मुजफ्फरपुर: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक बार फिर मुजफ्फरपुर की शाही लीची (shahi litchi sent to pm modi) को चखेंगे. पिछले कई दशकों से चली आ रही परंपरा को इस बार भी बरकरार रखा गया है. पताही स्थित प्रोसेसिंग यूनिट से शुक्रवार रात 10 बजे लीची वैन को दिल्ली के लिए रवाना किया गया है. रेफ्रिजरेटर वैन से 1250 पैकेट लीची भेजी गई है. एक पैकेट में दो किलो शाही लीची है.
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राष्ट्रपति और PM के लिए लीची वैन रवाना : इससे पूर्व यूनिट में लीची की प्रोसेसिंग की गई है. वैन से दिल्ली स्थित बिहार भवन में लीची को पहुंचाया जाएगा. इसके बाद वहां से अधिकारी राष्ट्रपति और पीएम आवास पर लीची लेकर जाएंगे. सहायक निदेशक उद्यान शंभू प्रसाद और उप निदेशक परियोजना आत्मा ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर वैन को रवाना किया. उप परियोजना निदेशक विनोद कुमार इस बार भी लीची वैन लेकर दिल्ली गए हैं.
''दो डिग्री तापमान पर लीची को ले जाया जा रहा है. इससे लीची खराब नहीं होगी. संभावना है कि शनिवार शाम तक लीची वैन दिल्ली पहुंच जाएगी. बिहार भवन से लीची के पैकेट को अधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति और पीएम आवास भेजा जाएगा.'' - विनोद कुमार,उप परियोजना निदेशक
मुजफ्फरपुर की शाही लीची: बता दें कि मुजफ्फरपुर की रसभरी शाही लीची का स्वाद अब केवल बिहार के लोग ही नहीं चखेंगे, बल्कि कई राज्यों के लोग भी इसका लुत्फ उठाएंगे. बिहार की लीची अब हवाई जहाज से महानगरों तक पहुंचेगी. बिहार की लीची दरभंगा एयरपोर्ट से स्पाइसजेट के माध्यम से 20 मई से वाया दरभंगा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और अहमदाबाद भेजने के लिए शुरूआत हो चुकी है. एयर कंपनी ने बिहार लीची उत्पादक संघ से करार किया है. करार के मुताबिक कंपनी छह टन लीची रोज इन महानगरों में 40 रुपये प्रति किलो भाड़ा के हिसाब से भेजेगी. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद ने बताया कि दरभंगा से हवाई मार्ग से लीची भेजने से किसान और व्यवसायियों को लाभ की उम्मीद है.
''ट्रेन और ट्रक से लीची भेजे जाने के बाद लीची के खराब होने की आशंका रहती है. अब लीची एक ही दिन में महानगर पहुंच जाएगी, इसलिए यह ताजा रहेगी. महानगर में इसकी कीमत 18 सौ रुपये से दो हजार रुपये बॉक्स तक आसानी से मिल जाएगी. इन महानगरों में रहने वाले लोगों को भी आसानी से उनकी मनपसंद लीची उपलब्ध हो सकेगी. हवाई मार्ग से चंद घंटों में लीची सैकड़ों किलोमीटर दूर तक पहुंच जाएगी. उनके सड़ने-गलने का भी खतरा नहीं रहेगा.16 जून तक किसान अपनी लीची हवाई जहाज से भेज सकेंगे.'' - बच्चा प्रसाद, अध्यक्ष, बिहार लीची उत्पादक संघ
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