर जहां जाति धर्म के नाम पर लोग आपस में उलझ रहे हैं, मारपीट कर रहे है इतना ही नहीं लोगों की हत्या तक की जा रही है। वैसे में सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल पेश कर रहा है नालंदा के बेन प्रखंड के माण्डी गांव जहां एक मस्जिद की देखभाल हिंदू धर्म के लोग द्वारा की जा रही है। बेन प्रखंड के माण्डी गांव में स्थित एक मस्जिद की देखभाल हिंदू धर्म के लोगों द्वारा की जा रही है। इस गांव में मुस्लिम आबादी कभी हुआ करती थी लेकिन समय के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोगों ने गांव से पलायन कर लिया जिसका नतीजा है कि मस्जिद का देखभाल करने के लिए भी कोई मुस्लिम धर्म के लोग मौजूद नहीं रहे हैं। जिसके बाद मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदू धर्म के लोगों ने उठाया । गांव के ही बखोरी जमादार, गौतम प्रसाद और अजय पासवान ने मिलकर मस्जिद की देखभाल करना शुरू कर दिया। मस्जिद के नियमानुसार साफ-सफाई, मरम्मत के साथ-साथ प्रत्येक दिन आजान दिलाया जाता है । हिंदू धर्म के लोगों द्वारा अजान नहीं सीखने के कारण इसका भी उपाय ढूंढ लिया और पेन ड्राइव के माध्यम से अजान दिलाना शुरू कर दिया जिसका नतीजा है कि प्रत्येक दिन पांच बार इस मस्जिद में भी आ जाना पड़ रहा है।


Body:इस गांव में करीब 2000 आबादी है और सभी अब हिंदू धर्म के लोग ही रह गए हैं बताया जाता है कि कुछ वर्ष पूर्व इस गांव से मुस्लिमों का पलायन हो गया बताया जाता है कि या मस्जिद का निर्माण करीब 200 वर्ष पूर्व हुआ था सबसे इस मस्जिद में एंड मस्जिदों की तरह पूरी शिद्दत के साथ इबादत की जाती रही है लेकिन मुस्लिमों का पलायन हो गया वैसे में इस मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदुओं ने उठाया । लोगों का कहना है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य होता है तो इस मस्जिद में पहले जाकर इबादत करते हैं । इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है को गांव में किसी को गाल फुल्ली बीमारी होने के बाद इस मस्जिद में रखे पत्थर को सटाने से बीमारी दूर हो जाता है।
इस मस्जिद में भी मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकाला जाता है इसके लिए पूर्व में इसकी रंगाई पुताई का भी काम किया जाता है।


Conclusion:कह सकते हैं कि यह मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है।
बाइट।
1 बखौरी जमादार, ग्रामीण
2 अमित कुमार, ग्रामीण
3 अजय पासवान, ग्रामीण
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