ETV Bharat / state

जल संचय के लिए बनाए गए चेक डैम बने 'हाथी के दांत', कभी राष्ट्रीय स्तर पर मिल चुका है अवार्ड

प्रोजेक्ट जल संचय के अंतर्गत कुल 6 घंटक लिए गए. इनमें प्रथम चरण में मनरेगा योजना के अंतर्गत 16 चेक डैम का निर्माण कराया गया. बाद के चरणों में करीब 125 और चेक डैम बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसमें भूमिगत जल स्तर बढ़ने की उम्मीद जताई गई.

author img

By

Published : Jun 11, 2020, 8:59 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 12:30 PM IST

प्रोजेक्ट जल संचय
प्रोजेक्ट जल संचय

नालंदा: जिले में वर्षा जल की प्रासंगिकता को पहचानने और उसके संग्रहण को व्यापक स्तर पर फैलाने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट जल संचय शुरू किया गया था. जिले के तत्कालीन उप विकास आयुक्त कुंदन कुमार की कोशिशों से चेक डैम का निर्माण कराया गया था. लेकिन महज 3 साल में ही ये चेक डैम महज दिखावे की सामग्री बन कर रह गए हैं.

मनरेगा योजना के तहत बने चेक डैम
मनरेगा योजना के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों मे 16 चेक डैम बनाए गए, जिससे किसानों के लाभान्वित होने के साथ-साथ भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि की उम्मीद जताई गई. चेक डैम के निर्माण के बाद केंद्र सरकार ने इसे उपलब्धि माना और नालंदा मॉडल को पूरे देश में लागू करने की बात कही गई. इसके निर्माण के बाद तत्कालीन उप विकास आयुक्त कुंदन कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित भी किया. इतनी उपलब्धियों के बावजूद महज 3 साल बाद ही पूरे जल संचय की स्थिति दयनीय हो गई है.

nalanda
'हाथी के दांत' बने चेक डैम

130 गांवों में बनाए गए 16 चेक डैम
नालंदा में बनाए गए 16 चेक डैम से कुल 130 गांवों के 14 हजार 662 किसानों को लाभ होने का अनुमान जताया गया था. बिहार शरीफ प्रखंड के नकटपुरा, अस्थावां प्रखंड के ओनंदा, नूरसराय के जगदीशपुर तियारी, रहुई के पेशौर, मोरा तलाव, बिंद के जमसारी, हरनौत के गोनवां, राजगीर के गोरौर, गिरियक के घोषरावां, परवलपुर के पीलीछ, चंडी के रुखाई, नगरनौसा के कछियमा, कराय परसुराय के बेरथु, एकंगर सराय के मंडाछ, इस्लामपुर के मोहनचक और थरथरी के जैतपुर में चेक डैम बनाए गए थे.

nalanda
जंगल में तब्दील हुआ चेक डैम

6 घंटकों में हुआ चेक डैम का निर्माण
प्रोजेक्ट जल संचय के अंतर्गत कुल 6 घंटक लिए गए. इनमें प्रथम चरण में मनरेगा योजना के अंतर्गत 16 चेक डैम का निर्माण कराया गया. बाद के चरणों में करीब 125 और चेक डैम बनाने का प्रस्ताव रखा गया. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत पूरे जिले में 537 योजनाओं के माध्यम से 416 किलोमीटर पईन की उड़ाही भी की गई. इससे 14 हजार 870 लाख लीटर जल संचय होने का अनुमान जताया गया. उम्मीद थी कि इस पूरी योजना के जरिए किसानों को खेती के लिए सिंचाई में होने वाली समस्या दूर होगी लेकिन हुआ इसके उलट.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'चेक डैम का निर्माण सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी'
उम्मीद जताई गई थी कि इससे भूजल स्तर की बढ़ोतरी के साथ इसका संरक्षण भी हो पाएगा और किसानों को सिंचाई में भी सहायता मिलेगी. अफसोस की बात ये है कि जिस उद्देश्य से चेक डैम का निर्माण किया गया, तीन साल बाद वो उद्देश्य फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है. किसानों की माने तो चेक डैम के निर्माण से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. इससे सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी हुई है.

nalanda
योजना का शिलापट्ट

अपने उद्देश्य में फेल हुआ प्रोजेक्ट जल संचय
दरअसल तीन साल पहले जिले में जल के अत्यधिक दोहन से जल संकट गहराता जा रहा था. हालात ये हो गए थे कि परंपरागत जल स्रोत सूख रहे थे और भूमिगत जल स्तर में भी तेजी से गिरावट आ रही थी. जल की मांग और आपूर्ति का असंतुलन व्यापक होता जा रहा था. इन सबके उपर 2014 में जिले ने भीषण बाढ़ त्रासदी झेली और उसके अगले साल 2015 में भीषण सूखा रहा. इसी के मद्देनजर तत्कालीन उप विकास आयुक्त ने जल संचय परियोजना पर काम शुरू किया. जल संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण इसी सोच को मूर्त रूप देते हुए प्रोजेक्ट जल संचय की शुरुआत की गई थी.

नालंदा: जिले में वर्षा जल की प्रासंगिकता को पहचानने और उसके संग्रहण को व्यापक स्तर पर फैलाने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट जल संचय शुरू किया गया था. जिले के तत्कालीन उप विकास आयुक्त कुंदन कुमार की कोशिशों से चेक डैम का निर्माण कराया गया था. लेकिन महज 3 साल में ही ये चेक डैम महज दिखावे की सामग्री बन कर रह गए हैं.

मनरेगा योजना के तहत बने चेक डैम
मनरेगा योजना के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों मे 16 चेक डैम बनाए गए, जिससे किसानों के लाभान्वित होने के साथ-साथ भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि की उम्मीद जताई गई. चेक डैम के निर्माण के बाद केंद्र सरकार ने इसे उपलब्धि माना और नालंदा मॉडल को पूरे देश में लागू करने की बात कही गई. इसके निर्माण के बाद तत्कालीन उप विकास आयुक्त कुंदन कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित भी किया. इतनी उपलब्धियों के बावजूद महज 3 साल बाद ही पूरे जल संचय की स्थिति दयनीय हो गई है.

nalanda
'हाथी के दांत' बने चेक डैम

130 गांवों में बनाए गए 16 चेक डैम
नालंदा में बनाए गए 16 चेक डैम से कुल 130 गांवों के 14 हजार 662 किसानों को लाभ होने का अनुमान जताया गया था. बिहार शरीफ प्रखंड के नकटपुरा, अस्थावां प्रखंड के ओनंदा, नूरसराय के जगदीशपुर तियारी, रहुई के पेशौर, मोरा तलाव, बिंद के जमसारी, हरनौत के गोनवां, राजगीर के गोरौर, गिरियक के घोषरावां, परवलपुर के पीलीछ, चंडी के रुखाई, नगरनौसा के कछियमा, कराय परसुराय के बेरथु, एकंगर सराय के मंडाछ, इस्लामपुर के मोहनचक और थरथरी के जैतपुर में चेक डैम बनाए गए थे.

nalanda
जंगल में तब्दील हुआ चेक डैम

6 घंटकों में हुआ चेक डैम का निर्माण
प्रोजेक्ट जल संचय के अंतर्गत कुल 6 घंटक लिए गए. इनमें प्रथम चरण में मनरेगा योजना के अंतर्गत 16 चेक डैम का निर्माण कराया गया. बाद के चरणों में करीब 125 और चेक डैम बनाने का प्रस्ताव रखा गया. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत पूरे जिले में 537 योजनाओं के माध्यम से 416 किलोमीटर पईन की उड़ाही भी की गई. इससे 14 हजार 870 लाख लीटर जल संचय होने का अनुमान जताया गया. उम्मीद थी कि इस पूरी योजना के जरिए किसानों को खेती के लिए सिंचाई में होने वाली समस्या दूर होगी लेकिन हुआ इसके उलट.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'चेक डैम का निर्माण सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी'
उम्मीद जताई गई थी कि इससे भूजल स्तर की बढ़ोतरी के साथ इसका संरक्षण भी हो पाएगा और किसानों को सिंचाई में भी सहायता मिलेगी. अफसोस की बात ये है कि जिस उद्देश्य से चेक डैम का निर्माण किया गया, तीन साल बाद वो उद्देश्य फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है. किसानों की माने तो चेक डैम के निर्माण से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. इससे सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी हुई है.

nalanda
योजना का शिलापट्ट

अपने उद्देश्य में फेल हुआ प्रोजेक्ट जल संचय
दरअसल तीन साल पहले जिले में जल के अत्यधिक दोहन से जल संकट गहराता जा रहा था. हालात ये हो गए थे कि परंपरागत जल स्रोत सूख रहे थे और भूमिगत जल स्तर में भी तेजी से गिरावट आ रही थी. जल की मांग और आपूर्ति का असंतुलन व्यापक होता जा रहा था. इन सबके उपर 2014 में जिले ने भीषण बाढ़ त्रासदी झेली और उसके अगले साल 2015 में भीषण सूखा रहा. इसी के मद्देनजर तत्कालीन उप विकास आयुक्त ने जल संचय परियोजना पर काम शुरू किया. जल संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण इसी सोच को मूर्त रूप देते हुए प्रोजेक्ट जल संचय की शुरुआत की गई थी.

Last Updated : Jun 13, 2020, 12:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.