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नालंदा: सरकारी नौकरी छोड़कर विदेशी फसलों की कर रहे खेती, महिलाओं को दे रहे रोजगार

आलोक कुमार ने बताया कि 21 लोगों का समूह बनाकर खेती का काम शुरू किया गया था. जो आज काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती को बढ़ावा देने का काम सरकार के स्तर पर भी किया जा रहा है. साथ ही सरकार की ओर से अनुदान भी मुहैया कराई गई है.

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Published : Dec 28, 2019, 1:10 PM IST

alok kumar cultivating foreign crops in nalanda
सरकारी नौकरी छोड़कर विदेशी फसलों की कर रहे खेती

नालंदा: कृषि को घाटे का सौदा माना जाता है. कृषि में अधिक मुनाफा नहीं होने के कारण किसान इससे मुंह मोड़ रहे हैं. लेकिन जिले के दीप नगर के मेंघी नगमा गांव निवासी सुरेंद्र कुमार के पुत्र आलोक कुमार ने कृषि को मुनाफे का सौदा साबित करने का काम किया है. जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो रहा है. उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर देशी-विदेशी फसलों की खेती शुरू किया है और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही जल जीवन हरियाली को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.

सरकारी नौकरी छोड़कर कर रहे खेती
आलोक कुमार ने एग्रीकल्चर में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है. उसके बाद सरकारी नौकरी भी की. लेकिन कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़कर अपने घर वापस लौट कर खेती करने का मन बनाया. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर कई प्रकार की खेती को देखा. जिसके बाद उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर कुछ नया करने का मन बनाया. जिसके बाद वो अपने घर वापस लौटे और शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जलबेरा के विभिन्न प्रजाति की खेती शुरू की. जिसमें उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है.

देखें ये रिपोर्ट

महिलाओं को दिया रोजगार
इस खेती के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान किए. बड़ी संख्या में महिलाएं खेतों में काम कर रही हैं और घर परिवार चलाने में मददगार साबित हो रही हैं. इतना ही नहीं सरकार की ओर से जो जल जीवन हरियाली अभियान चलाया जा रहा है, उस अभियान में भी इस प्रकार की खेती कारगर साबित हो रही है. आलोक कुमार ने बताया कि टपकन विधि के माध्यम से खेती का काम किया जा रहा है. जिसमें ठंड के दिनों में मात्र 5 मिनट और गर्मी के दिनों में मात्र 10 मिनट सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ती है. इससे बोरिंग से की जाने वाली खेती से निजात मिलेगी. वहीं घटते वाटर लेवल को भी बढ़ाने में मददगार साबित होगा.

alok kumar cultivating foreign crops in nalanda
गुलदस्ता बनातीं महिलाएं

ये भी पढ़ें: ऐश्वर्या मामले पर बोली बीजेपी- यादव समाज की लड़की को किया जा रहा अपमानित

बढ़ावा दे रही सरकार
इनके द्वारा की जा रही है खेती खुले में की जा रही है. इसके अलावा नेट हाउस के माध्यम से भी खेती की जा रही है. आलोक कुमार ने बताया कि 21 लोगों का समूह बनाकर खेती का काम शुरू किया गया था. जो आज काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती को बढ़ावा देने का काम सरकार के स्तर पर भी किया जा रहा है. साथ ही सरकार की ओर से अनुदान भी मुहैया कराई गई है. इन लोगों द्वारा उगाई जा रही शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जल्वेरा के विभिन्न प्रजाति को बिहार ही नहीं बल्कि बाहर भी भेजने का काम किया जा रहा है. जिससे इन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है.

नालंदा: कृषि को घाटे का सौदा माना जाता है. कृषि में अधिक मुनाफा नहीं होने के कारण किसान इससे मुंह मोड़ रहे हैं. लेकिन जिले के दीप नगर के मेंघी नगमा गांव निवासी सुरेंद्र कुमार के पुत्र आलोक कुमार ने कृषि को मुनाफे का सौदा साबित करने का काम किया है. जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो रहा है. उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर देशी-विदेशी फसलों की खेती शुरू किया है और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही जल जीवन हरियाली को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.

सरकारी नौकरी छोड़कर कर रहे खेती
आलोक कुमार ने एग्रीकल्चर में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है. उसके बाद सरकारी नौकरी भी की. लेकिन कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़कर अपने घर वापस लौट कर खेती करने का मन बनाया. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर कई प्रकार की खेती को देखा. जिसके बाद उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर कुछ नया करने का मन बनाया. जिसके बाद वो अपने घर वापस लौटे और शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जलबेरा के विभिन्न प्रजाति की खेती शुरू की. जिसमें उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है.

देखें ये रिपोर्ट

महिलाओं को दिया रोजगार
इस खेती के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान किए. बड़ी संख्या में महिलाएं खेतों में काम कर रही हैं और घर परिवार चलाने में मददगार साबित हो रही हैं. इतना ही नहीं सरकार की ओर से जो जल जीवन हरियाली अभियान चलाया जा रहा है, उस अभियान में भी इस प्रकार की खेती कारगर साबित हो रही है. आलोक कुमार ने बताया कि टपकन विधि के माध्यम से खेती का काम किया जा रहा है. जिसमें ठंड के दिनों में मात्र 5 मिनट और गर्मी के दिनों में मात्र 10 मिनट सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ती है. इससे बोरिंग से की जाने वाली खेती से निजात मिलेगी. वहीं घटते वाटर लेवल को भी बढ़ाने में मददगार साबित होगा.

alok kumar cultivating foreign crops in nalanda
गुलदस्ता बनातीं महिलाएं

ये भी पढ़ें: ऐश्वर्या मामले पर बोली बीजेपी- यादव समाज की लड़की को किया जा रहा अपमानित

बढ़ावा दे रही सरकार
इनके द्वारा की जा रही है खेती खुले में की जा रही है. इसके अलावा नेट हाउस के माध्यम से भी खेती की जा रही है. आलोक कुमार ने बताया कि 21 लोगों का समूह बनाकर खेती का काम शुरू किया गया था. जो आज काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती को बढ़ावा देने का काम सरकार के स्तर पर भी किया जा रहा है. साथ ही सरकार की ओर से अनुदान भी मुहैया कराई गई है. इन लोगों द्वारा उगाई जा रही शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जल्वेरा के विभिन्न प्रजाति को बिहार ही नहीं बल्कि बाहर भी भेजने का काम किया जा रहा है. जिससे इन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है.

Intro:देसी विदेशी फसलों को उपजा कर कमा रहे मुनाफा
नौकरी छोड़ खेती कर रहे मेघि निवासी आलोक कुमार
नालंदा। कृषि को घाटे का सौदा माना जाता है । कृषि में अधिक मुनाफा नहीं होने के कारण किसान इससे मुंह मोड़ रहे है लेकिन नालंदा जिले के दीप नगर के मेंघी नगमा गांव निवासी सुरेंद्र कुमार के पुत्र आलोक कुमार ने कृषि को मुनाफा का सौदा साबित करने का काम किया है जो कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो रहा है । उन्होंने परंपरागत खेती के छोड़कर देसी विदेशी फसलों का खेती शुरू किया और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं । वहीं जल जीवन हरियाली को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।


Body:आलोक कुमार ने एग्रीकल्चर में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद सरकारी नौकरी भी की लेकिन कुछ दिनों के बाद नौकरी को उन्होंने त्याग दिया और अपने घर वापस लौट कर की खेती करने का मन बनाया । उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान कई प्रकार की खेती को देखा। जिसके बाद उनके मन में परंपरागत क्षेत्र खेती को छोड़कर नया करने का मन बनाया।
अपने घर वापस लौटे आलोक कुमार ने शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जलबेरा के विभिन्न प्रजाति की खेती शुरू की जिसमें उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है । इस खेती के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान किए। बड़ी संख्या में महिलाएं खेतों में काम कर रही हैं और घर परिवार चलाने में मददगार साबित हो रही हैं।
इतना ही नहीं सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान चलाया जा रहा है उस अभियान में भी इस प्रकार की खेती कारगर साबित हो रही है। टपकन विधि के माध्यम से खेती का काम किया जा रहा है जिसमें ठंड के दिनों में मात्र 5 मिनट एवं गर्मी के दिनों में मात्र 10 मिनट सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ती है जिससे बोरिंग से की जाने वाली खेती से निजात मिलेगा वही घटते वाटर लेवल को भी बढ़ाने में मददगार साबित होगा।


Conclusion:इनके द्वारा की जा रही है खेती में खुले में खेती की जा रही है इसके अलावा नेट हाउस के माध्यम से भी खेती की जा रही है। 21 लोगों का समूह बनाकर खेती का काम शुरू किया गया जो कि आज काफी फायदेमंद साबित हो रहा है । इस खेती को बढ़ावा देने का काम सरकार के स्तर पर भी किया जा रहा है और इन्हें सरकार की ओर से अनुदान भी मुहैया कराई गई है । इन लोगों द्वारा की जा रही खेती को शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, जल्वेरा के विभिन्न प्रजाति को बिहार ही नहीं बाहर भी भेजने का काम किया जा रहा है जिससे इन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है।
बाइट। आलोक कुमार, किसान
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