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'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय (Land Reform Minister Ramsurat Rai) ने कहा कि मुख्यमंत्री हमारे मुखिया हैं और सभी विभागों की समीक्षा करना उनका विषेशाधिकार है लेकिन ये बात सही है कि इससे मेरी भावनाओं को ठेस पहुंची है. अगर कोई मंत्री बनना चाहते हैं तो आकर विभाग को चलाएं, हमें कोई आपत्ति नहीं है.

नीतीश कुमार से रामसूरत राय नाराज
नीतीश कुमार से रामसूरत राय नाराज
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Published : Jul 10, 2022, 7:55 AM IST

Updated : Jul 10, 2022, 10:25 AM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में एक बार फिर जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने है. राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक (Ban on transfer posting in revenue department) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फैसले से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय (Land Reform Minister Ramsurat Rai) नाराज हो गए हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि मंत्री रहने से कोई फायदा नहीं. जहां पर मंत्री का कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नहीं, वहां विभाग चलाने से कोई फायदा नहीं.

ये भी पढ़ें: CAG रिपोर्ट पर बोली RJD- '92687 करोड़ खर्च का हिसाब नहीं दे पायी नीतीश सरकार'

'जनता अपना सोचे-समझे': मुजफ्फरपुर में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि अब विभाग चलाना बेवकूफी है. उन्होंने कहा कि जनता की कोई शिकायत नहीं सुनेंगे. जनता दरबार नहीं लगाएंगे. मंत्री-विधायकों से भी कह दिया है कि अगर काम कराना है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जाएं. पत्रकारों से बात करते हुए रामसूरत ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी पद बपौती नहीं होता.

'मंत्री पद बपौती नहीं': रामसूरत राय ने साफ शब्दों में कह दिया है कि मंत्री पद किसी की बपौती नहीं होती है. राजनीति किसी के बाप-दादा की अर्जित की हुई संपति नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मेरी शुभकामनाएं हैं, कोई लोग भी आएं और इस विभाग को चलाएं.

'मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार': मंत्री ने कहा कि जहां तक सीओ के स्थानांतरण आदेश को रोक कर समीक्षा करने की बात है तो इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विशेषाधिकार है. वे कभी भी समीक्षा कर सकते हैं. उनका आदेश आया कि कैंसिल करके इसकी समीक्षा हो. समीक्षा में पूरी बात आ जाएगी. हमने कोई ऐसा गलत काम नहीं किया है. हमने विधायकों का सम्मान किया था. अगर विधायकों का सम्मान करना गलत था तो ट्रांसफर भी गलत है .अगर सही था तो स्थानांतरण सही था. हमने जेडीयू-बीजेपी व अन्य को मिलाकर 80 विधायकों का सम्मान किया था. राजनीति में पैरवी सुनी जाती है, पैरवी आम बात है.

"ये माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेषाधिकार है. किसी भी विभाग का वो समीक्षा कर सकते हैं. उनके पास सूचना मिला होगा कि अधिक लोगों का तबादला कम समय में हुआ होगा तोये सही बात है कि कम समय वाले सीओ का तबादला हुआ है. मेरे मन में भावना में ठेस पहुंचा है. मैं जनता के बीच रहता हूं लेकिन जब इस तरह से बात होगी तो जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं. जनता अपना सोचे, अपना समझे. अब मैं जनता दरबार नहीं लगाऊंगा"- रामसूरत राय, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार

क्या है मामला? दरअसल यह नाराजगी इसलिए हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिसमें 30 जून को 100 से ज्यादा सीओ और अधिकारियों के तबादले हुए थे, उन पर रोक लगा दी है. इन तबादले पर रोक लगाने का आदेश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिए हैं, जिससे विभागीय मंत्री रामसूरत राय नाराज हो गए हैं. इस तबादले मे कई तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें तबादले की बात कही गई थी.

ये भी पढ़ें: बिहार में अब सरकारी जमीन पर डाका, मुजफ्फरपुर में बेच दी सामुदायिक भवन की जमीन

मुजफ्फरपुर: बिहार में एक बार फिर जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने है. राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक (Ban on transfer posting in revenue department) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फैसले से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय (Land Reform Minister Ramsurat Rai) नाराज हो गए हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि मंत्री रहने से कोई फायदा नहीं. जहां पर मंत्री का कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नहीं, वहां विभाग चलाने से कोई फायदा नहीं.

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'जनता अपना सोचे-समझे': मुजफ्फरपुर में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि अब विभाग चलाना बेवकूफी है. उन्होंने कहा कि जनता की कोई शिकायत नहीं सुनेंगे. जनता दरबार नहीं लगाएंगे. मंत्री-विधायकों से भी कह दिया है कि अगर काम कराना है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जाएं. पत्रकारों से बात करते हुए रामसूरत ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी पद बपौती नहीं होता.

'मंत्री पद बपौती नहीं': रामसूरत राय ने साफ शब्दों में कह दिया है कि मंत्री पद किसी की बपौती नहीं होती है. राजनीति किसी के बाप-दादा की अर्जित की हुई संपति नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मेरी शुभकामनाएं हैं, कोई लोग भी आएं और इस विभाग को चलाएं.

'मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार': मंत्री ने कहा कि जहां तक सीओ के स्थानांतरण आदेश को रोक कर समीक्षा करने की बात है तो इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विशेषाधिकार है. वे कभी भी समीक्षा कर सकते हैं. उनका आदेश आया कि कैंसिल करके इसकी समीक्षा हो. समीक्षा में पूरी बात आ जाएगी. हमने कोई ऐसा गलत काम नहीं किया है. हमने विधायकों का सम्मान किया था. अगर विधायकों का सम्मान करना गलत था तो ट्रांसफर भी गलत है .अगर सही था तो स्थानांतरण सही था. हमने जेडीयू-बीजेपी व अन्य को मिलाकर 80 विधायकों का सम्मान किया था. राजनीति में पैरवी सुनी जाती है, पैरवी आम बात है.

"ये माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेषाधिकार है. किसी भी विभाग का वो समीक्षा कर सकते हैं. उनके पास सूचना मिला होगा कि अधिक लोगों का तबादला कम समय में हुआ होगा तोये सही बात है कि कम समय वाले सीओ का तबादला हुआ है. मेरे मन में भावना में ठेस पहुंचा है. मैं जनता के बीच रहता हूं लेकिन जब इस तरह से बात होगी तो जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं. जनता अपना सोचे, अपना समझे. अब मैं जनता दरबार नहीं लगाऊंगा"- रामसूरत राय, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार

क्या है मामला? दरअसल यह नाराजगी इसलिए हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिसमें 30 जून को 100 से ज्यादा सीओ और अधिकारियों के तबादले हुए थे, उन पर रोक लगा दी है. इन तबादले पर रोक लगाने का आदेश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिए हैं, जिससे विभागीय मंत्री रामसूरत राय नाराज हो गए हैं. इस तबादले मे कई तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें तबादले की बात कही गई थी.

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Last Updated : Jul 10, 2022, 10:25 AM IST
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