मुजफ्फरपुर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि के फर्जीवाड़े को लेकर मुजफ्फरपुर के मुशहरी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. दर्ज प्राथमिकी में मुजफ्फरपुर के मुशहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के लेखापाल को आरोपी बनाया गया है.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि कुछ खास महिलाओं के नाम पर जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि बार-बार निकाली गई है. मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने बताया कि दर्ज प्राथमिकी में तीन महिलाओं के नाम पर प्रोत्साहन राशि गबन करने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी को स्वयं इसकी जांच करने का निर्देश दिया गया है.
'विधि सम्मत की जाएगी कठोर कार्रवाई'
इधर, जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने इस मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की है. कमेटी में अपर समाहर्ता के साथ स्वास्थ विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, लेखा प्रबंधक एवं वरीय प्रभारी पदाधिकारी मुशहरी सह प्रभारी पदाधिकारी सामान्य शाखा शामिल हैं. जिलाधिकारी द्वारा दो दिन के अंदर प्रतिवेदन मांगा गया है. जिलाधिकारी ने पिछले एक साल के दौरान इस योजना के तहत किए गए भुगतान का भी जांच कराने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है तो विधि सम्मत कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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फर्जीवाड़ा कर अवैध भुगतान
इस मामले में मुसहरी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर उपेंद्र चौधरी ने लेखपाल अवधेश कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है, जिसमें लेखपाल पर जननी बाल सुरक्षा योजना में एक ही लाभार्थी लीला देवी को चौदह माह में आठ बार, शांति देवी को नौ माह में 5 बार और सोनिया देवी को 5 माह में चार बार 1400 रुपये की दर से फर्जीवाड़ा कर अवैध भुगतान किया गया है.
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मंगल पांडेय ने दिया जांच का आदेश
इस बीच, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी कार्यपालक पदाधिकारी (स्वास्थ्य सेवाएं) मनोज कुमार को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं.
जानें क्या था मामला?
जिलाधिकारी ने पिछले एक साल के दौरान इस योजना के तहत किए गए भुगतान का भी जांच कराने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है तो विधि सम्मत कठोर कार्रवाई की जाएगी. आरोप है कि इस योजना का लाभ पाने वाली महिलाओं में कई की उम्र 60 वर्ष से भी ज्यादा है और पिछले बीस वर्षों में उन्होंने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया. इन महिलाओं के खातों में प्रोत्साहन राशि डालकर पैसे की निकासी कर ली गयी है जबकि इन महिलाओं को एक बार भी पैसा नहीं मिला. यही नहीं एक ही महिला के खाते में एक वर्ष में कई बार प्रोत्साहन राशि 1400 रुपये डाले गए हैं और उसकी निकासी भी कर ली गयी है.