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हत्या का आरोपी शख्स 13 वर्षीय किशोरी के साथ कर रहा था 'गंदा काम', तभी...

मुजफ्फरपुर में 55 वर्षीय अधेड़ 13 वर्षीय किशोरी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया है. जिसके बाद आरोपी अधेड़ को पुलिस के हवाले कर दिया गया.

दुष्कर्म
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Published : Sep 11, 2021, 11:49 AM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले से यौन शोषण (Sexual Exploitation) करने का मामला सामने आया है. जहां एक 55 वर्षीय अधेड़ 13 वर्षीय किशोरी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया है. जिसके बाद ग्रामीणों ने अधेड़ को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया है.

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मामला मीनापुर थाना क्षेत्र (Meenapur Police Station) का है. जहां अधेड़ गांव के चौर में स्थित एक आरा मशीन के पास किशोरी का यौन शोषण करते हुए पाया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने अधेड़ को पकड़ लिया. साथ ही मीनापुर पुलिस को सौंप दिया.

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पुलिस के अनुसार अधेड़ एक हत्याकांड का नामजद आरोपी भी है. जिसकी पुलिस को लंबे समय से तलाश थी. मीनापुर के खाद बीज व्यवसायी हत्याकांड में अभियुक्त नामजद है. जिसके बाद से वह फरार चल रहा था. पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए वह दूसरे गांव के चौर में अपने एक रिश्तेदार के यहां रह रहा था.

बता दें कि बिहार के विभिन्न जिलों से आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं. कभी किसी को शादी का झांसा देकर तो कभी पैसों का लालच देकर किशोरी और युवतियों को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. कुछ मामलों में तो हत्या तक की घटना को अंजाम दे दिया जाता है.

बताते चलें कि देशभर में बच्चों के साथ दरिंदगी के बढ़ रहे मामले को देखते हुए वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो के अंतर्गत विशेष अदालत गठित करने का आदेश दिया था. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इस विशेष अदालतों को जिला स्तर पर महज 2 महीने के अंदर स्थापित करने का निर्देश दिया था. बिहार के सभी जिलों में भी मासूमों के संरक्षण के लिए पॉक्सो कोर्ट का गठन किया गया है.

केंद्र सरकार की ओर से साल 2012 में बनाए गए पॉक्सो एक्ट के तहत अलग-अलग प्रकृति के अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई. जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है. बिहार के 37 ज्यूडिशियल जिलो में पॉक्सो कोर्ट और विशेष वकील की नियुक्ति की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी जिलों में जहां पर 100 से ज्यादा पॉक्सो के मामले हैं. वहां पर पॉक्सो कोर्ट खोलने का निर्देश दिया था.

इन पॉक्सो कोर्ट को ऐसे तैयार किया गया है कि बच्चों को यह असहज ना लगे. बच्चों के सहूलियत और सौहार्द पूर्ण वातावरण को लेकर घर जैसा माहौल इसे देने की कोशिश की गई है. दीवार पर पेंटिंग, बच्चों के लिए खिलौने इत्यादि समान यहां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही पॉक्सो कोर्ट स्पीडी ट्रायल कर पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिला रहा है.

मासूमों पर बढ़ते अपराध को देखते हुए 2012 में एक विशेष कानून प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी पॉक्सो एक्ट बनाया गया. 2018 में इसमें संशोधन कर 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो के अंतर्गत विशेष अदालत गठन करने का आदेश दिया था. 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म करने पर दोषियों को मौत की सजा देने का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है.

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले से यौन शोषण (Sexual Exploitation) करने का मामला सामने आया है. जहां एक 55 वर्षीय अधेड़ 13 वर्षीय किशोरी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया गया है. जिसके बाद ग्रामीणों ने अधेड़ को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया है.

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मामला मीनापुर थाना क्षेत्र (Meenapur Police Station) का है. जहां अधेड़ गांव के चौर में स्थित एक आरा मशीन के पास किशोरी का यौन शोषण करते हुए पाया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने अधेड़ को पकड़ लिया. साथ ही मीनापुर पुलिस को सौंप दिया.

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पुलिस के अनुसार अधेड़ एक हत्याकांड का नामजद आरोपी भी है. जिसकी पुलिस को लंबे समय से तलाश थी. मीनापुर के खाद बीज व्यवसायी हत्याकांड में अभियुक्त नामजद है. जिसके बाद से वह फरार चल रहा था. पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए वह दूसरे गांव के चौर में अपने एक रिश्तेदार के यहां रह रहा था.

बता दें कि बिहार के विभिन्न जिलों से आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं. कभी किसी को शादी का झांसा देकर तो कभी पैसों का लालच देकर किशोरी और युवतियों को यौन शोषण का शिकार बनाया जाता है. कुछ मामलों में तो हत्या तक की घटना को अंजाम दे दिया जाता है.

बताते चलें कि देशभर में बच्चों के साथ दरिंदगी के बढ़ रहे मामले को देखते हुए वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो के अंतर्गत विशेष अदालत गठित करने का आदेश दिया था. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इस विशेष अदालतों को जिला स्तर पर महज 2 महीने के अंदर स्थापित करने का निर्देश दिया था. बिहार के सभी जिलों में भी मासूमों के संरक्षण के लिए पॉक्सो कोर्ट का गठन किया गया है.

केंद्र सरकार की ओर से साल 2012 में बनाए गए पॉक्सो एक्ट के तहत अलग-अलग प्रकृति के अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई. जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है. बिहार के 37 ज्यूडिशियल जिलो में पॉक्सो कोर्ट और विशेष वकील की नियुक्ति की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी जिलों में जहां पर 100 से ज्यादा पॉक्सो के मामले हैं. वहां पर पॉक्सो कोर्ट खोलने का निर्देश दिया था.

इन पॉक्सो कोर्ट को ऐसे तैयार किया गया है कि बच्चों को यह असहज ना लगे. बच्चों के सहूलियत और सौहार्द पूर्ण वातावरण को लेकर घर जैसा माहौल इसे देने की कोशिश की गई है. दीवार पर पेंटिंग, बच्चों के लिए खिलौने इत्यादि समान यहां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही पॉक्सो कोर्ट स्पीडी ट्रायल कर पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिला रहा है.

मासूमों पर बढ़ते अपराध को देखते हुए 2012 में एक विशेष कानून प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी पॉक्सो एक्ट बनाया गया. 2018 में इसमें संशोधन कर 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो के अंतर्गत विशेष अदालत गठन करने का आदेश दिया था. 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म करने पर दोषियों को मौत की सजा देने का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है.

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