नालंदा : बिहार के नालंदा में रेल पुलिस की लापरवाही सामने आई है. यहां अस्पताल से शव को पोस्टमार्टम के बाद सुरक्षित शव वाहन से ना ले जाकर, टोटो पर बोरे की तरह लाद दिया गया. इसके बाद शव को जैसे तैसे करके राजगीर ले गए. अस्पताल से निकलने के बाद टोटो पर रखा शव रास्ते भर कई जगह पोल व अन्य चीजों से टकराता रहा. कभी शव का सिर खंभे से टकरा जाता, तो कभी पैर टकरा किसी वाहन में टकरा रहा था.
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टोटो पर रखा शव वाहनों से टकरा रहा था :इतने के बाद भी टोटो चालक और जवान को इस बात का अंदाजा नहीं लग रहा था. सभी बेफिक्र होकर जा रहे थे. यह दृश्य देख मुहल्लेवासियों ने गाड़ी रुकवा कर जवान को खूब खरी-खोटी सुनाई तब जाकर जवान को अपनी गलती का एहसास हुआ और शव को सुरक्षित रखा गया. दरअसल, राजगीर थाना क्षेत्र के पंडितपुर गांव के पास अज्ञात ट्रेन की चपेट में आने से एक 40 वर्षीय अधेड़ की मौत हो गई थी.
रेल पुलिस के जवान ने मानी गलती : उसी शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए राजगीर रेल थाना पुलिस के जवान बिहार शरीफ सदर अस्पताल लेकर आए थे. फिर पोस्टमार्टम के बाद शव की पहचान के लिए सुरक्षित रखने के लिए राजगीर थाना लेकर लौट रहे थे. राजगीर रेल थाना पुलिस के जवान आमोद पासवान ने अपनी गलती मानते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग नहीं किए थे. इस कारण उन्हें शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया. जिस वाहन से पोस्टमार्टम के लिए शव को लेकर आए थे. उसी पर रख कर लौटना मुनासिब समझा.
"शव वाहन की मांग नहीं की गई थी. इस कारण उपलब्ध नहीं कराई गई. शव को अमानवीय तरीके से लाना भी एक अपराध है. यदि इस तरह की गलती की गई है तो जांच कर कार्रवाई के लिए बड़े अधिकारी को लिखा जाएगा". - रामचंद्र सिंह, रेल थानाध्यक्ष, राजगीर