नालंदा: जिले में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना से लोगों की मौत भी हो रही है. लेकिन जिले में ये पहला मामला सामने आया जब एक 15 साल के बच्चे की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है. प्रशासन के सूचना देने के बाद भी शव को उठाने में 21 लग गए. इसको लेकर स्थानीय और कांग्रेस की ओर से नाराजगी देखी गई.
बताया जाता है कि शिवनगर मोहल्ले के रहने वाले 15 साल के युवक को विगत दो सप्ताह पूर्व टाइफाइड था. जिसके बाद स्थानीय स्तर पर उसका इलाज भी चला. लेकिन उसकी तबीयत में सुधार नहीं हो पाई. इसके बाद परिजनों ने गुरुवार को पावापुरी अस्पताल ले जाया गया. जहां कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया गया. इसी बीच गुरुवार की शाम करीब 7 बजे बच्चे की तबीयत खराब हुई और उसके बाद उसका निधन हो गया.
21 घंटे बाद आए प्रशासनिक अधिकारी
परिजनों के द्वारा कोरोना जांच के लिए दिए गए सैंपल के बारे में पता किया गया. जिसमें पावापुरी मेडिकल कॉलेज की ओर से कोरोना की पुष्टि की गई. कोरोना की पुष्टि होने के बाद परिजन ने कोरोना को लेकर जारी किए गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार हो सके, इसके लिए प्रशासनिक अधिकारी को इसकी जानकारी दी गई. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण करीब 21 घंटे तक शव घर के बाहर दरवाजे पर पड़ा रहा. लेकिन उसे उठाने वाला कोई नहीं आया. आखिरकार करीब 21 घंटे बाद एक शव वाहन उसको ले जाया गया. जिसपर लोगों ने प्रशासन के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है.
कांग्रेस का प्रशासन के खिलाफ रोष
इधर नालंदा जिला कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार ने भी प्रशासन के इस रवैए पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, सदर अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन तक सूचना देने के बाद भी डेड बॉडी उठाने में प्रशासनिक महकमा नहीं पहुंचा. जिससे उस मोहल्ले के लोगों में भय का माहौल देखा गया. उन्होंने कहा कि जो परिस्थिति बनी हुई, सभी लोग जानते हैं और देख रहे हैं कि कोरोना संक्रमित मरीज किस प्रकार दर-दर ठोकर खा रहे हैं.