मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन (Cataract Surgery in Muzaffarpur) होने के बाद 16 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी थी. अबतक इस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है. हालांकि मंगलवार को घटना के एक महीने बाद प्रशासन की टीम ने जांच के लिए मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital) का दौरा किया. मुजफ्फरपुर एसएसपी जयंत कांत (Muzaffarpur SSP Jayant Kant) ने वहां छानबीन की और मौजूद सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ भी की.
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एसएसपी जयंत कांत और सीएस सिविल सर्जन ने आई हॉस्पिटल के सील किए गए ऑपरेशन थिएटर और अन्य रूम को देखा. साथ ही अस्पताल की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों से भी पूछताछ की. पूरे मामले पर पूछे जाने पर सीएस डॉ. विनय शर्मा ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद स्थानीय थाना को जांच पड़ताल को लेकर निर्देशित करने के ख्याल से एसएसपी खुद पहुंचे थे और जांच पड़ताल की है. उन्होंने केस के आईओ को कई अहम निर्देश भी दिए हैं.
वहीं एसएसपी जयंत कांत ने कहा कि बीते दिनों इस अस्पताल में इंफेक्शन के कारण 16 लोगों की आंखों को निकालना पड़ा था. इसके बाद मामला दर्ज किया गया था. इसी मामले को लेकर जांच-पड़ताल की जा रही है. मामले में जो भी जरूरी कार्रवाई होगी, जरूर होगी जाएगी.
आपको बताते चलें कि 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. जिसमें एक-एक कर करीब दर्जनों लोगों के आंखों में इंफेक्शन हुआ था, जिसका इलाज भी प्रशासन के द्वारा मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और पटना के आईजीआईएमएस में कराया गया था. साथ ही साथ 16 लोगों की आंखों को इंफेक्शन के कारण निकालना पड़ा था. इस पूरे प्रकरण पर सरकार द्वारा उचित मुआवजा देने की भी बात कही गई थी लेकिन अब तक किसी भी पीड़ित को सरकारी स्तर से कोई मुआवजा राशि नहीं दी गई.
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एसएसपी जयंत कांत से भी इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुआवजा राशि देने का जो प्रावधान है, इस पूरे मामले को जिला प्रशासन देख रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि महीना बीत जाने के बाद भी फिर से जांच करने की प्रशासन को याद आ गई लेकिन जिन लोगों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छा गया, उनकी उम्मीदों पर भी अंधेरे का साया ही दिख रहा है.
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