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बिहारशरीफ में पर्यावरण की थीम पर बना पंडाल और प्रतिमा भक्तों को कर रहा है आकर्षित

आयोजकों ने बताया कि आए दिन हम बाढ़ और सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहे हैं. इसकी मुख्य वजह पर्यावरण का असंतुलन है. इसके संतुलन के लिए जरूरी है कि हम पेड़-पौधों को बचाएं और नए पेड़ भी लगाएं.

नालंदा
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Published : Oct 7, 2019, 3:21 PM IST

नालंदाः जिले के बिहारशरीफ में पर्यावरण की थीम पर बना पंडाल और प्रतिमा लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है. सोहडीह मोहल्ले में स्थित इस पूजा पंडाल को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं. इसे देखने के लिए आ रहे लोग इसके आयोजक हनुमान मंदिर समिति की सराहना कर रहे हैं.

पेड़-पौधों में भी भगवान का अंश
आयोजकों ने बताया कि दुर्गा पूजा के मौके पर पंडाल और मूर्ति से लोगों को पर्यावरण की रक्षा का संदेश देने की कोशिश है. मां दुर्गा के प्रति लोगों की अगाध आस्था को देखते हुए यहां मां दुर्गा की प्रतिमा को विशाल बरगद के पेड़ के अंदर से निकलते हुए दिखाया गया है, ताकि लोग पेड़-पौधों में भी भगवान का अंश स्वीकारें और इसकी रक्षा करें.

नालंदा
मां दुर्गा की पूजा करते श्रद्धालु

पेड़ है ऑक्सीजन का भी मुख्य स्त्रोत
पेड़ पर पक्षियों का घोंसला भी बनाया गया है. जिससे लोगों में यह संदेश जाए कि ईश्वर की बेहतरीन कृति पक्षी के जीवन की रक्षा के लिए पेड़-पौधे जरूरी हैं. साथ ही हमारे जीवित रहने के लिए जरूरी ऑक्सीजन का भी मुख्य स्त्रोत पेड़ ही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल इस पूजा समिति का थीम बहुत अलग होता है और समाज को संदेश देने वाला होता है.

पेश है खास रिपोर्ट

पर्यावरण के संतुलन के लिए पेड़ जरूरी
आयोजकों ने बताया कि आए दिन हम बाढ़ और सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहे हैं. इसकी मुख्य वजह पर्यावरण का असंतुलन है. इसके संतुलन के लिए जरूरी है कि हम पेड़-पौधों को बचाएं और नए पेड़ भी लगाएं. उन्होंने कहा कि एक पेड़ सौ पुत्र के समान होता है. एक पेड़ हमारे जीवन में कई भूमिका निभाता है. लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक होना चाहिए.

नालंदाः जिले के बिहारशरीफ में पर्यावरण की थीम पर बना पंडाल और प्रतिमा लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है. सोहडीह मोहल्ले में स्थित इस पूजा पंडाल को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं. इसे देखने के लिए आ रहे लोग इसके आयोजक हनुमान मंदिर समिति की सराहना कर रहे हैं.

पेड़-पौधों में भी भगवान का अंश
आयोजकों ने बताया कि दुर्गा पूजा के मौके पर पंडाल और मूर्ति से लोगों को पर्यावरण की रक्षा का संदेश देने की कोशिश है. मां दुर्गा के प्रति लोगों की अगाध आस्था को देखते हुए यहां मां दुर्गा की प्रतिमा को विशाल बरगद के पेड़ के अंदर से निकलते हुए दिखाया गया है, ताकि लोग पेड़-पौधों में भी भगवान का अंश स्वीकारें और इसकी रक्षा करें.

नालंदा
मां दुर्गा की पूजा करते श्रद्धालु

पेड़ है ऑक्सीजन का भी मुख्य स्त्रोत
पेड़ पर पक्षियों का घोंसला भी बनाया गया है. जिससे लोगों में यह संदेश जाए कि ईश्वर की बेहतरीन कृति पक्षी के जीवन की रक्षा के लिए पेड़-पौधे जरूरी हैं. साथ ही हमारे जीवित रहने के लिए जरूरी ऑक्सीजन का भी मुख्य स्त्रोत पेड़ ही है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल इस पूजा समिति का थीम बहुत अलग होता है और समाज को संदेश देने वाला होता है.

पेश है खास रिपोर्ट

पर्यावरण के संतुलन के लिए पेड़ जरूरी
आयोजकों ने बताया कि आए दिन हम बाढ़ और सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहे हैं. इसकी मुख्य वजह पर्यावरण का असंतुलन है. इसके संतुलन के लिए जरूरी है कि हम पेड़-पौधों को बचाएं और नए पेड़ भी लगाएं. उन्होंने कहा कि एक पेड़ सौ पुत्र के समान होता है. एक पेड़ हमारे जीवन में कई भूमिका निभाता है. लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक होना चाहिए.

Intro:नालंदा। एक ओर सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की गई है, वहीं दूसरी ओर आम लोग भी वृक्षारोपण को लेकर संदेश देने का काम कर रहे हैं। दुर्गा पूजा के मौके पर तैयार किए गए पूजा पंडाल के माध्यम से भी लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए संदेश देने का काम किया जा रहा है। बिहारशरीफ के सोहडीह मोहल्ले में हनुमान मंदिर समिति की ओर से बनाए गए पूजा पंडाल एवं मूर्ति की स्थापना पर्यावरण की रक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
समिति की ओर से बनाए गए मां दुर्गा की प्रतिमा को विशाल बरगद के बीच के अंदर स्थापित किया गया है। इतना ही नहीं इस विशाल वृक्ष के अंदर पशु पक्षियों के रहने की जगह दिखाई गई है और यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि किस प्रकार एक पेड़ मनुष्य को छाया देने का काम तो करता ही है,वही पशु पक्षी के रहने के लिए भी काम आता है।


Body:पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि पर्यावरण असंतुलन के कारण कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और लोग काफी परेशान होते हैं । इस बार भी पर्यावरण असंतुलन के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई, जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। एक पेड़ की रक्षा कर पर्यावरण असंतुलन को दूर किया जा सकता है। एक पेड़ 100 पुत्र के समान होते हैं जिस प्रकार अपने पुत्रों के लोग रक्षा करते हैं उसी प्रकार पेड़ की रक्षा भी करनी चाहिए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सोहडीह मोहल्ले में विगत कई वर्षों से पर्यावरण को ध्यान में रखकर पूजा पंडाल का मूर्ति की स्थापना की जा रही है । पूर्व में भी धान का बिछड़ा, चाय का बागान आदि का थीम दिन दिया गया था। इस बार जल जीवन हरियाली योजना के तहत पर्यावरण का थीम तैयार किया गया जो कि काफी महत्वपूर्ण है।
बाइट। रिंकू कुमार, समिति सदस्य
बाइट। मुन्ना कुमार, समिति सदस्य
बाइट। वसंत कुमार, ग्रामीण


Conclusion:
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