मुजफ्फरपुर: आधुनिकता के दौर में लोगों को शुद्ध सरसों का तेल आसानी से उपलब्ध हो सके, इसे लेकर मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग ने अनूठी पहल की शुरुआत की है. जहां करीब एक दशक के बाद मुजफ्फरपुर खादी भंडार में फिर से कोल्हू से कच्ची घानी पीली सरसों के तेल का उत्पादन शुरू किया गया है.
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कोल्हू से पीली सरसों की पेराई
फिलहाल मुजफ्फरपुर के लोगों को शुद्ध देसी जायके वाले सरसों का तेल खादी के दुकान के जरिये कम कीमत में ही उपलब्ध होने लगा है. बेहतर गुणवत्ता और परंपरागत तरीके से शुद्ध सरसों के तेल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग संघ ने आस्था ऑयल प्रोजेक्ट्स के जरिये कोल्हू से तेल पेराई का काम शुरू किया गया है.
परंपरागत विधि से तैयार तेल
कोल्हू से तेल पेराई के माध्यम से कच्ची घानी पीली सरसों के तेल की बिक्री सवा दो सौ रुपये प्रतिकिलो की दर से शुरू हो गई है. जिसका मुजफ्फरपुर में काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. फिलहाल मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग संघ में प्रतिदिन दो क्विंटल सरसों का तेल परंपरागत विधि से तैयार हो रहा है.
कोल्हू से तैयार तेल के फायदे
मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोधोग संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने कोल्हू से तैयार सरसों के तेल के फायदे गिनाते हुए कहा कि परंपरागत विधि से तैयार तेल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. साथ ही इस तेल के सेवन से शरीर की चर्बी कम होती है. हृदय रोगियों के लिए भी ये तेल लाभदायक है.
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कोल्हू से तैयार तेल की मांग बढ़ी
गौरतलब है कि कोरोना काल ने लाेगाें काे आत्मनिर्भर बनने के साथ सेहत के प्रति भी बहुत जागरूक किया है. ऐसे में लोग अपनी शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए देसी तरीके और परंपरागत सेहतमंद खाने पर ध्यान दे रहे हैं. शायद यही वजह है कि पारंपरिक तरीकों की अहमियत के कारण पोषक तत्वों से भरपूर कोल्हू से तैयार सरसों तेल की मांग अब शहर में बढ़ने लगी है.