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कार्तिक पूर्णिमा : गंगा स्नान के लिए नालंदा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

कार्तिक पूर्णिमा को अवसर पर पंचाने नदी में स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. बताया जाता है कि कोसुक घाट पर स्नान करने का अपना एक अलग महत्व है. वहीं, इस, मौके पर श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद दीप का दान किया साथ ही तुलसी पौधा का भी रोपन किया.

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Published : Nov 12, 2019, 11:54 AM IST

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नालंदा: कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जिले के विभिन्न नदियों, जलाशय और तालाबों में स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगलवार की सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए नदियों तालाबों की ओर रुख करना शुरू कर दिया था. वहीं, बिहारशरीफ प्रखंड के पंचाने नदी के कोसुक घाट पर श्रद्धालुओं ने नदी में आस्था की डूबकी लगाई. साथ ही घाट के किनारे स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की.

भगवान आए थे राजगीर
बताया जाता है कि कोसुक घाट पर स्नान करने का अपना एक अलग महत्व है. यहां भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध का वध करने के बाद राजगीर आए थे, तो उन्होंने पंचाने नदी में स्नान करने के बाद तुलसी का पौधा रोपित किया था. इसलिए इस क्षेत्र को गोविंद क्षेत्र भी कहा जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा को लेकर घाट पर जमा श्रद्धालुओं की भीड़

ये भी पढ़े:कार्तिक पूर्णिमा को लेकर उत्तरायणी गंगा के तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सूरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस, मौके पर श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद दीप का दान भी किया साथ ही तुलसी पौधा का भी रोपन किया. वहीं, श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. साथ ही महिला और पुरुष पुलिस पदाधिकारी के साथ-साथ यहां नदियों में कोई हादसा ना हो इसलिए एसडीआरएफ की टीम भी तैनात की गई है.

kartik purnima
पूजा अर्चाना करती महिला

सांसारिक पाप और ताप का होता है शमन
बता दें कि हिन्दू मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है. इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन और वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया है.

नालंदा: कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जिले के विभिन्न नदियों, जलाशय और तालाबों में स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगलवार की सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए नदियों तालाबों की ओर रुख करना शुरू कर दिया था. वहीं, बिहारशरीफ प्रखंड के पंचाने नदी के कोसुक घाट पर श्रद्धालुओं ने नदी में आस्था की डूबकी लगाई. साथ ही घाट के किनारे स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की.

भगवान आए थे राजगीर
बताया जाता है कि कोसुक घाट पर स्नान करने का अपना एक अलग महत्व है. यहां भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध का वध करने के बाद राजगीर आए थे, तो उन्होंने पंचाने नदी में स्नान करने के बाद तुलसी का पौधा रोपित किया था. इसलिए इस क्षेत्र को गोविंद क्षेत्र भी कहा जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा को लेकर घाट पर जमा श्रद्धालुओं की भीड़

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सूरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस, मौके पर श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद दीप का दान भी किया साथ ही तुलसी पौधा का भी रोपन किया. वहीं, श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. साथ ही महिला और पुरुष पुलिस पदाधिकारी के साथ-साथ यहां नदियों में कोई हादसा ना हो इसलिए एसडीआरएफ की टीम भी तैनात की गई है.

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पूजा अर्चाना करती महिला

सांसारिक पाप और ताप का होता है शमन
बता दें कि हिन्दू मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है. इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन और वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया है.

Intro:नालंदा । कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जिले के विभिन्न नदियों, जलाशयों, तालाबों में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी । अहले सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए नदियों तालाबों की ओर रुख करना शुरू कर दिया था । जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के पंचाने नदी कोसुक घाट पर सुबह से ही महिला पुरुष के साथ साथ बच्चे बुजुर्ग श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंच गए। बताया जाता है कि प्रातः 3:00 बजे से ही यहां श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया था और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर डुबकी लगाना शुरू किया। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा दीप का दान भी किया गया।


Body:कहा जाता है कि कोसुक घाट पर स्नान करने का अपना एक अलग महत्व है । यहां इस क्षेत्र को गोविंद क्षेत्र भी कहा जाता हैम बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जरासंध का वध करने जब राजगीर आए थे तो इसी पंचाने नदी में स्नान करने के बाद तुलसी का पौधा रोपित किया था ।इसलिए इस क्षेत्र को गोविंद क्षेत्र कहा जाता है । बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करने के बाद दीप का दान भी किया और तुलसी पौधा रोपा । श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किए गए थे ।महिला एवं पुरुष पुलिस पदाधिकारी के साथ-साथ यहां नदियों में कोई हादसा ना हो इसलिए एसडीआरएफ की टीम तैनात की गई थी। बिहटा सलसे आई एसडीआरएफ की टीम सुबह 3 बजे से ही नदियों में भ्रमण शील थी ताकि कोई भी श्रद्धालु गहरे पानी की ओर ना जाएं। एसडीआरएफ की टीम लगातार लोगों को सचेत करती रही।
बाइट। गोपाल उपाध्याय, पुजारी
बाइट। आरती देवी, श्रद्धालु
बाइट। तारा बाबू सिंह, हेड कांस्टेबल, एस डी आर एफ


Conclusion:
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