मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ कई मामले (Complaints Filed Against Bihar Education Minister) दर्ज किए गए है. ये सभी मामले उनके द्वारा दिए गए हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित बयान के लेकर किए गए हैं. जिले के एमपी-एमएलए कोर्ट में बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के खिलाफ कई परिवाद दायर हुआ है. गौरतलब है कि बीते दिनों नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान हिंदू धर्म के महान धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर शिक्षा मंत्री ने विवादित टिप्पणी की थी.
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'आज हमने माननीय विशेष अदालत के एमपी-एमएलए के जज विकास मिश्रा जी के कोर्ट में एक आपराधिक मुकदमा बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज कराया है. जिसमें धारा 504, 505, 506, 153, 295, 296 के तहत दर्ज मुकादमे में हमने आरोप लगाया है कि पटना में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखऱ के द्वरा रामचरितमानस ग्रंथ को लेकर विवादित बयान दिया गया. जिसमें उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ समाज में नफरत फेलाता है. यह कार्य एक सोची समझी राजनीति के तहत किया गया है. मामले में अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी.' - सुधीर ओझा, परिवादी सह अधिवक्ता
मुजफ्फरपुर में शिक्षा मंत्री के खिलाफ कई मामले दर्ज : अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने इसे आपराधिक मामला बताते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ परिवाद दायर कराया है. जिसपर आने वाली 25 जनवरी को सुनवाई होगी. वहीं, गिरिराज सिंह फैंस क्लब के जिला उपाध्यक्ष रोशन सिंह ने भी अलग परिवाद दर्ज कराया है. साथ ही अभिषेक पाठक ने भी कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया है. बता दें कि भारी फजीहत के बावजूद नीतीश कैबिनेट में शिक्षा मंत्री और आरजेडी के विधायक प्रो.चंद्रशेखर माफी मांगने तक को तैयार नहीं हैं और रामचरितमानस को लेकर लगातार बेतुका तर्क दे रहें हैं.
शिक्षा मंत्री ने दिया था विवादित बयान : गौरतलब है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार यानी 11 जनवरी को राजधानी पटना के बापू सभागार में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में आरएसएस और इसके नागपुर शाखा से जुड़े लोगों को समाज में नफरत फैलाने वाला बता दिया था. शिक्षा मंत्री इतने पर ही पर नहीं रुकें उन्होंने रामचरितमानस को भी समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बता दिया. उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरित मानस और गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85% आबादी को पिछड़े रहने की दिशा में काम किया है.
शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर मचा है घमासान : शिक्षा मंत्री ने कहा था कि हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस को मनुस्मृति की तरह जला देना चाहिए, क्योंकि यह समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा देता है. मंत्री के इसी बयान के बाद से देश की सियासत में घमासान मचा है. भारतीय जनता पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए मंत्री का तत्काल प्रभव से इस्तीफा मांगा है. सीएम नीतीश कुमार पर भी दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि शिक्षा मंत्री की ओर से दिए गए इस स्टेटमेंट के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.