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महज 16 साल की उम्र में बनाई राष्ट्रीय पहचान, ओलंपिक में गोल्ड जीतना लक्ष्य, जानें कौन है अनुषा रानी? - राष्ट्रीय स्कूल कराटे चैंपियनशिप

National School Karate Championship 2023: नालंदा की बेटी अनुषा रानी ने महज 16 साल की उम्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. अनुषा रानी ने 67वें राष्ट्रीय स्कूल कराटे चैंपियनशिप के 40 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीतकर अपने राज्य और परिवार का नाम रौशन किया है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

नालंदा की अनुषा रानी
नालंदा की अनुषा रानी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 24, 2023, 11:07 AM IST

राष्ट्रीय स्कूल कराटे चैंपियनशिप में दिखाया जलवा

नालंदा: जिनके हौसले में उड़ान हो, उन्हें पंख की जरूरत नहीं होती, इसी कहावत को नालंदा की बेटी अनुषा रानी ने सच कर दिखाया है. अनुषा नालंदा के अस्थावां प्रखंड अंतर्गत नेपुरा गांव निवासी संजीव कुमार के तीन बेटियों में सबसे छोटी पुत्री है. जिसने 67वें राष्ट्रीय स्कूल कराटे चैंपियनशिप के 40 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीतकर जिले का नाम रौशन किया है.

स्कूल में सीखा कराटे: अनुषा के पिता संजीव कुमार बताते हैं कि वह मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, खेती उनका मुख्य पेशा है लेकिन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शहर की ओर रुख करना पड़ा, अब मुख्यालय बिहारशरीफ में किराए के मकान में रहते हैं. वह एक निजी स्कूल में बतौर चपरासी और पत्नी बेबी देवी आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर कार्यरत हैं. उड़ान वर्ल्ड स्कूल में पिता नौकरी करते थे वहीं, अनुषा का एडमिशन करा दिया गया. वहां अपनी सहेलियों को कराटे का प्रशिक्षण करते देख वह भी सीखने लगी और उसकी रुचि बढ़ी तो वो आज राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच माता-पिता का नाम रौशन कर रही है.

ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य
ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य

कर्ज लेकर बेटी को खेलने भेजा: घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से पिता ने पहले राष्ट्रीय गेम में सेलेक्शन होने के बाद कर्ज लेकर अनुषा को खेलने के लिए भेजा था. उनका सपना है कि उनकी बेटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक खेले और देश का मान बढ़ाए. अनुषा रानी ने बताया कि वह 4 नेशनल कराटे गेम में एक गोल्ड और तीन कांस्य पदक जीता है. जिसके लिए राज्य सरकार की ओर से दो बार सम्मानित भी किया जा चुका है. 2016 से कराटे गेम से जुड़ी और उसके बाद जिला और राज्य स्तर पर अब तक दर्जनों मेडल जीत चुकी हैं.

"मैं अपनी बेटी की इस सफलता से काफी खुश हूं, जो हम कभी सोचे नहीं थे वह आज हमारी बेटी ने कर दिखाया है. मेरा सपना है कि मेरी बेटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक खेले और देश का मान बढ़ाए." -संजीव कुमार, पिता

मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित: अनुषा ने पहली बार 2018 में नेशनल गेम में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कराटे के 40 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. राज्य सरकार ने खेल दिवस के अवसर पर सत्र 2019-20 में पटना के खेल भवन में 50,000 की राशि के साथ प्रशास्वी पत्र देकर सम्मानित किया. वहीं सत्र 2020-21 में 35000 राशि देकर मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया था. इस वर्ष दिल्ली के छत्रशाल स्टेडियम में आयोजित 67वीं नेशनल गेम चैंपियनशिप 17 से 19 दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था. जिसमें वह कांस्य पदक जीत कर लौटी हैं. इस प्रतियोगिता में देश भर से कुल 640 प्रतिभागी हिस्सा लिया था. जिसमें वह सेमीफाइनल में दिल्ली की प्रतिभागी से हार गई.

"मैं देश के लिए खेलना चाहती हूं और ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य है. जिसके लिए मैं जी तोड़ मेहनत कर रही हूं. सरकार से मांग है कि जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन संसाधनों के अभाव में वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में प्रतिभावान बच्चों के लिए बढ़िया ट्रेनिंग कैम्प, ट्रेनर और किट मुहैया कराएं."-अनुषा रानी, खिलाड़ी

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स्कूल में सीखा कराटे: अनुषा के पिता संजीव कुमार बताते हैं कि वह मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, खेती उनका मुख्य पेशा है लेकिन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शहर की ओर रुख करना पड़ा, अब मुख्यालय बिहारशरीफ में किराए के मकान में रहते हैं. वह एक निजी स्कूल में बतौर चपरासी और पत्नी बेबी देवी आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर कार्यरत हैं. उड़ान वर्ल्ड स्कूल में पिता नौकरी करते थे वहीं, अनुषा का एडमिशन करा दिया गया. वहां अपनी सहेलियों को कराटे का प्रशिक्षण करते देख वह भी सीखने लगी और उसकी रुचि बढ़ी तो वो आज राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच माता-पिता का नाम रौशन कर रही है.

ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य
ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य

कर्ज लेकर बेटी को खेलने भेजा: घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से पिता ने पहले राष्ट्रीय गेम में सेलेक्शन होने के बाद कर्ज लेकर अनुषा को खेलने के लिए भेजा था. उनका सपना है कि उनकी बेटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक खेले और देश का मान बढ़ाए. अनुषा रानी ने बताया कि वह 4 नेशनल कराटे गेम में एक गोल्ड और तीन कांस्य पदक जीता है. जिसके लिए राज्य सरकार की ओर से दो बार सम्मानित भी किया जा चुका है. 2016 से कराटे गेम से जुड़ी और उसके बाद जिला और राज्य स्तर पर अब तक दर्जनों मेडल जीत चुकी हैं.

"मैं अपनी बेटी की इस सफलता से काफी खुश हूं, जो हम कभी सोचे नहीं थे वह आज हमारी बेटी ने कर दिखाया है. मेरा सपना है कि मेरी बेटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक खेले और देश का मान बढ़ाए." -संजीव कुमार, पिता

मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित: अनुषा ने पहली बार 2018 में नेशनल गेम में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कराटे के 40 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. राज्य सरकार ने खेल दिवस के अवसर पर सत्र 2019-20 में पटना के खेल भवन में 50,000 की राशि के साथ प्रशास्वी पत्र देकर सम्मानित किया. वहीं सत्र 2020-21 में 35000 राशि देकर मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया था. इस वर्ष दिल्ली के छत्रशाल स्टेडियम में आयोजित 67वीं नेशनल गेम चैंपियनशिप 17 से 19 दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था. जिसमें वह कांस्य पदक जीत कर लौटी हैं. इस प्रतियोगिता में देश भर से कुल 640 प्रतिभागी हिस्सा लिया था. जिसमें वह सेमीफाइनल में दिल्ली की प्रतिभागी से हार गई.

"मैं देश के लिए खेलना चाहती हूं और ओलंपिक में गोल्ड जितना पहला लक्ष्य है. जिसके लिए मैं जी तोड़ मेहनत कर रही हूं. सरकार से मांग है कि जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन संसाधनों के अभाव में वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में प्रतिभावान बच्चों के लिए बढ़िया ट्रेनिंग कैम्प, ट्रेनर और किट मुहैया कराएं."-अनुषा रानी, खिलाड़ी

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