नालंदा: जिले में भाई दूज को लेकर सुबह से ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्र इलाके में चहल पहल देखी गयी. रक्षाबंधन के तर्ज पर ही भाई दूज का पर्व भी भाई-बहन के रिश्तों की डोर को एक धागे में पिरोने वाला पर्व है. यह एक विशेष त्योहार है. जिसे भारत में भाई और बहन के बीच बंधन मनाने के लिए मनाया जाता है.
उपहारों का आदान-प्रदान
कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. भाई दूज रक्षा बंधन के समान है. जब एक भाई और बहन एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं, लंबे जीवन और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं. भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जो एक भाई और बहन के बीच के बंधन का जश्न मनाता है.
पांच दिवसीय दिवाली उत्सव
इस त्योहार को भाबीज, भाई फोंटा, भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है. यह दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन, भाई-बहन पल को मनाते हैं और एक साथ उपवास का आनंद लेते हैं. इस भाई दूज त्योहार के साथ, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव समाप्त हो जाता है.
मृत्यु का नहीं रहेगा भय
भाई दूज कार्तिक महीने की द्वितीया तिथि, शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है. इस पर्व की ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन बहन यमुना ने अपने भाई यम से वर मांगा था कि जो भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उसको मृत्यु का भय नहीं रहेगा. भगवान सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया था.
त्याग और समर्पण का प्रतीक
यमराज और यमुना उनके पुत्र और पुत्री थे. यमुना हमेशा अपने भाई यमराज को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी. लेकिन व्यस्तता का हवाला देते हुए यमराज हमेशा उनके निवेदन को विनम्रतापूर्वक टाल देते थे. एक दिन देवी यमुना ने भाई यम को भोजन के लिए राजी कर लिया.
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह, त्याग और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन भाई-बहन अपने प्यार भरे रिश्ते को और प्रगाढ़ करते हैं. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और उनकी समृद्धि की कामना करती हैं.