मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सिविल सर्जन डॉ. उमेश चंद्र शर्मा की मुश्किलें बढ़ गई है. अवैध और फर्जी एजेंसी को ठेका देने के आरोप में सीएम घिरे गए हैं. इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है और उन्हें निलंबित कर दिया है. अब निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय स्वास्थ्य विभाग पटना बनाया गया है. निलंबन अवधि में उन्हें सिर्फ जीवन निर्वाहन भत्ता देय होगा.
ये भी पढ़ें : Muzaffarpur News : मुजफ्फरपुर में 70 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, HC के आदेश पर हुई कार्रवाई
बिना अनुमोद दिया दिया गया ठेका : सिविल सर्जन के खिलाफ सरकार के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार की ओर से पत्र जारी कर बताया गया है कि मुजफ्फरपुर डीएम प्रणव कुमार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अनुमोदन के बिना सफाई और सुरक्षा का निविदा अवैध और फर्जी एजेंसी को सिविल सर्जन डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने आवंटित कर दिया. साथ ही पूर्व में एजेंसी के कार्यों को छिपा पर रखा गया. नए सिरे से काम को लेकर डीएम से अनुरोध किया गया है. इसी को लेकर उनके पदीय कार्य और विभागीय लापरवाही को लेकर निलंबित किया गया है. सिविल सर्जन के सस्पेंड के बाद अब पीएचसी कुढ़नी के प्रभारी डॉक्टर को सस्पेंड किया गया है. जिलाधिकारी के रिपोर्ट पर विभाग ने निलंबित किया है.
सिविल सर्जन कार्यालय का विवादों से रहा है पुराना नाता : बताया जा रहा है कि मुजफ्फरपुर का सिविल सर्जन कार्यालय लंबे समय से विवादों के घेरे में है. कोविड-19 के दौरान भी फर्जी और अवैध तरीके से मानवबल और नर्सिंग स्टाफ की बहाली का मामला सुर्खियों में था. उस समय भी कार्यालय धवारा अवैध तरीके से बहाली का मामला उछला ता. इसके बाद ही 27 कर्मचारियों का अवैध तरीके से बहाल होने का मामला प्रकाश में आया था. इस तरह देखा जाए तो सिविल सर्जन कार्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है.