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जिस टमटम से CM नीतीश करते हैं राजगीर की सैर.. उसके मालिक ने बयां किया चालकों का दर्द, आप भी सुनिए - etv bharat bihar news

राजगीर में सीएम नीतीश कुमार को टमटम की सवारी करना पसंद है. वे जब भी राजगीर जाते हैं, तो तांगा की सवारी करते हैं. वे वहां राजधानी तांगा की ही सवारी करते हैं. चालक दिलीप इसे अपना सौभाग्य मानते हैं. दिलीप कहते हैं कि मैं उन्हें अपना भगवान मानता हूं. इसके बावजूद चालक की आर्थिक स्थिति दयनीय है. पढ़ें रिपोर्ट..

राजगीर का फेमस राजधानी तांगा
राजगीर का फेमस राजधानी तांगा
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Published : Apr 16, 2022, 6:15 PM IST

नालंदाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को टमटम पर सवारी करना पसंद है. हो भी क्यों ना, सवारी ही ऐसी है, जो किसी को लुभा दे. जब भी वे राजगीर आते हैं, तो टमटम की सवारी करना नहीं भूलते हैं. जिस टमटम पर बैठकर मुख्यमंत्री राजगीर की वादियों की सैर करते हैं, उस टमटम का नाम राजधानी तांगा है. इस टमटम चालक का नाम दिलीप यादव है, जो 1996 से इस तांगे को चला रहे हैं. दिलीप बताते हैं कि 2004 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी वार्ता के लिए राजगीर आए थे, तब तात्कालीन ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने टमटम के साथ बुलाया था.

यह भी पढ़ें- जब राजगीर की गलियों में टमटम की सवारी करते दिखे CM नीतीश कुमार

सीएम करते हैं इसकी सवारीः टमटम चालक दिलीप यादव ने बताया कि 2004 से ही मैं सीएम नीतीश कुमार को जानता हूं. उसी वक्त पहली बार मिला था. उस वक्त नीतीश कुमार कैबिनेट में थे. तब वे पहली बार हमारे टमटम पर बैठकर राजगीर की वादियों में घूमे थे, उसकी घोड़ी का नाम रानी रखा है. आज भी उस घोड़ी को संभाल कर रखा है. उन्होंने कहा कि वे सीएम नीतीश कुमार को भगवान मानते हैं और जब भी सीएम राजगीर आते हैं, इसी राजधानी तांगा की सवारी करते हैं. लेकिन इस तांगे वाले की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है. माली हालात खराब है, जिससे घर भी करकट का बना हुआ है. कर्ज में डूबे हैं. घर परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है.

इसी तांगा में घूमकर कार्यकर्ताओं से मिलेः हाल कि दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जन संवाद कार्यक्रम के तहत नालंदा के विभिन्न प्रखंड पंचायतों में घूम-घूमकर पुराने कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों से मिलकर उनकी समस्याएं सुन रहे थे. इसी दौरान नीतीश कुमार 12 अप्रैल को राजगीर के दौरे पर थे. उस दिन भी मुख्यमंत्री ने इसी तांगे की सवारी की और राजगीर की गलियों में घूम-घूम कर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी. तभी से उन्होंने अपने तांगे में नीतीश जी की सवारी लिख रखा है.

2004 से 2014 तक लगातार की सवारीः मुख्यमंत्री बनने के बाद जब भी नीतीश कुमार राजगीर आए, तब राजधानी तांगे पर ही बैठकर घोड़ाकटोरा, सोनभंडार समेत अन्य भ्रमणीय स्थलों तक गए. 2004 से 2014 तक लगातार वे टमटम की सवारी करते रहे. उसके बाद इस बार फिर से उन्होंने टमटम पर बैठने की इच्छा जताई और राजगीर में अपने कार्यकर्ताओं से मिले. मुख्यमंत्री द्वारा उनके टमटम पर सवारी किए जाने के बाद उन्हें इसका काफी फायदा मिला है. दूर-दूर से आने वाले सैलानी उनके टमटम पर बैठने की इच्छा प्रकट करते हैं. जिन्हें वे काफी सहूलियत के साथ राजगीर का भ्रमण कराते हैं.

तांगा चालकों की है मांगः जिस तांगे की सवारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करते हैं, उसे रानी नाम की घोड़ी खींचती है. दिलीप यादव बताते हैं कि इस बार जब मुख्यमंत्री ने उनकी टमटम की सवारी की तो उनका हालचाल पूछा. जिसके जबाब में उन्होंने सब ठीक है. वहीं, तांगा एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष कुमार बताते हैं कि सैलानियों को सभी तरह की सुरक्षा तांगा चालकों द्वारा दी जाती है. इनकी मांग है कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक पर इसका परिचालन बंद न हो. इसे प्रोत्साहन की रूप में सरकार इन चालकों को दें. यह पर्यावरण को संतुलित करने में अहम रोल निभाता है.

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नालंदाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को टमटम पर सवारी करना पसंद है. हो भी क्यों ना, सवारी ही ऐसी है, जो किसी को लुभा दे. जब भी वे राजगीर आते हैं, तो टमटम की सवारी करना नहीं भूलते हैं. जिस टमटम पर बैठकर मुख्यमंत्री राजगीर की वादियों की सैर करते हैं, उस टमटम का नाम राजधानी तांगा है. इस टमटम चालक का नाम दिलीप यादव है, जो 1996 से इस तांगे को चला रहे हैं. दिलीप बताते हैं कि 2004 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी वार्ता के लिए राजगीर आए थे, तब तात्कालीन ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने टमटम के साथ बुलाया था.

यह भी पढ़ें- जब राजगीर की गलियों में टमटम की सवारी करते दिखे CM नीतीश कुमार

सीएम करते हैं इसकी सवारीः टमटम चालक दिलीप यादव ने बताया कि 2004 से ही मैं सीएम नीतीश कुमार को जानता हूं. उसी वक्त पहली बार मिला था. उस वक्त नीतीश कुमार कैबिनेट में थे. तब वे पहली बार हमारे टमटम पर बैठकर राजगीर की वादियों में घूमे थे, उसकी घोड़ी का नाम रानी रखा है. आज भी उस घोड़ी को संभाल कर रखा है. उन्होंने कहा कि वे सीएम नीतीश कुमार को भगवान मानते हैं और जब भी सीएम राजगीर आते हैं, इसी राजधानी तांगा की सवारी करते हैं. लेकिन इस तांगे वाले की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है. माली हालात खराब है, जिससे घर भी करकट का बना हुआ है. कर्ज में डूबे हैं. घर परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है.

इसी तांगा में घूमकर कार्यकर्ताओं से मिलेः हाल कि दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जन संवाद कार्यक्रम के तहत नालंदा के विभिन्न प्रखंड पंचायतों में घूम-घूमकर पुराने कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों से मिलकर उनकी समस्याएं सुन रहे थे. इसी दौरान नीतीश कुमार 12 अप्रैल को राजगीर के दौरे पर थे. उस दिन भी मुख्यमंत्री ने इसी तांगे की सवारी की और राजगीर की गलियों में घूम-घूम कर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी. तभी से उन्होंने अपने तांगे में नीतीश जी की सवारी लिख रखा है.

2004 से 2014 तक लगातार की सवारीः मुख्यमंत्री बनने के बाद जब भी नीतीश कुमार राजगीर आए, तब राजधानी तांगे पर ही बैठकर घोड़ाकटोरा, सोनभंडार समेत अन्य भ्रमणीय स्थलों तक गए. 2004 से 2014 तक लगातार वे टमटम की सवारी करते रहे. उसके बाद इस बार फिर से उन्होंने टमटम पर बैठने की इच्छा जताई और राजगीर में अपने कार्यकर्ताओं से मिले. मुख्यमंत्री द्वारा उनके टमटम पर सवारी किए जाने के बाद उन्हें इसका काफी फायदा मिला है. दूर-दूर से आने वाले सैलानी उनके टमटम पर बैठने की इच्छा प्रकट करते हैं. जिन्हें वे काफी सहूलियत के साथ राजगीर का भ्रमण कराते हैं.

तांगा चालकों की है मांगः जिस तांगे की सवारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करते हैं, उसे रानी नाम की घोड़ी खींचती है. दिलीप यादव बताते हैं कि इस बार जब मुख्यमंत्री ने उनकी टमटम की सवारी की तो उनका हालचाल पूछा. जिसके जबाब में उन्होंने सब ठीक है. वहीं, तांगा एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष कुमार बताते हैं कि सैलानियों को सभी तरह की सुरक्षा तांगा चालकों द्वारा दी जाती है. इनकी मांग है कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक पर इसका परिचालन बंद न हो. इसे प्रोत्साहन की रूप में सरकार इन चालकों को दें. यह पर्यावरण को संतुलित करने में अहम रोल निभाता है.

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