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नालंदा: एसिड अटैक पीड़िता को है न्याय का इंतजार, 8 साल बाद भी नहीं मिल सका कोई मुआवजा

देखने में खूबसूरत गुड़िया देवी के बारे में जब लोगों की तरफ से पति के सामने तारीफ होती थी, तब पति गुस्से में आ जाता था. इसी कारण कारू ने 7 जून 2012 को घर में पत्नी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया.

एसिड अटैक पीड़िता
एसिड अटैक पीड़िता
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Published : Jan 18, 2020, 6:00 PM IST

नालंदा: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'छपाक' से एसिड अटैक का दंश झेल चुकी लक्ष्मी अग्रवाल की तरह ही बिहारशरीफ की गुड़िया देवी की भी कहानी काफी दर्दनाक है. गुड़िया का दर्द लक्ष्मी अग्रवाल की पीड़ा से एक मायने में बड़ा है. क्योंकि उस पर तेजाब फेंकने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका पति ही था.

गुड़िया को ईश्वर ने खूबसूरत बनाकर भेजा था. यही सूरत उसकी दुश्मन बन गई. पति ने तेजाब से उसका चेहरा सिर्फ इसलिए जला दिया, ताकि नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग उसकी सुंदरता की तारीफ न कर सकें. इस घटना ने एक महिला के खूबसूरत लगने का अधिकार हमेशा के लिए छीन लिया. लेकिन उसके मन की खूबसूरती बरकरार रही. घटना 7 जून 2012 की है.

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गुड़िया देवी, एसिड अटैक पीड़िता

पति ने पत्नी के ऊपर फेंका तेजाब
बताया जाता है कि बिहारशरीफ के फतेहली गांव निवासी गुड़िया देवी की शादी अम्बेर निवासी ऑटो चालक कारू प्रसाद के साथ हुई थी. कारू को नशे की आदत थी और वो अपनी कमाई को शराब में उड़ा देता था. इसी बीच जब घर चलाने के लिए खर्च की बात गुड़िया देवी की तरफ से कही जाती थी, तब दोनों में विवाद हो जाता था. इस बाबत गुड़िया देवी ने घरों में चौका बर्तन करने का काम शुरू किया. देखने में काफी खूबसूरत गुड़िया देवी के बारे में जब लोगों की तरफ से पति के सामने तारीफ होती थी, तब पति गुस्से में आ जाता था.

एसिड अटैक पीड़िता को नहीं मिला मुआवजा

इसी कारण कारू ने 7 जून 2012 को घर में पत्नी गुड़िया देवी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया. इस घटना में उसकी एक छोटी बेटी के पैर भी तेज़ाब में झुलस गए. इस घटना के बाद महिला का इलाज हुआ, जिसमें उसकी जान तो बच गयी, लेकिन उसकी सुंदरता चली गयी, उसका चेहरा पूरी तरह झुलस गया. एक आंख भी चली गयी. कान से भी दिक्कत हो गई.

मदद करेगी सरकार
पुलिस ने आरोपी कारू को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन करीब 2 साल तक जेल में रह रहे कारू की गरीबी के कारण गुड़िया देवी ने समझौता कर लिया, जिससे पति को बेल मिल गया.
इस हादसे के बाद गुड़िया देवी दो बेटों और दो बेटी की खुद परवरिश कर रही है. घटना के 8 साल बीत गए, लेकिन अब तक गुड़िया को कोई मुआवजा नहीं मिल सका है. वहीं, गुड़िया को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन उसकी मदद करेगी.

नालंदा: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'छपाक' से एसिड अटैक का दंश झेल चुकी लक्ष्मी अग्रवाल की तरह ही बिहारशरीफ की गुड़िया देवी की भी कहानी काफी दर्दनाक है. गुड़िया का दर्द लक्ष्मी अग्रवाल की पीड़ा से एक मायने में बड़ा है. क्योंकि उस पर तेजाब फेंकने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका पति ही था.

गुड़िया को ईश्वर ने खूबसूरत बनाकर भेजा था. यही सूरत उसकी दुश्मन बन गई. पति ने तेजाब से उसका चेहरा सिर्फ इसलिए जला दिया, ताकि नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग उसकी सुंदरता की तारीफ न कर सकें. इस घटना ने एक महिला के खूबसूरत लगने का अधिकार हमेशा के लिए छीन लिया. लेकिन उसके मन की खूबसूरती बरकरार रही. घटना 7 जून 2012 की है.

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गुड़िया देवी, एसिड अटैक पीड़िता

पति ने पत्नी के ऊपर फेंका तेजाब
बताया जाता है कि बिहारशरीफ के फतेहली गांव निवासी गुड़िया देवी की शादी अम्बेर निवासी ऑटो चालक कारू प्रसाद के साथ हुई थी. कारू को नशे की आदत थी और वो अपनी कमाई को शराब में उड़ा देता था. इसी बीच जब घर चलाने के लिए खर्च की बात गुड़िया देवी की तरफ से कही जाती थी, तब दोनों में विवाद हो जाता था. इस बाबत गुड़िया देवी ने घरों में चौका बर्तन करने का काम शुरू किया. देखने में काफी खूबसूरत गुड़िया देवी के बारे में जब लोगों की तरफ से पति के सामने तारीफ होती थी, तब पति गुस्से में आ जाता था.

एसिड अटैक पीड़िता को नहीं मिला मुआवजा

इसी कारण कारू ने 7 जून 2012 को घर में पत्नी गुड़िया देवी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया. इस घटना में उसकी एक छोटी बेटी के पैर भी तेज़ाब में झुलस गए. इस घटना के बाद महिला का इलाज हुआ, जिसमें उसकी जान तो बच गयी, लेकिन उसकी सुंदरता चली गयी, उसका चेहरा पूरी तरह झुलस गया. एक आंख भी चली गयी. कान से भी दिक्कत हो गई.

मदद करेगी सरकार
पुलिस ने आरोपी कारू को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन करीब 2 साल तक जेल में रह रहे कारू की गरीबी के कारण गुड़िया देवी ने समझौता कर लिया, जिससे पति को बेल मिल गया.
इस हादसे के बाद गुड़िया देवी दो बेटों और दो बेटी की खुद परवरिश कर रही है. घटना के 8 साल बीत गए, लेकिन अब तक गुड़िया को कोई मुआवजा नहीं मिल सका है. वहीं, गुड़िया को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन उसकी मदद करेगी.

Intro:एसिड अटैक पीड़िता को न्याय का इंतजार
8 वर्ष बाद भी नहीं मिल सका कोई मुआवजा
नालंदा। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में असल जिंदगी के हीरोज को पर्दे पर उतारने का काम किया जा रहा है और यह बदलाव समाज की जरूरत के अनुसार माना जा रहा है । हाल के दिनों में रिलीज हुई हिंदी फिल्म छपाक एसिड अटैक उस पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है जो अपने जिंदगी में एसिड अटैक की दंश झेल रही है। कासमी अग्रवाल की तरह ही बिहारशरीफ की रहने वाली गुड़िया देवी की कहानी है। अपने ही पति के द्वारा प्रताड़ित गुड़िया देवी को इंतेज़ार है तारणहार का, जो कि उन्हें न्याय दिला सके। घटना के बीते 8 वर्ष गुज़र गए लेकिन अब तक गुड़िया देवी एवं उनके बच्चो को किसी प्रकार का कोई मुआवजा नही मिल सका है, नतीजतन किसी प्रकार जीवन गुज़ारने को मजबूर है। गुड़िया देवी आज भी सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रही है।


Body:बताया जाता है कि बिहारशरीफ के फ़तेहली गांव निवासी गुड़िया देवी की शादी अम्बेर निवासी ऑटो चालक कारू प्रसाद के साथ हुई थी। कारू को नशे का आदत था और वो अपनी कमाई को शराब में उड़ा देता था। इसी बीच जब घर चलाने के लिये खर्च की बात गुड़िया देवी द्वारा कही जाती थी तब दोनों में विवाद हो जाता था। इसी बीच गुड़िया देवी ने घरों में चौका बर्तन करने का काम शुरू किया। देखने मे काफी खूबसूरत गुड़िया देवी के बारे में जब लोगों द्वारा पति के सामने तारीफ होता था तब पति आवेश में आ जाता था। यही वजह रही और कारू ने 7 जून 2012 को घर मे पत्नी गुड़िया देवी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना में उसकी एक छोटी बेटी के पैर भी तेज़ाब में झुलस गए। इस घटना के बाद महिला का इलाज हुआ जिसमें उसकी जान तो बच गयी लेकिन उसकी सुंदरता चली गयी, उसका चेहरा पूरी तरह झुलस गया। एक आंख भी चली गयी। कान से भी दिक्कत हो गयी।
पुलिस द्वारा आरोपी कारू को गिरफ्तार किया गया और करीब 2 साल तक जेल भी रहा लेकिन गरीबी के कारण गुड़िया देवी में समझौता कर लिया जिसके कारण पति को बेल मिल गया।
इस हादसे के बाद गुड़िया देवी दो बेटा और दो बेटी का खुद परवरिश कर रही है। घटना के आठ साल बीत गए लेकिन अब तक गुड़िया को कोई मुआवजा नही मिल सका है।


Conclusion:गुड़िया को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन उसकी मदद करेगी और मुआवजा दिला कर उसका और उसके बच्चो की अच्छी परवरिश में मददगार साबित हो सके।
बाइट। गुड़िया देवी, पीड़िता
पी टू सी कुमार सौरभ, नालंदा
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