मुजफ्फरपुर: शाही लीची की मिठास को लेकर मुजफ्फरपुर को दुनियाभर में जाना जाता है. यह उत्तर बिहार के तिरहुत प्रमंडल का मुख्यालय और प्रदेश का प्रमुख शहर है. ये जिला ऐतिहासिक रूप से भी काफी समृद्ध है. क्रांतिकारी खुदीराम बोस, रामवृक्ष बेनीपुरी और जानकी वल्लभ शास्त्री जैसे महापुरुषों ने इस मिट्टी का मान और गौरव बढ़ाया है.
मुजफ्फरपुर जिले का नाम ब्रिटिश काल के राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा. इस जिले को इस्लामी और हिंदू सभ्यताओं की मिलन स्थली के रूप में भी देखा जाता है. दोनों सभ्यताओं के रंग यहां गहरे मिले हुए हैं.
हमेशा चर्चा में रही है मुजफ्फरपुर की राजनीति
मुजफ्फरपुर में लीची की तरह यहां की राजनीति भी हमेशा चर्चा में रहती है. चाहे वो जॉर्ज फर्नांडिस हों या कैप्टन जयनारायण निषाद, इन दोनों नेताओं का नाम हाल के दशक में मुजफ्फरपुर के सबसे बडे़ नेताओं में शुमार है. जॉर्ज फर्नान्डिस यहां से 5 बार जीते, जबकि कैप्टन निषाद इस सीट से 4 बार जीतकर लोकसभा पहुंचे.
मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें
मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें गायघाट, औराई, बोचहां, सकरा, कुरहानी और मुजफ्फरपुर है. मुजफ्फरपुर जिले में 31 लाख 23 हजार 114 मतदाता हैं. जबकि मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 10 हजार 868 है...जिसमें पुरुष मतदाता 9 लाख 11 हजार 521 हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 99 हजार 305 है.
अजय निषाद 2014 में जीतकर बने सांसद
जयनारायण निषाद के बेटे अजय निषाद यहां के वर्तमान सांसद हैं. 2014 के चुनाव में निषाद ने कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को हराया था. अजय निषाद को तब 4 लाख 69 हजार 295 वोट मिले थे, वहीं, दूसरे नंबर पर रहे अखिलेश सिंह को 2 लाख 46 हजार 873 वोट मिले थे.
अजय निषाद का रहा है औसत प्रदर्शन
संसदीय कार्यवाही में अजय निषाद का प्रदर्शन औसत रहा है. उन्होंने 16वीं लोकसभा के दौरान 17 बहसों में हिस्सा लिया. वहीं, विभिन्न मुद्दों से संबंधित 168 सवाल पूछे.
स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित है मुजफ्फरपुर
विकास की बात करें तो यहां तमाम सरकारी दावे खोखले साबित हुए हैं. 2017 में मुजफ्फरपुर शहर को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया गया. लेकिन उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ. 2014 में बड़ी उम्मीदों से लोगों ने यहां एक बार फिर बीजेपी को वोट दिया था. लेकिन सांसद के काम से लोग खासे नाराज हैं.
सांसद आदर्श गांव की नहीं बदली सूरत
सांसद अजय निषाद ने आदर्श ग्राम योजना के तहत यजुवार गांव को गोद लिया था. लेकिन गांव की सड़कों की हालत देखकर ऐसा लगता है जैसे विकास के मायने ही बदल गए हों. आदर्श ग्राम का सपना यहां कागजों पर ही सिमटकर रह गया है. ये गांव शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है. यहां रहने वाले मिश्रित समुदाय के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है. यहां लोग अब भी एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए चचरी का सहारा लेते हैं. बाढ़ प्रभावित इस गांव में बारिश के मौसम में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
महागठबंधन से राज भूषण चौधरी निषाद दे रहे चुनौती
चुनावी दंगल में तरह-तरह के दांव आजमाए जा रहे हैं, जहां एक ओर एनडीए प्रत्याशी अजय निषाद हैं, तो वहीं दूसरी ओर इस बार उन्हें टक्कर दे रहे हैं महागठबंधन के राज भूषण चौधरी निषाद. उन्होंने अजय निषाद पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले 5 साल में विकास के तमाम दावे यहां जुमला साबित हुए हैं.
हालांकि इस बार देखना दिलचस्प होगा कि मुजफ्फरपुर के रण में कौन बाजी मारता है और क्या महागठबंधन इस बार एनडीए के मजबूत गढ़ को भेदने में सफल हो पाएगा.